“बहू ये क्या तमाशा था… ये सब लड़कियाँ कौन थीं और तुमने उन्हें यहाँ क्यों बुलाया था?” सुनंदा जी ग़ुस्से में बहू राशि से बोलीं
“ मुझे उनसे काम था…।” संक्षिप्त उत्तर दे राशि एक बंद पड़े कमरे की ओर बढ़ गई
“ अब वहाँ क्या करने जा रही हो…. जब से आई हो दिमाग़ ख़राब कर के रखी हुई हो…पता नहीं क्या सोच कर तुम्हें ब्याह कर बहू बना हम घर ले आए थे ।” सुनंदा जी भुनभुनाते हुए राशि के पीछे पीछे आ गई
राशि कमरे के एक छोर पर खड़ी हो कुछ आंकलन कर रही थी….फिर सब बिखरे सामान समेटकर उस कमरे को व्यवस्थित करने लगी।
“ करना क्या चाहती हो बोलों भी।” पास आकर सुनंदा जी राशि का हाथ पकड़कर अपनी ओर घुमाते हुए बोलीं
“ मैं पैसे कमाना चाहती हूँ ।” कह राशि हौले से हाथ छुड़ाकर कमरे को ठीक करने लगी
राशि के उखड़े मूड को देख सुनंदा जी समझ गईं बेटा बहू में ज़रूर कोई बहुत बड़ी बात हो गई है तभी राशि का व्यवहार ऐसा हो रहा है
“ बहू क्या बात है ….क्या निकुंज की कमाई से घर खर्च मुश्किल हो रहा है जो तुम अब ये क्या नया सपना देख रही हो .. ये सब शोभा देगा क्या हमें?” सुनंदा जी ने कहा
“ हाँ माँ यही समझ लीजिए मैं एक नया सपना देख रही हूँ… क्या लड़कियों को अपने सपने पूरे करने का हक़ नहीं होता?” राशि ने पूछा
“ बहू ये मैं कब कह रही हूँ कि लड़कियों को सपने पूरे करने का हक़ नहीं है पर कुछ दिनों से देख रही हूँ ….तुम दोनों के बीच सब ठीक तो है ना… कुछ छिपाना मत मुझे घबराहट हो रही है?” सुनंदा जी सच में परेशान हो गई
अभी शादी को साल भी नहीं हुआ है और बेटा बहू के बीच अनबन होना सही संकेत नहीं दे रहा था… हालाँकि शादी के समय सुनंदा जी को पता था राशि हमेशा कुछ अलग करना चाहती थी….उसने पढ़ाई के साथ साथ पेंटिंग, गिटार , कुकिंग और एम्ब्रॉयडरी सीखा हुआ था….
अपने आसपास के लोगों को सीखाया भी करती थी….शादी बाद शहर भी छूट गया था और ये काम भी… वो कई बार दबे स्वर में कहती भी थी ,“ मुझे कुछ काम करना है… मेरा हमेशा से सपना रहा है कुछ करने का।”
पर निकुंज हमेशा ये कह कर चुप करा देता,“ ये घर है ,माँ है इनके साथ रहो, घर पर ही सौ काम होते है वो काम करो… लड़कियों को ज़्यादा सपने नहीं देखने चाहिए ।”
राशि चुप रह जाया करती थी ।
“ बोल ना बहू …. ।” ये सब याद आते सुनंदा जी ने कहा
“ माँ निकुंज के पैसे कम नहीं है…पर मेरी ख़ुशियाँ कम हो रही है….इतने बड़े घर में भी मुझे बड़ी ख़ुशी नहीं मिल रही…. मेरा सपना शादी कर इन सब में खुद को झोंक देने का कभी नहीं था….कुछ दिनों पहले मेरी एक सहेली से फोन पर बात हो रही थी बातों बातों में उसने पूछा क्या करती है दिन-भर घर में… मैंने कहा घर के काम ….
जब उससे पूछी वो क्या करती है तो बताया…. उसने एक संस्था बना रखी है लड़कियों और महिलाओं को स्वरोज़गार के अवसर देती हैं….मेरे दिल में भी इच्छा हुई उसके पास जाकर देखूँ और उसके साथ जुड़ कर काम करूँ ये बात जब निकुंज से की वो बिफर पड़ा….यहाँ तक ये कह दिया कहीं बाहर जाकर सपने पूरे करने की ज़रूरत नहीं है…
चुपचाप घर में रहो… माँ अकेले रहे वो मुझे नहीं पसंद…. वो हमारे साथ रहने आई है….तब मैंने अपनी दोस्त से बात की कोई मदद चाहिए तो बोलना मैं घर पर रह कर करना चाहती हूँ….. तो उसने सलाह दिया कुछ ऐसी लड़कियाँ हैं जिनमें हुनर बहुत है पर सही दिशा निर्देश के बिना वो सही काम नहीं कर पा रही तू चाहे तो उन्हें….
एम्ब्रॉयडरी, पेंटिंग और कुकिंग सीखा दे…वो लड़कियाँ इसलिए ही आई थी कल से वो सीखने आएगी….. उन्हें क्या सामान चाहिए वो मेरी दोस्त दिला कर भेजेंगी फिर उन सामानों को बेचकर जो पैसे आएँगे वो हिसाब से सबको दे देंगी…. मेरा भी सपना पूरा हो जाएगा…. इन लड़कियों को सिखाने का ।” राशि ने अपनी बात कह दी
“ अच्छा सोचा है बेटा पर निकुंज?” सुनंदा जी कुछ सोचते हुए बोली
“ माँ अब उसकी परवाह नहीं क्योंकि मुझे घर में रहना था ,जो मैं करूँगी वो निकुंज के जाने के बाद और उनके आने से पहले ख़त्म….।” राशि ने लापरवाही से कहा
“ वो तो ठीक है बेटा पर…।” सुनंदा जी कुछ चिन्तित होते हुए बोली
“ पर क्या माँ … आपको भी लगता मैं कुछ ग़लत करने जा रही हूँ….. माँ अभी पैसे की कमी नहीं है सही बात है पर थोड़े उसमें जुड़ जाए तो उसमें बुराई क्या…. आप देगी ना मेरा साथ….?”राशि ने पूछा
राशि की आवाज़ में मनुहार था जिसे सुनंदा जी ना नहीं कह पाई….
राशि ने अपने सपने को पूरा करने के लिए अपने हिसाब से तरीक़ा चुन लिया था ।
दोस्तों हम सब में कोई ना कोई हुनर होता है ,क़ाबिलियत होती है, सपने होते हैं जो कहीं न कहीं पूरे नहीं हो पाते….बस पहल करने की ज़रूरत होती हैं और वो हमें खुद ही करनी होगी कोई और नहीं कर सकता।
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धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
एकदम सही बात जिसके अंदर जो हुनर हो उसे करने का मौका मिलना ही चाहिए।
दीदी आपकी कहानी बहुत अच्छी और प्रेरणादायक है।👌
Absolutely