आंखों पर बंधी पट्टी। – पूनम भटनागर : Moral Stories in Hindi

आज आफिस में बहुत काम था, कमर दुखने आ गई, काम करते करते, फिर छः बजे का एलारम गूंजा, तो टीया की तंद्रा टूटी, वह फाईलें समेट उठ खड़ी हुई।थके कदमों से बाहर निकली ही थी,कि आसिमा आतीं दिख गई,

और टिया कैसा दिन रहा तेरा।

बड़ा ही हैक्टिक, वहीं ढेर सारी फाइलें और और उनके अंदर के केसेज।

थक जाते हैं यार, इस काम के बोझ तले।

तू ठीक कह रही है, मेरे आफिस का भी यही हाल है, दोनों को बस आती दिखी तो वे बस में सवार हो गयी।

बस क्योंकि यही से भरकर चलती थी तो एक खाली सीट पर दोनों बैठ गई। दोनों ने बात शुरू की,

जानती है टिया, आज मेरे हसबैंड से आफिस आते आते झगड़ा हो गया, आसिमा बोली।

क्यों, टीया ने पूछा।

रीनी को हल्का बुखार था, उसे डॉक्टर के ले जाने पर मेरी मीटिंग मिस हो जाती, मैंने राजेश से कहा कि आज तुम आफिस लेट चले जाओ, मेरा मीटिंग अटेंड करना जरूरी है,बस पूरी बात सुने बिना ही वह झगड़ पड़ा,मन तो मेरा भी था

कि कुछ सुना दूं,पर लेट हो रही थी सो बिना बोले ही बैग उठा कर आफिस आ गई,लंच के बाद, फोन राजेश का ही आया,कि रिनी का बुखार अब उत्तर गया है, मैंने आज छुट्टी ले ली थी, क्या करूं रोज़ कोई न कोई बात हो ही जाती है, खैर तू सुना, तूने फैसला किया कि रोहित को सब बताएगी

अभी संशय में हूं कि बात करूं या नहीं, कही गिरीश के बारे में सुनकर रोहित भड़क न उठे, है तो आखिर गुस्से वाला ही।

हां रिस्क तो है है, पर बात छुपाना ज्यादा देर तक ठीक नहीं होगा। तू अच्छी तरह से विचार कर लें और दोनों बस से नीचे उतर कर अपने अपने घर चल दी।

घर आकर वह रोहित और अपने लिए चाय का पानी चढ़ा ही रही थी,कि रोहित का फोन आ गया कि वह मीटिंग की वजह से लेट आएगा और खाना भी बाहर ही खाकर आएगा। टीया ने अपने लिए चावल बनाए व जल्द ही बिस्तर पर आ गई। पर थके होने के बावजूद वह सो नहीं पा रही थी, बार बार

आसिमा के कहे शब्द उसके कानों में दौड़ने लगते कि, अब रोहित को सब बता दे, वरना बहुत लेट हो जाएगा। आसिमा और वह बराबर की बिल्डिंग के आफिस में काम करते हैं। टीया एक फार्मा कंपनी में सी ओ के पद पर हैं, अच्छी सैलरी ले रही है, और आसिमा एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर के पद पर हैं

वह भी अच्छा कमा रही है। दोनों की दोस्ती आफिस आने जाने में हुई।दो साल की दोस्ती में दोनों सहेलियां आफिस के अलावा घर की बातें भी एक दूसरे से शेयर कर लेती है। इसलिए ही वह टीया और गिरीश के बारे में जानकारी रखते हुए उसे सलाह देती रहती है

 टीया के घर में टीया के अलावा उसका पति रोहित है, वैसे तो रोहित एक अच्छे स्वभाव का है, पर है थोड़ा गर्म मिजाज। बाकी दंपतियों की तरह ये भी आपस में झगड़ ही पड़ते हैं

, पर रोहित की दूर अंदाजी से सब सुलझ भी जाता है, पर परेशानी उसके आफिस की है। गिरीश , जो उसका सहयोगी बन आठ एक महीने से आफिस आया। वह देखने में,व व्यवहार में आकर्षक था, काम में भी टीया का सीनियर हो कर आया। काम के सिलसिले में दोनों आफिस से बाहर भी चले जाते, और देखते ही देखते दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई।

दोनों आफिस के बाहर भी वक्त बिताने लगे। पर अब टीया के पति का सवाल था, टीया कभी सोचती कि वह पति को बता दें, पर कर नहीं पाती।अब आसिमा भी उस पर रोहित को बताने का दबाव डाल रही थी।

सोच सोचकर उसके सिर की नसों में दर्द होने लगा , तभी उसने फैसला किया कि वह कल रोहित को सब बता देगी। और ऐसा सोचकर उसकी आंखें लग गई।

अगले दिन सुबह के बाद रोहित अपने आफिस काम कर रहा था, वह उसके पास बैठ कर बात शुरू करने लगी। लगभग आधी बात अपनी व गिरीश कि दोस्ती की बताई होगी कि रोहित निर्विवाद भाव से बोल पड़ा कि परसों भी तुम उसके साथ ही लंच करके आई थी।

कभी उसके साथ भुट्टा खा रही होती हो,वह आश्चर्य चकित सी रोहित को देखते रह जाती है, तभी रोहित उसकी तरफ देखता हूं कहता है कि टीया, तुम फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हो, तुम चाहो तो तुम आजाद हो, पर इस आखिरी वाक्य में रोहित का स्वर भीग जाता है और वह पकड़ा हाथ छोड़ कर आंखे पौछने लगता है,

पर रोहित का वह भीगा स्वर टीया को विचलित कर अंदर से तोड जाता है, उसे अपना और रोहित का पांच सालों का साथ एक पल में आंखों के आगे दृष्टि पटल हो जाता है और आंखों पर बंधी पट्टी एकाएक खुल जाती है। रोहित  और उसका साथ उसकी पैरों की जंजीर बन जाता है और वह रोहित को पकड़ कर बिलखते हुए उसके सीने से लग जाती है, और टीया के अंदर का दुहराव समाप्त हो उसे सही फैसला लेने को आतुर कर देता है।

* पूनम भटनागर।

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