आज सुबह से ही नंदिनी को उसका दो साल का बेटा पार्थ परेशान कर रहा था वह उसे कोई भी काम नही करने दे रहा था और न ही किसी के पास जा रहा था। यह देखकर पति नीरज ने कहा…..” कि तुम पार्थ को संभालो मैं दोपहर में खाना खाने आ जाऊंगा।” नंदिनी ने नाश्ता बनाया और दाल, सब्जी बनाई फिर रोटी के लिए आटा गूंथकर रख दिया। वह पार्थ को लेकर रूम में आ गई। सबसे पहले उसने गर्म तेल से मालिश की और दवाई खिलाकर गोद में लेकर उसे सुलाने लगी। पार्थ को सर्दी और जुकाम हो गया था। कभी-कभी उसे जकड़न की वजह से सांस लेने में दिक्कत होती तो वह रोना शुरू कर देता। लेकिन जब नंदिनी उसे अपनी गोद में ले लेती तो गोद की गर्माहट से उसे आराम मिल जाता और वह आराम से सो जाता। पार्थ को सुलाते हुए नंदिनी की भी कब आंख लग गई उसे पता ही नही चला।
अचानक से बाहर से तेज आती आवाजों से उसकी नींद खुल गई उसने देखा कि घड़ी में तीन बज रहे थे। वह भागकर बाहर आई तो सभी लोग नीरज से नंदिनी की शिकायत लगा रहे थे। पार्थ भी जग गया था और सबको लड़ते देखकर वह रोने लग गया था।
महारानी जी सो रही हैं किसी के खाने – पीने की चिंता ही नही है, सासू मां निर्मला जी ने गुस्से में कहा।
मैं सारा खाना बनाकर ही पार्थ को रूम में लेकर गई थी सिर्फ रोटी ही तो सेंकनी थी। अभी सेंक देती हूं…. नंदिनी ने लड़ाई को शांत करने के उद्देश्य से कहा।
अब हम लोग महारानी के हिसाब से खाना खायेंगे… ननद अर्पिता ने अपनी मां का साथ देते हुए कहा।
बस करो तुम सब लोग…. मां जरा सी गलती हो जाने पर बात को इतना ज्यादा बढ़ाने की क्या जरूरत है, क्यूं आप हमेशा उसे जरा सी गलती होने पर कटघरे में खड़ा करके उसे दोषियों की तरह सजा सुनाई रहती हैं मां वो आपकी बहू है कोई अपराधी नहीं है.. वह आपकी बेटी की तरह है। आपको पता भी है नंदिनी रात भर से सोई नहीं है, रात भर से उसे गोद में लेकर बैठे-बैठे ही सुलाने की कोशिश कर रही है। अगर आंख लग भी गई तो क्या हो गया। मां ऐसी परिस्थितियों का सामना तो आपने भी किया होगा जब हम भी बचपन में बीमार हुए होंगे। फिर आपको नंदिनी की परेशानी क्यों नही दिख रही। अर्पिता और नंदिनी की उम्र में कोई खास फर्क नहीं है फिर इतना काम और इतनी जिम्मेदारी के साथ उसके साथ ऐसा व्यवहार। मां अपनी सोच और नजरिया बदलो और अर्पिता रोटियां तो तुम भी सेंक सकती हो…. भाभी से ऐसे बात की जाती है। कल को तुम भी ससुराल जाओगी और भाभी वाली परिस्थितियां
तुम्हारे साथ भी होंगी, तुम्हारे साथ भी जब कोई ऐसा व्यवहार करेगा तो कैसा लगेगा।
यह सुनते ही निर्मला जी को अपनी भूल का अहसास हुआ कि वह कितना गलत व्यवहार कर रही थीं उन्होंने नंदिनी से माफी मांगते हुए कहा…. नीरज सही कह रहा है मैं भूल गई थी कि तुम बहू के साथ साथ मां भी हो और उसके प्रति भी तुम्हारे फर्ज हैं। अर्पिता तुम भी भाभी से माफी मांगो और आइंदा से इस तरह से बात मत करना।
“भाभी मुझे माफ कर दो और आप पार्थ को संभालो और
आप बैठो रोटी मैं सेंक लेती हूं”…. अर्पिता ने कहा और रसोई में चली गई।
नंदिनी की आंखों में नीरज के लिए प्यार और सम्मान और बढ़ गया। उसने आंखो ही आंखो में नीरज को उसका साथ देने के लिए पलके झुकाकर धन्यवाद कह दिया। नीरज ने भी उसे आश्वासन दिया कि वह उसके साथ गलत व्यवहार नहीं होने देगा।
किरण विश्वकर्मा