आर्कमिडीज का डूबता जहाज (नॉलेज)  – मंजू तिवारी

अपने वजन के घनत्व के बराबर जहाज पानी को हटा लेता है और समुद्र में तैरता रहता हैजबकि एक लोहे की कील उसी पानी में डूब जाती है इसे समझने में रमा को बहुत ही अच्छा लगता था वह सोचती चलो ज्यादा पढ़ना नहीं पड़ेगा समझने की चीजें उससे अच्छी लगती किसी चीज को समझना उसे अच्छा लगता था क्योंकि बैठकर कभी भी पढ़ना उसे अच्छा ही नहीं लगा,,, 

बंदूक की गोली किस प्रकार अपने बैग से शीशे में छेद करती हुई निकल जाती है जबकि पत्थर सारा शीशा चटका देता है यह उसे बखूबी समझ में आता न जाने कितने साइंटिफिक नाम बड़े अच्छे से उसने याद कर रखे थे कि आने वाले समय में  काम आएंगे और  हाइड्रोजन गैस और अमोनिया गैस ऑक्सीजन प्रयोगशाला में कैसे बनाई जाती है इसको करने के लिए उसका मन मचल जाता,,,,

 गणित में आने वाली फील्डबुक उसे बड़ी ही अच्छी लगती उसमें टेढ़े मेढ़े प्लॉटों का क्षेत्रफल किस प्रकार निकाला जाता यह उसे बखूबी आता था लेकिन उसकी रूचि कभी भी अंग्रेजी में नहीं रही इतिहास सामाजिक विज्ञान भूगोल अर्थशास्त्र में नहीं रही रमा ने जब आठवीं क्लास पास कर ली उसका ध्यान अभी भी गणित और विज्ञान पर फोकस किए था 

वह तो इन्हीं विषयों को लेकर आगे बढ़ेगी और अपनी सहेलियों से बातें करती यार तुम किस वर्ग में जाओगी  मैं तो साइंस में ही जाऊंगी सारी सहेलियां मोन हो जाती मन में सोचती जाए कोई ना जाए उसे तो साइंस नहीं जाना है कला विषयों को पड़ेगा कौन ,,मुझे तो फार्मूले अच्छे लगते हैं फार्मूले लगा कर फट से नंबर मिल जाएंगे लेकिन यह बात रमा कभी भी अपने घरवालों को समझाने में कामयाब ना हो पाई,,,, 

विद्रोह करने के बाद भी असफलता ही हाथ आई मन मार कर उसको कला वर्ग में ही पढ़ाई करनी पड़ी जबकि उसी की रूचि तो विज्ञान और गणित में थी रमा किसी को भी दोष नहीं देना चाहती क्योंकि शायद वह बेटियों के लिए दौर ही कुछ ऐसा था जब रमा 11वीं कक्षा पढ़ती थी

तब कभी-कभी मनोविज्ञान की क्लास साइंस लैब में लगा दी जाती और मैडम बोलती इन केमिकल्स को छूना नहीं जल सकते हैं। इस वेदना को सिर्फ रमा ही समझ सकती थी कि उसके हृदय में कितनी पीड़ा होती थी क्योंकि उसकी हाइड्रोजन गैस हल्की होने की वजह से आसमान में उड़ चुकी थी अमोनिया बिल्कुल ठंडी पड़ चुकी थी जिसने के हाथ पैरों को ठंडा कर दिया था ऑक्सीजन गैस भी रुक-रुक कर उसकी सांसो में जा पा रही थी और उसकाआर्कमिडीज का पानी में तैरने वाला जहाज अब डूब चुका था,,,,,,,,,,,,,, अब रमा आशा करती है किसी भी बेटी का आर्कमिडीज का जहाज पानी में ना डूबे,,,,,

मंजू तिवारी, गुड़गांव

 

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