आलू के परांठे – लतिका श्रीवास्तव : hindi stories with moral

hindi stories with moral : शालू अपनी सासू जी को चाय देकर आई और साड़ी का पल्लू तेजी से कमर में खोंसते हुए जल्दी से आलोक के ऑफिस और बेटे पीयूष के टिफिन की तैयारी में जुट गई थी कि तभी बगल वाली सुमित्रा चाची आ गईं आइए आइए चाचीजी मां उधर आंगन में बैठी हैं आप वहीं चली जाइए शालू ने आलू छीलते से बिना ध्यान हटाए कहा लेकिन जब उसे ऐसा लगा की सुमित्रा चाची अभी भी वहीं खड़ी हैं

तो उसने पलट कर उनकी ओर प्रश्नवाचक निगाहों से देखते हुए पूछना चाहा कि मुझसे कोई काम है क्या!!जब उन्होंने फिर भी कुछ नहीं कहा तो शालू ने चाची आप चाय पियेंगी !!पूछ लिया उसे ऐसा लगा चाची यही चाह रहीं थीं ….रहने दे बहू तू दूसरे काम में लगी है तुझे परेशानी होगी चाय बनाने में!!आलू के पराठे बना रही है क्या !!

मैं भी अपनी बहू से कितने दिनों से कह रही हूं आलू के पराठे बनवाने के लिए…..शालू समझ गई इनके घर फिर से आज दूध फट गया है और इनकी खाना वाली मेड अभी तक नही आई है…उसने तुरंत  चाय चढ़ा दी और उन्हें मां के पास ले गई चाचीजी आप यहां बैठ कर मां से बात करिए मैं अभी चाय ले आती हूं….मां आप भी थोड़ी चाय और ले लीजिएगा शालू मां से कहती हुई तत्काल चौके में पहुंच गईं थी।

शालू समझ गई थी मां जी को सुमित्रा चाची का इस वक्त आना बिलकुल अच्छा नहीं लगा है लेकिन अब शालू भी क्या करती ..! वह दोनो के लिए चाय के साथ थोड़ा सा नमकीन चिवड़ा भी लेकर गई तो सुमित्रा चाची तो प्रसन्न ही हो गईं लेकिन मां जी ने नहीं बहू मैं और चाय नहीं पियूंगी एक कप पी चुकी हूं अब पूजा खत्म होने के बाद नाश्ते के साथ लूंगी तू ले जा इसे आलोक को दे देना….

तब तक चाची ने उस चाय को भी उठा कर अपने कप में उड़ेल लिया और हंसकर कहने लगी अरे क्या आलोक की मां एक तो तुम्हारी बहुरिया ऐसी बढ़िया दूध की चाय बना कर लाई और एक तुम हो के मना कर रही हो!!एक वो हमारी बहू रानी है अभी तक नींद नहीं खुली है उनकी… रोज इसीलिए दूध फट जाता है खाना वाली मेड देर से आती है …ये नहीं कि सुबह से उठ कर चाय नाश्ता बना ले ….मेरा बेटा भी उसे कुछ नहीं बोलता…..शालू उनकी बातें शुरू होते ही वहां से वापिस चौके में आ गई थी।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

उपहार – संजय मृदुल

अरे जानती हो रमा जीजी सब कहते हैं तुम  गंवारन बहू लाई हो तुम्हारी बहू गांव की है तो अच्छा है शहर की हवा ना लगने देना इसे अभी तो बहुत अच्छी है पर देखना धीरे से इसके भी भाव ताव बदलने लगेंगे और हां इसे मेरी बहू की संगत से दूर रखना नहीं तो मेरे गिरगिट को देख कर तुम्हारी ये गिरगिट भी रंग बदलने में देर ना करेगी….बड़े प्रेम से चाय सुड़कते सुमित्रा चाची का सर्वाधिक पसंदीदा टॉपिक बहू पुराण शुरू हो गया था…।

अरे धीरे बोल सुन लेगी तो तुझे चाय भी ना मिल पाएगी… पर सच्ची कहती हो सुमित्रा मेरी बहू गंवार ही है कल बेटा आलोक उसे क्लब ले जाना चाह रहा था पर ये तो तैयार ही नहीं हुई उल्टे मुंह बनाने लगी अरे क्लब क्यों जा रहे हैं इससे अच्छा तो मां जी को मंदिर घुमा लाइए… भला बता ये आजकल के जमाने की है क्या!! रमा की आवाज में आश्चर्य था।

हां जीजी मेरी बहू रेणु को देखिए हर पार्टी की शान है चाहे कॉलोनी की हो या बेटे के ऑफिस की या रिश्तेदारी की..!! ऐसी स्मार्ट है कि आंखें चकाचौंध हो जाती हैं… बिचारा आलोक!! किस्मत खराब हो गई उसकी जिज्जी जो ये गंवारण उसके गले पड़ गई सोसाइटी में उठने बैठने का भी एक कायदा होता है पर तुम्हारी बहू में है ही नहीं ..!!

कैसे रहेगा सुमित्रा बचपन में इसकी मां गुजर गईं थीं पिता और छोटे भाई दोनों की सेवा और ख्याल करते खुद इसका बचपन कब बीत गया पता ही नही चला प्राइवेट ही सारी पढ़ाई इसने की … इसके पिता और आलोक के पिता मित्र हैं आना जाना लगा रहता है  बस आलोक के पिता को ये घरेलू सी लड़की भा गई और बेटे के लिए इसका हाथ मांग बैठे बहू बना लाए… ।

ममी जी आप यहां क्या कर रही हैं मुझे योग क्लास  जाना है

चलिए घर खुला है… रेनू सुमित्रा जी की बहू उन्हें ढूंढते आ गई थी।

लो रेनू तुम भी चाय पी लो शालू रेणु की आवाज सुनकर उसके लिए भी चाय ले आई थी।

मैं ये वाली चाय नहीं पीती हूं शालू तुम्ही पियो इसको और इन बूढ़े लोगों को पिलाओ रेणु ने हिकारत से मुंह बिचकाते कहा।

मैं तो ग्रीन टी पीती हूं … जानती हो ग्रीन टी क्या होती है छोड़ो तुम्हे क्या समझ आएगा गंवार हो तुम एकदम ।

ममी जी आप जल्दी घर पहुंचिए मुझे लेट हो रहा है… आलोक जी आप ऑफिस जा रहे हैं क्या अरे प्लीज मुझे भी योगा क्लास तक छोड़ दीजिए कहती रेणु आलोक के पास पहुंच गई।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

“खुशी का मानक ” – उषा भारद्वाज

जी भाभी थोड़ा इस शालू को अपनी संगत में रख लीजिए कुछ ढंग के तौर तरीके सीख जाएगी आपके साथ आलोक ने रेनू को देखते ही चुटकी ली।

आप कह रहे हैं तो फिर आज ही चल शालू अभी मेरे साथ योगा क्लास  फिर वहां से मैं तुझे ब्यूटी पार्लर ले चलूंगी आज कॉलोनी में मेहता भाभी के घर शानदार किटी पार्टी है तुझे भी ले चलूंगी रेणु ने तुरंत शालू की ओर मुड़ कर कहा लेकिन तब तक तो शालू किचन में पहुंच गई थी।

देखा आलोक जी आपकी पत्नी के कछु पल्ले ही नही पड़ता अक्खा गंवार है इन सब बातो का कोई महत्व ही नही समझती  व्यंग्य कसते हुए रेनू हंसने लगी।

तब तक शालू आलोक का लंच बॉक्स लेकर आ गई थी और एक प्लेट में दो आलू के परांठे सुमित्रा चाची के लिए भी ले आई थी..। रेणु मैने तुम्हारी बात सुन ली है पर मैं नहीं जा पाऊंगी मुझे आज मां के घुटनों की मालिश करनी है और बेटे पीयूष की प्रोजेक्ट फाइल बनवाने में मदद करनी है फाइनल्स होने वाले हैं उसके अगले महीने से … मुस्कुराते हुए हुए शालू ने कहा और सुमित्रा चाची को परांठे वाली प्लेट पकड़ा दी।

अरे पीयूष की प्रोजेक्ट फाइल की चिंता तुम क्यों करती हो कोचिंग वाले करवयेंगे ना आखिर इतनी मोटी फीस देते हैं हम कोचिंग में…..रेनू ने निहायत ही लापरवाही से कंधे उचकाते हुए कहा।

नहीं रेनू पीयूष कोचिंग नहीं जाता घर पर ही पढ़ता है शालू के कहते ही जैसे विस्फोट सा हो गया।

हद हो गई आलोक जी अगर पत्नी गंवार है आजकल के अनुसार चलने की उसको अक्ल नहीं है तो आप तो अक्लमंद हैं बिना कोचिंग के कौन पढ़ता है आजकल पियूष का भी भविष्य बर्बाद कर रहे हैं आप तो

भाभी जी शालू ही पढ़ा देती है …अभी तक तो अपनी क्लास में टॉप पर ही है पीयूष आलोक ने फिर से चुटकी ली।

ये क्या पढ़ा पाती होगी आजकल की पढ़ाई हुंह

शालू तुम्हे ना ही आजकल के फैशन की कोई समझ है ना ड्रेस सेंस है किटी पार्टी में जाने लायक तुम हो ही नहीं वो तो आलोक जी कहने लगे तो मुझे दया आ गई थी चलिए आलोक जी आपकी इस गवारन के चक्कर में मुझे ना फंसाए आप।

हां मैं भी तो यही कह रही हूं जीजी से कि मेरी शहरी बहू के चक्कर से शालू को दूर ही रखना वो गांव की है गंवार है तभी तो सुबह देर तक सोते रहने के बजाय जल्दी उठकर मेड के भरोसे नहीं है सबके लिए चाय नाश्ते की तैयारी कर रही है वो गंवार है तभी तो अपनी सास के साथ तेरी सास को भी चाय बना कर दे रही है प्रेम से बात कर रही है.. गंवार ही है ये जो किटी में नहीं जाना चाहती अपने बेटे को कोचिंग नहीं भेजकर खुद ही पढ़ाती रहती है…..मेरी जो इच्छा मेरी बहू नहीं समझ नही पाई वह ये गंवारण समझ जाती है …देख मुझे ये गरम पराठे मेरे बिना मांगे ही दे गई … जीजी तुम भाग वाली हो ऐसी गंवार बहू तुम्हे मिली है भगवान इसे सदा सुखी और प्रसन्न रखे.. गदगद होते हुए कहती जा रही थीं सुमित्रा चाची और शालू के बनाए आलू पराठे खाती जा रही थी।

रेनू हतप्रभ सी अपनी सास और शालू का मुंह देख रही थी और शालू एक मुस्कुराहट लिए फिर से किचन की तरफ मुड़ चुकी थी।

रमा जीजी सोच में डूब गईं कि असल में गंवार है कौन!!

भाभी जी चलिए आपकी योगा क्लास का समय बीता जा रहा है… हंसकर आलोक ने जड़वत खड़ी रेनू से फिर से चुटकी ली और अपनी गाड़ी की ओर बढ़ गया ।

लतिका श्रीवास्तव

 

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!