मधु के बेटे की नई -नई शादी हुई थी।शादी का सारा इंतजाम नमिता(,बेटी),ने किया था। निमंत्रण पत्र से लेकर बग्गी,कपड़े, मेकअप,खाना सब नमिता अपनी देखरेख में बनवा रही थी।आखिर उसके इकलौते दो साल बड़े भाई की शादी जो थी।मधु सारा दिन नमिता -नमिता करती रहतीं,और नमिता मिनटों में सब काम निपटा रही थी।घर की पहली शादी,उस पर भाई बड़ा शौकीन।उसकी एक -एक पसंद का ख्याल रखा था नमिता ने।
सगाई वाले दिन तो मधु का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया था,जब लड़की वालों ने किसी और जगह सगाई करने की इच्छा जताई।वह नमिता ही थी,जिसने सब कुछ शांति से संभाला।
पिताजी ने एक दो बार टोका भी”,नमिता,कपड़ों और बाकी तमाम चीजों में यूं पैसा पानी की तरह ना बहाओ।सोच समझ कर खर्च करो।अभी रिसेप्शन भी है।
नमिता ने पिताजी को समझाया,”पिताजी अब आपकी बेटी भी कमाती है।एक ही भाई है मेरा। अपने सारे शौक मुझे ही तो बताता है बिचारा।मैं नहीं करूंगी तो कौन करेगा?”
एक छोटे से कस्बे में पहली बार इतनी बढ़िया शादी हुई।हल्दी,मेंहदी,लगुन हर रस्म में जान डालने वाली थी बहन-नमिता।अपनी होने वाली भाभी के मेकअप से लेकर मैचिंग कंगन,सैंडल लाने वाली नमिता को देखकर लग रहा था कि वह बड़ी है ,भाई छोटा।
नानी ने टोका”नमिता बेटा,भाई से जे लाड़ अब बंद कर दें।ब्याह को बाद सब बदल जाय।ये भी बदल जाएगा।फिर अपना मुंह छोटा ना करना।”
भाई(नरेश)नानी के गले में बांह डालकर मसखरी करता”,क्या नानी ,आप फूट डाल रहीं हैं भाई बहन के बीच में।जो मेरा है सब उसी का तो है।”नानी ने फिर चुटकी ली”तब तो तेरा हिस्सा कम हो जाएगा।”,
नरेश ने कहा”नमिता मेरी जान है।उसकी कोई भी बात मैं कभी नहीं काट सकता।सूरज पश्चिम से भले निकल आए,पर नमिता जो एक बार मांग ले मुझसे,मैं जरूर दूंगा।”,
सारी रस्में विधिवत हो गईं।नमिता की भाभी घर आ चुकी थी।सारे सदस्यों ने स्वागत किया नई दुल्हन का।नमिता ने अपने पैसों से खरीदी डायमंड अंगूठी भाई और भाभी को दी।
शादी के बाद ही नमिता मुंबई आ गई।नौकरी करती थी वह पिछले चार सालों से।इस बार विदाई के समय मम्मी ने अल्टीमेटम देकर ही भेजा था,कि अब तुम्हारी बारी है।अगर खुद पसंद कर के रखी हो,तो बता देना।
मुंबई आकर अब नमिता को लगा कि राघव के बारे में घर वालों को बताना होगा।राघव ने तो वीडियो कालिंग में अपनी मां से बात करवा दी थी।नमिता को देखकर राघव की मां ने मौन स्वीकृति दे दी थीं।अब राघव का परिचय करवाने की बारी थी,नमिता के परिवार वालों से।नमिता ने सोचा कि मम्मी और पिताजी से पहले बड़े भाई को राघव के बारे में बता दें।
दीपावली के एक माह पहले नमिता ने राघव का नंबर देकर कहा”भैया,बात कर लीजिएगा,इससे।बात कर कैसा लगा ,बताना।राघव के बारे में पूरी जानकारी दे चुकी थी।अब उसे सिर्फ बात करनी थी राघव से।
काफी टाल-मटोल करने के बाद राघव से बात तो की नरेश ने,पर निष्कर्ष नकारात्मक ही निकला।राघव एक तो दूसरी जाति(उच्च) का था।नेवी में था।कम उम्र में ही लेफ़्टिनेंट बन गया था वह।नरेश बार -बार यही कहता” कि मम्मी पापा नहीं मानेंगे।परिपक्वता कम है अभी तुम दोनों ही में।परिवार में क्लेष बढ़ेगा। अभी-अभी तो तेरी भाभी आईं हैं हमारे घर।जब उसे पता चलेगा कि तेरी लव मैरिज हो रही है,क्या मुंह दिखाऊंगा उसके परिवार वालों को?”
नमिता अपने बड़े भाई के मुंह से यह सब दकियानूसी बातें पहली बार सुन रही थी।भाई ने ही उसे बाहर पढ़ने,नौकरी करने का साहस दिया था। साफ-साफ शब्दों में नरेश ने कहा राघव से”मुझे नहीं लगता,यह शादी कभी होगी भी।तुम दोनों फिर से सोचकर देख लो।बात अभी उतनी आगे भी नहीं बढ़ी है।”
राघव अचंभे से बोला”भैया,बात तो बढ़ ही चुकी है।मेरी मम्मी ने पसंद कर लिया है नमिता को।हम दोनों एक दूसरे के साथ खुश रहेंगे।मैं नमिता को कभी दुख नहीं दे सकता।आप अपने परिवार में एक बार तो बात छेड़िये। छोड़ना तो बहुत आसान है,आप जोड़ने की कोशिश करिए ना।”
नमिता राघव और भैया की बातें सुन रही थीं।वह जान गई थी कि उन्हें विशेष रुचि नहीं है इस रिश्ते में।जिस भाई के दम पर वह इतनी दूर निकल आई थी,आज वही सिर्फ अपनी पत्नी के परिवार वालों की चिंता कर रहा था।आखिर में उसने नमिता से कहा”नमिता ,इस बात की खबर मम्मी पापा को नहीं होनी चाहिए।मैं समय देखकर बता दूंगा,अगर बताने लायक हुआ तो।”
नमिता की नजरों से आज भाई गिर चुका था।उसने भी सहज होकर कहा”ठीक है भाई,अब जो भी बताना होगा,मैं बताऊंगी। मम्मी पापा दोनों को मैं ही बताऊंगी।आखिर अपनी बेटी की खुशी वो भी चाहते होंगें।अगर राघव या उनके परिवार वाले मम्मी पापा को पसंद नहीं आए,तो मैं शादी नहीं करूंगी।आप निश्चिंत रहें,भाभी के सामने आपको शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा।”
अगले ही दिन नमिता ने मम्मी को फोन कर राघव के बारे में बताया। अप्रत्याशित रूप से उन्होंने सारी बात सुनी और कहा”हमें मिलना है उससे और उसके परिवार से। बातचीत करके ही हम किसी निर्णय पर पहुंचेंगे।तब तक तुम शांत रहना।”
नमिता अब चैन की नींद सो सकती थी।आगे जो भी होगा,विधाता का विधान होगा।उसने अपने मन का सच कम से कम मम्मी पापा से तो कहा।
शुभ्रा बैनर्जी