आपको तो अपनी बहू की अच्छाई के आगे कुछ दिखाई ही नहीं पड़ता है । – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

जमुना पति की मृत्यु के बाद घर में अकेले ही रहती थी । बेटी अमेरिका में रहती थी और बेटा सिंगापुर में रहता था । उन दोनों की शादी हो चुकी थी बिटिया फाल्गुनी के कोई बच्चे नहीं थे । लेकिन बेटा दीपक और बहू मेघा की एक बेटी थी अयति।

जमुना गहरी नींद में सो रही थी तभी अचानक फोन की घंटी बजी जिसकी वजह से उसकी नींद खुल गई थी । इतनी रात को किसका फोन हो सकता है सोचते हुए लाइट जलाकर चश्मा लगाकर देखती तब तक फोन कट गया था ।

उन्होंने देखा बहू मेघा का मिस्ड कॉल था । इतनी रात को मेघा ने फोन क्यों किया है यह सोचकर उसे फिर से कॉल किया एक ही रिंग में वहाँ मेघा ने फोन उठाया और उठाते ही बिना किसी भूमिका के कहा कि माँ मैं आपके बेटे से तंग आ गई हूँ उनसे तलाक लेना चाहती हूँ ।

जमुना के मुँह से आवाज़ नहीं निकली वैसे उन्हें मालूम था कि कभी ना कभी यह दिन आएगा ही और उन्हें यह सुनना ही पड़ेगा । जमुना ने ठीक है कहा और फोन रख दिया था ।

अब उसकी आँखों से नींद कोसों दूर चली गई थी और विचारों ने उसे आकर घेर लिया था ।

दीपक ने एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की है । बहुत ही होशियार है और इस बात का उसे घमंड भी है इसलिए अपने आगे वह किसी को कुछ नहीं समझता है। उसमें इगो की कमी नहीं है वह किसी भी लेडी बॉस के नीचे काम करना अपना अपमान समझता है । यह तो बाहर की बात है अब सोचिए घर में पत्नी का क्या हाल होगा । उसने मेघा का जीना दूभर कर दिया था ।

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उसमें सारे गुण अपने पिता के ही आए हैं । उनमें भी इगो की कोई कमी नहीं थी पैसों के पीछे भागते थे इसलिए जमुना को नौकरी छोड़ने नहीं देते थे । दो छोटे बच्चों के साथ सारा काम ख़त्म करके उसे सुबह सात बजे तक बस पकड़नी पड़ती थी उसकी तकलीफ़ को देखते हुए भी जमुना को नौकरी पर जाना ही पड़ता था ।

ऐसे ही समय पति जगन्नाथ को ऑफिस की तरफ से ईरान भेजा गया था कामवाली बाई नहीं आई थी बच्चों को अकेला नहीं छोड़ सकती थी इन सबका बहाना बनाकर उसने एक दिन नौकरी छोड़ दी थी।

जमुना को पता था कि दीपक भी बाप के पदचिह्नों पर चल रहा है इसलिए वह हमेशा बहू का ही पक्ष लेती थी दीपक को इसकी शिकायत रहती थी । सिंगापुर में कई बार जमुना ने देखा था कि मेघा दीपक के साथ बात करने के लिए भी काँप जाती थी ।

 उनकी शादी हुए एक साल में ही बेटी  पैदा हो गई थी । दीपक उसे भी नहीं छोड़ता था अनुशासन के नाम पर छोटी सी बच्ची को भी तंग कर देता था ।

जमुना और फाल्गुनी ने मेघा को कई बार समझाया था कि दीपक को तलाक दे दो तुम पढ़ी लिखी हो कहीं नौकरी कर लो इस तरह के व्यक्ति के साथ जीना मुश्किल है परंतु उसने उनकी एक नहीं सुनी थी शायद उसकी कोई मजबूरी होगी हमें बाद में पता चला कि मेघा पति को छोड़कर मायके क्यों नहीं जाना चाहती थी क्योंकि घर वालों ने मेघा को दीपक से शादी करने के लिए मना किया था । वे उसके बारे में पूरी तरह से पूछ ताछ करके निश्चिंत हो जाना चाहते थे परंतु दीपक के गोरे रंग को देखकर वह उसके साथ शादी करने के लिए जिद करने लगी थी ।

 मेघा चार भाई बहनों की आखिरी लाडली बहन थी तो वे मना नहीं कर सके और उसकी शादी चट मँगनी पट ब्याह जैसे अतिशीघ्र हो गई थी जिससे भाइयों को दीपक के बारे में जानकारी पाने का मौका नहीं मिल पाया था ।

अब मेघा मायके नहीं जा सकती थी क्योंकि भाई तो छोड़ो भाभी जरूर ताना कसेंगी । उसे यह लगता था कि मैं ही धीरे से उसमें सुधार लाने की कोशिश करूँगी । दीपक को सुधारने का काम  इतना आसान नहीं था यह उसे नदी में उतरने के बाद पता चला था ।

नतीजा यह हुआ कि वह उसके जुल्म तो सहन कर ही रही थी साथ में अयति को भी उसका भुगतान करना पड़ रहा था ।

मेघा ने देखा कि पिता के अनुशासन में रहकर अयति अब ढीठ होती जा रही थी वह पढ़ने के लिए मना करने लगी थी।  इसलिए मेघा ने किसी तरह से भाइयों की मदद लेकर उसे गुरुकुल के स्कूल में हॉस्टल में उसकी दाख़िला दिलवा दिया था और खुद वहीं सिंगापुर में ही नौकरी करने लगी थी ।

दीपक मेघा के सारे पैसे ले लेता था और उसे छोटी सी रकम भी दीपक से माँग कर लेनी पड़ती थी ।

इस बीच दीपक के ऑफिस में एक लेडी बॉस आई उसके आते ही दीपक ने नौकरी को इस्तीफ़ा दे दिया और मेघा से कह दिया कि हम इंडिया वापस जा रहे हैं ।

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मेघा ने हिम्मत करके उससे कहा कि मैं अपनी नौकरी छोड़ कर नहीं आऊँगी आपको जाना है तो चले जाइए क्योंकि आपको नौकरी मिलते तक अयति की देखभाल मुझे ही तो करनी पड़ेगी । आपको नौकरी मिल जाएगी तब मैं आ जाऊँगी ।

दीपक के दिमाग़ में क्या चल रहा था नहीं मालूम पर बिना मेघा से कुछ कहे वह इंडिया आ गया ।

दीपक ने जमुना से नहीं पूछा कि मैं आपके घर आकर रह सकता हूँ क्या ? ( क्योंकि वह अकेले ही इस घर में रहती थी ) जमुना ने भी उससे नहीं कहा कि तुम यहाँ आ जाओ । वह अपने बेटे और उसके इगो को अच्छे से जानती थी।

पति से उसने बहुत सारे दुख सहे थे उनकी मौत के बाद ही वह सुकून से जी रही थी । अब बेटे को बुलाकर इतिहास को दोहराना नहीं चाहती थी ।

दीपक ने एक अलग घर ले लिया और अकेले ही रहने लगा था । दीपक को इंडिया आए हुए कुछ महीने हो गए थे परंतु उसको अभी तक नौकरी नहीं मिली थी ।

वह अपने घर का किराया, खाने के और अपने सारे खर्च वह मेघा से लेने लगा। उसके खर्चे इतने ज़्यादा थे कि एक दिन मेघा ने उसे साफ साफ बता दिया था कि अपने खर्च कम करें क्योंकि वह उतने पैसे नहीं भेज सकती है । इस बात पर दोनों में पहले मेसेज के ज़रिए लड़ाई हुई ।

दीपक ने अपनी बेटी को भी माँ ख़िलाफ़ भड़का दिया था वैसे भी वह अपने पिता से डरती थी इसलिए माँ के खिलाफ पिता की बातों का विरोध नहीं कर सकती थी । मेघा ने तो दीपक से बात करना बंद कर दिया और आज उसने सास को फोन पर बताया था कि अब वह दीपक के साथ नहीं रहना चाहती है ।

एक दिन दीपक ने माँ को फोन किया और कहा कि  आपको तो अपनी बहू की अच्छाई के आगे कुछ दिखाई ही नहीं पड़ता है उसकी बहुत तरफ़दारी करती थीं ना आपको मालूम है आपकी लाडली बहू ने क्या किया है? जमुना ने मुँह से कुछ नहीं कहा परन्तु उसके चेहरे पर एक प्रश्नचिह्न आया । उसने मुझ पर हेरासमेंट का केस कर दिया है । कल पुलिस ने मुझे पुलिस स्टेशन बुलाया था और आपने उस पर विश्वास करके अपने गहने बैंक बैलेंस और यहाँ तक इस घर में भी उसको हिस्सा दे दिया है ।

दीपक के मुँह से यह सुनकर जमुना सकते में आ गई थी । दीपक के लिए थोड़ा सा भी बुरा नहीं लगा । वह अब भी यही सोच रही थी कि इतने साल उस बच्ची ने इसके ज़ुल्म सहे हैं आज शायद उसके सब्र का बाँध टूट गया होगा इसलिए वह पुलिस थाने पहुँच गई थी ।

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मेघा ने फोन पर बताया था कि मैंने तो आपके बेटे से बात करना बंद कर दिया था लेकिन अयति से बातचीत करते हुए उन्होंने पता लगा लिया था कि मेरे ऑफिस से मुझे केनडा भेज रहे हैं बस मेरे पीछे पड़ गए थे कि मुझे भी साथ ले जाना ।

मैंने कहा था कि ले जाऊँगी पर पहले मुझे और मेरी बेटी को जाना पड़ेगा । माँ आप जानती हैं ना उनके ग़ुस्से को उसी ग़ुस्से में अयति का पासपोर्ट छिपा दिया मेरे लाख गिड़गिड़ाने पर भी नहीं दिया मैंने फिर से पासपोर्ट के लिए अप्लीकेशन दिया मुझे पक्का मालूम था उसे उन्होंने फाड़ डाला होगा ।

मैं अयति का पासपोर्ट लेने के लिए पोस्ट ऑफिस के लिए निकल ही रही थी कि दीपक ने अयति का नया पासपोर्ट मुझसे पहले अपने हाथ में ले लिया और मुझसे कह रहे हैं कि केनडा जाएँगे तो तीनों जाएँगे नहीं तो तुम अकेले ही जाओगी मुझे मजबूरन वकील के पास जाकर तलाक का केस करना पड़ा और पुलिस की मदद लेकर बेटी को अपने पास बुलाना पड़ा ।

दीपक के ऊपर पुलिस वालों और वकील की मदद से इस तरह के आरोप लगाए कि उसे भी मजबूरन तलाक नामे पर हस्ताक्षर करना पड़ गया था ।

ईश्वर की कृपा से तलाक मिल गया और मेघा अपनी बच्ची को लेकर केनडा के लिए रवाना हो गई थी । दीपक यहाँ अपने किए पर पछताते हुए अकेला ही रह गया । माँ से कहता है कि मेघा को कुछ नहीं देना उसके नाम पर जो कुछ भी है उसे मेरे नाम पर कर देना बाद में मैं अपनी बेटी को दूँगा ।

जमुना अभी भी अपनी बहू की तरफ़दारी ही करती है । उसे मालूम है कि उसके बेटे का प्यार उस कुत्ते के समान है जो प्यार आया तो चाटता है ग़ुस्सा आया तो काटता है । खैर अब ज़िंदगी तो काटनी ही है ।

के कामेश्वरी

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