आपने मेरे भाई को अपने वश मे कर लिया है : Moral Stories in Hindi

“सासू माँ आप यह कैसी बात कर रही है??? संजना मेरी छोटी बहन जैसी ही है… मेरी हम उम्र है… मैं भला क्यो उसकी बातों का बुरा मानूँगी ।”

“ नहीं बहू … वो घर में सबसे छोटी और सब भाइयों की दुलारी है ना… इसीलिए कभी-कभी ऐसी बातें कह देती है…।”

“ कोई बात नहीं सासू माँ… जब इनका ब्याह हो जाएगा ना… तब समझ आयेगा ।”

मैं अभी दो माह पहले ही ब्याह कर इस घर में आई थी। कहने को तो ससुराल में बहुत लोग थे, पर… सभी जेठ-जेठानी और ब्याहता ननदें अलग-अलग शहरों में रहते थे, ससुर जी कुछ वर्षों पहले ही नहीं रहे थे…मेरे पति की दो छोटी बहने और सासू माँ एक साथ रहते थे।एक ननद का ब्याह मेरे ब्याह से एक हफ़्ते पहले ही हुआ था।

                        मेरी सबसे छोटी ननद संजना मेरी ही हम उम्र थी और पढ़ाई कर रही थी…मैं मायके में पाँच बहने-बहने ही थी और सबसे बड़ी मैं ही थी… सो … मेरा ब्याह २० बरस में ही कर दिया गया था ।” माँ -पापा की परवरिश ऐसी थी कि… यहाँ भी बड़ी  ही बन गई थी मैं ।

“हर रिश्ते में हम यही चाहते हैं कि दूसरा हमें समझे, और वैसा ही बरताव करे जैसा हम चाहते हैं। जब ऐसा नहीं हो पाता तो रिश्ते में कड़वाहट और फिर दरार आनी शुरु हो जाती है। अगर हम उस दरार को बढ़ने से रोक नही पाए तो रिश्ते टूट भी जाते हैं ।”

इस कहानी को भी पढ़ें: 

बहू सिर्फ तेरी ननद ही नहीं, मेरी बेटी भी आई है। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

शायद यही हो रहा था संजना और मेरे रिश्ते में… वो हमे अपना प्रतिद्वंदी समझती थी … अभी तक उसके भाई यानी मेरे पति की लाडली थी उन पर सिर्फ़ उसी का अधिकार था.. उसे लगता था कि.. मेरे आने से उसकी अहमियत कम हो गई है… हालाँकि ऐसा नहीं था..बात-बात में मुझसे कहती कि… “ आपने मेरे भाई को  अपने वश के कर लिया है… वो बदल गए है.. हमे समय नहीं देते और ना ही मेरे साथ कहीं जाते है… कह देते है कि.. अपने फ़्रेंड  के साथ जाओ ।”

भाभी-ननद के उस नाजुक रिश्ते की डोर को मजबूत करने में मेरी सासू माँ का भी बहुत योगदान रहा, कहती —“ सारा दिन रसोई में लगी रहती है, हम सबका और अन्य रिश्तों का बहुत ध्यान रखती है… मेरा कोई भरोसा नहीं.. कल रहूँ या ना रहूँ…और सबसे बड़ी बात संजना बेटा…

वो तुम्हारे भाई की पसंद और इस घर की लक्ष्मी है  और कल की मालकिन। इस तरह का तुम्हारा बर्ताव इसके ( मेरे साथ) रहा तो…तुम ना केवल प्यारा रिश्ता खो दोगी , भविष्य में मायके का लुफ्त नहीं उठा पाओगी , क्योकिन कल का कुछ पता नहीं बेटा।”

समय का पहिया अपने समयानुसार घूम रहा था और मैं  बहू से एक बच्चे की माँ बन गई.. हमारे और संजना के रिश्तों में अब धीरे-धीरे मधुरता आने लगी थी.. रही सही कसर “अवि”  के रूप ने अपना भतीजा पाकर पूरी हो गई थी। 

     संजना अब एक  सरकारी अध्यापिका बन गई थी..

लड़के वाले  संजना को देख कर जा चुके थे।उन के चेहरों से हमेशा की तरह नकारात्मक प्रतिक्रिया ही देखने को मिली थी।कोई कमी नहीं थी उन में,पढ़ी लिखी, कमाऊ, अच्छी कदकाठी की,नैननक्श भी अच्छे ही कहे जाएंगे।रंग ही तो सांवला है। नकारात्मक उत्तर मिलने पर सब यही सोच कर संतोष कर लेते कि जब कुदरत चाहेगी तभी रिश्ता तय होगा,लेकिन  बेचारी बुझ सी जाती थीं।उम्र भी तो कोई चीज होती है।

‘इस  बरस जुलाई  में वह  पूरी 30 की हो  जाएंगी ।ज्योंज्यों उम्र बढ़ेगी त्योंत्यों रिश्ता मिलना और कठिन हो जाएगा,’ सोचसोच कर  हम सबको रातरात भर नींद नहीं आती थी।लेकिन किसी ऐसे -वैसे से भी तो संबंध नहीं जोड़ा जा सकता न।कम से कम मानसिक स्तर तो मिलना ही चाहिए।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

दाग धुल गया – विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

एक सांवले रंग के कारण उसे विवाह कर के कुएं में तो नहीं धकेल सकते, सोच कर सास  और पतिदेव अपने मन को समझाते रहते।

“ भाभी! मुझे अपने कर्मों की सज़ा मिल रही है…। मुझे आपसे ईर्ष्या होती थी भाभी… जो भैया आपको… मान-सम्मान देते थे तो.. रूह काँप जाती मेरी उनकी… यह बातें सुन कर।

“ऐसा नहीं है ! संजना… आपको बहुत सुंदर पति मिलेगा… आप ऐसा ना सोचो… मैं और आपके भैया है ना… आपके साथ । वो आपका अंदर का डर था संजना… कि मैंने आकर आपके भैया का प्यार आपसे बांट लिया ।

शादीशुदा ननद हो या कुंवारी- अगर भाभी के साथ हिल-मिलकर रहे और घर के मसलों में उससे विचार-विमर्श करें, उसकी राय को भी महत्व दे तो कितना अच्छा हो। मनमुटाव भी नहीं होगा और रिश्तों में कड़वाहट भी नहीं आएगी। किसी भी रिश्ते में मधुरता तभी आती है, जब दोनों तरफ से खुशबू बिखरी हो। ननद और भाभी दोनों ही खुले विचारों वाली होनी चाहिए तभी परिवार में खुशहाली आती।

 कई ननद-भाभियां ऐसी भी हैं जिनका एक-दूसरे से इतना लगाव है कि कई बार ननद को अपनी भाभी की बात व्यावहारिक तौर पर सही लगती है और माँ का तर्क गलत, तो वह अपनी माँ को समझाइश भी देती है। 

आख़िरकार वो घड़ी आ ही गई और हमार संजना आज दुल्हन बन इस घर से विदा होने वाली है..

“ सुमन खोईचा का चावल लेकर आओ जल्दी । कितनी देर लगा रही???”

जेठानी जी की आवाज़ सुन वर्तमान में लौटी मैं ।

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!