आँखें खुल गई – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  प्राची काॅलोनी में नई थी।किसी से खास उसका परिचय नहीं था।ऐसे में उसकी पड़ोसिन देविका जी ने उसकी तरफ़ दोस्ती का हाथ बढ़ाया।उसे बहुत अच्छा लगा।देविका जी उसे शहर और काॅलोनी की पूरी रिपोर्ट समय-समय पर बताती रहती थीं, साथ ही अपने परिवार की प्रशंसा करना भी कभी नहीं भूलती थीं।

       एक दिन प्राची किसी काम से देविका जी के घर गई तो एक सूटेड- बूटेड नवयुवक को बैठे देखकर चौंक गई।उन्होंने परिचय कराते हुए कहा कि ये मेरा भाई है प्राची..कनाडा में इसका बहुत बड़ा बिजनेस है।यह तो हमेशा देश- विदेश की यात्राएँ करता रहता है।मंहगी-महंगी गाड़ियों में घूमता रहता है…।प्राची हाँ-हूँ करते हुए उनकी बात सुनती रही।

        फिर तो देविका जी जब भी प्राची से मिलती,बातों-बातों में एक बार अपने भाई की प्रशंसा अवश्य करतीं।एक दिन प्राची अपना पति के साथ मार्केट गई।उसके कार के अगले पहिये में हवा कम थी तो उसके पति एक पेट्रोल पंप के पास रुककर हवा भराने लगे तभी प्राची की नज़र पेट्रोल भरने वाले युवक पर पड़ी तो वह चौंक गई, ” अरे! ये तो देविका जी का भाई है।वो तो बता रही थी कि उनका भाई कनाडा में बिजनेस करता है तो फिर यहाँ सबकी गाड़ियों में पेट्रोल क्यों भर रहा है?

     अगले दिन प्राची ने अपनी काॅलोनी की ही एक महिला नंदा को देविका जी के भाई के बारे में बताया तो वो हँसकर कहने लगी।बोली,” प्राची…हमें तो पहले से ही मालूम था…तुम बहुत भोली हो…इसीलिए नहीं समझ सकी कि थोथा चना, बाजे घना।”

   ” क्या मतलब…।” प्राची ने आश्चर्य-से पूछा।

नंदा बोली,” प्राची…जैसे खाली डिब्बा, खाली बाल्टी बहुत आवाज़ करती है ना, वैसे जो लोग अंदर से कुछ नहीं होते वो ऊपर से बहुत कुछ होने का शोर करते हैं।देविका जी भी वैसी ही हैं।उनको काॅम्प्लेक्स था कि उनका भाई पेट्रोल पंप में काम करता है।इसीलिए सबसे उसकी झूठी प्रशंसा करके अपना रुतबा ऊँचा करती रहती थीं।एक दिन हमने उनके भाई को पेट्रोल पंप पर काम करते देख लिया।पोल खुलने पर तो वो हमसे कन्नी काटने लगी।तुम नई हो..इसलिये तुम्हें भी वही कहानी सुनाकर तुम पर अपना प्रभुत्व कायम करना चाहती थी…. लेकिन तुम्हें भी…।” कहकर नंदा व्यंग्य से मुस्कुराई।

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       प्राची की आँखें अब खुल चुकी थी।एक मन किया कि जाकर देविका जी को सच्चाई बता आये लेकिन फिर कुछ सोचकर उसने चुपचाप उनसे किनारा कर लिया।

      एक दिन प्राची की एक सहेली ने उससे कहा,” प्राची…जानती हो…अपने लेडिज़ क्लब में श्रुति नाम की एक नई मेंबर आई है…बहुत रईस है यार…उसके भाई का दुबई में कई होटल हैं, उनका बेटा भी क्लास का टाॅपर है और उनकी बेटी तो इतनी खूबसूरत…।”

   प्राची हँसने लगी….बोली,  ” तुमने ये सब देखा है क्या?”

  ” नहीं…उसने बताया है तो मैं…।”

प्राची बोली, ” डियर…थोथा चना, बाजे घना।”

 ” क्या मतलब? “

” मतलब तुम अपने बेटी की हिन्दी किताब में देख लेना।” कहते हुए प्राची ज़ोर-से हँसी और सोचने लगी, कैसे-कैसे लोग होते हैं दुनिया में….अंदर से तो खोखले होते हैं पर शोर ऐसा करते हैं जैसे पूरी दुनिया उनकी मुट्ठी में हो।

                                             विभा गुप्ता

# थोथा चना,बाजे घना                स्वरचित

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