आख़िरी वादा – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ चलो अब थोड़ा आराम कर लो…देख रही हूँ कितने दिन से तुम ना ठीक से सोये हो ना खाए हो…अभी आराम कर लो फिर उठ कर खाना खा लेना ।”सुनयना ने पति योगेश से कहा 

“ हाँ अब जाकर मुझे चैन की नींद आएगी… ऐसा लग रहा मैं गंगा नहा आया…अब तो बस आराम ही आराम करना है ।” कहते हुए योगेश चादर तान कर सोने की कोशिश करने लगे

सुनयना पति को सोता देख कमरे की बत्ती बंद कर वहाँ से निकल गई और सीधे उस जगह पहुँच गई जहाँ उसके पति हर सुबह जा कर बैठ कर समय व्यतीत करते थे ।

सुनयना ने कमरे में धूप बत्ती की और हाथ जोड़कर प्रार्थना कर कमरे से निकल गई ।

रसोई में जाकर पति की पसंद का खाना बनाते बनाते उसे सारी पुरानी बातें याद आने लगी….

सुनयना को विदा कर कर जब सब लोग आ रहे थे तो अहले सुबह कोहरे की वजह से एक ट्रक दुर्घटनाग्रस्त खड़ी थी जो नजर नहीं आई और उनकी कार के आगे जो कार चल रही थी वो उस ट्रक से जा टकराई….कार की स्पीड इतनी थी की ट्रक से ज़ोरदार टक्कर हो गई उस कार में योगेश के बड़े भाई भाभी और उनकी सात साल की बेटी थी 

उनके सिर पर गहरी चोट लगी थी…पर बेटी पीछे की सीट पर सो रही थी तो उसे कुछ ना हुआ 

योगेश के माता-पिता का देहांत हो चुका था और तब से योगेश की ज़िम्मेदारी माता पिता बन कर योगेश के बड़े भाई भाभी उठा रहे थे….सारे बाराती इकट्ठे हो कर उन्हें नज़दीकी अस्पताल ले गए….पर डॉक्टर उसके भाई भाभी को बचा ना पाए आख़िरी साँस तक दोनों अपनी सिया की ही फ़िक्र कर रहे थे….

भाभी ने अस्पष्ट शब्दों में जाते जाते योगेश और उसकी पत्नी से कहा,”आज से सिया की ज़िम्मेदारी तुम्हारी… उसे कभी भी हमारी कमी महसूस ना होने देना…बेटी की तरह रख कर उसे विदा करना … वादा करो तुम दोनों मेरी इच्छा पूरी करोगे ना?”

योगेश और सुनयना ने रोते रोते ये वादा किया।

उसके बाद से सिया की ज़िम्मेदारी दोनों ने माता पिता बनकर उठा लिया….सुनयना के अपने भी दो बच्चे हुए पर उसने सिया को ही हमेशा अपनी बड़ी बेटी माना… 

योगेश हर सुबह उठ कर अपने माता-पिता समान भैया भाभी के दर्शन करते थे और अपना वादा पूरा करने का दृढ़ संकल्प।

योगेश अक्सर कहते रहते,” सिया का कन्यादान करने का पुण्य कमा लूँ तो सोचूँगा गंगा नहा लिया ।” और  एक दिन पहले वही पुण्य काम कर के योगेश आज निश्चित हो गए थे ।

सुनयना सोचो के साथ काम करती जा रही थी की तभी उसकी बेटी आकर गैस बंद कर उसे झकझोरते हुए बोली,” कहाँ ध्यान है माँ कुकर कब से सीटी दिए जा रहा है तुम बंद ही नहीं कर रही।”

सुनयना बेटी की बात सुन वर्तमान में आई और योगेश को उठाने चल दी जो अपना आख़िरी वादा पूरा कर गंगा नहा आराम कर रहे थे ।

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#मुहावरा 

# गंगा नहाना

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