अरे!रमेश तुमने आरव की शादी तय करने में बहुत जल्दबाजी नहीं कर दी कुछ दिन तो रुकता,लड़की का व्यवहार कैसा है? घर की जिम्मेदारियां निभा पायेगी कि नहीं कैसे क्या शौक है यह सब भी तो देखना पड़ता है। नौकरी के साथ साथ घर बाहर के कर्तव्य पूरा कर पाएगी। अरे अम्माँ क्यों चिंता करती हो?
उषा भी तो नौकरी करती थी ना जब शादी होकर आई थी। उसने पूरे परिवार को संभाल लिया कि नहीं वह भी संभाल लेगी। अम्मा और रमेश की बातें किचन में काम करती उषा के कानों में पड़ी और वो अतीत में खो गई। भरे पूरे परिवार में उसकी शादी हुई थी परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी भी नहीं थी तो उसे नौकरी भी करनी पडी़।
नौकरी के साथ-साथ घर बाहर दोनों की जिम्मेदारियां निभाते निभाते अपने बारे में सोचने का समय ही नहीं मिल पाया। घर में दो दो नन्दें भी थी लेकिन मानसिकता वही वाली की बहू को ही सब करना पड़ता है,फिर चाहे बहू खुद भी नौकरी करती हो लेकिन घर के काम तो उसको ही करना होता है।
उस पर रमेश घर परिवार के मामलों में बिल्कुल नहीं पढ़ते थे तो कभी ध्यान ही नहीं दिया और उषा कब बहु से कोल्हू का बैल बन गयी पता हीनहीं चला। सभी रिश्तों को निभाते हुए अपने कर्तव्य पुरे करती रही। बेटे आरव की भी अच्छी परवरिश करी। वह नौकरी करने लगा तो उसकी भी शादी तय कर दी गई।पर इन लोग की सोच में कोई सुधार नहीं आया आज भी बहू के लिए वैसे ही सोचते हैं। उसके समय में बहू कोल्हू का बैल हुआ करती थी और आज के समय में रोबोट हो गई है।क्या स्थिति में कोई फर्क आया?
आपको बहु नहीं चलता फिरता रोबोट चाहिए : निमीषा गोस्वामी : Moral Stories in Hindi
इतने में रमेश की आवाज आई अरे अभी शादी होने में बहुत समय हैं शादी की तैयारी में खो गई हो अभी तक खाना नहीं बन पाया। जी ला रही हूं उषा ने कहा। इतने में आरव मम्मी बहुत भूख लग रही है खाना दो कहते हुए किचन में आ गया।आरव की बात सुनकर उषा ने कहा पहले खाने की टेबल को सेट करने में मेरी मदद कर खाना ले जाकर बाहर रखो आरव को बड़ा आश्चर्य हुआ
क्योंकि मम्मी ने कभी काम करने के लिए कहा ही नहीं था आज क्या हो गया।इतने में उषा बाहर आ गई और उसने अम्मा और रमेश की तरफ देख कर कहा जो मैंने सहा है वह मेरी बहू नहीं सहेगी। इस घर में बहू आ रही है कोई चलता फिरता रोबोट नहीं आ रहा है जो आपको आपकी मर्जी के हिसाब से सारी सुविधाएं उपलब्ध कराएगी।
मेरा जमाना अलग था पर आप लोग की सोच आज भी नहीं बदली। उसकी बात सुनकर रमेश और अम्मा को भी एहसास हुआ कि हां हम लोग ने उसे इंसान कभी समझ ही नहीं उसे हमेशा रोबोट ही समझा। रमेश को बहुत शर्मिंदगी महसूस होने लगी। अम्मा ने उषा से कहा-“उषा बिल्कुल सही कह रही हो हमने कभी इस तरीके से सोचा ही नहीं था हमें अपनी गलती का एहसास है आगे के सब निर्णय तुम्हारे हिसाब से होंगे।
कविता अर्गल इंदौर म. प्र.