आखिरी मुलाक़ात – ममता गुप्ता

 मैं (रोहित)अपने घर की बाल्कनी में गर्मागर्म चाय के साथ बैठा था , रिमझिम बारिश की बौछार में बच्चो को देख अपना बचपन सोच के मुस्कुरा रहा था ।  मेरे जीवन मे ये बारिश की बौछार का अपना ही महत्व था , बच्चो को बारिश में भीगता देख  बारिश की पहली मुलाकात याद आ गयी , और अपनी पुरानी यादों में खो गया । ये बात उस समय की है जब मैं अजमेर कुछ काम के सिलसिले में गया हुआ था , जहा मेरे नानी / मामा भी रहते थे ।

काम पूरा करके वापस ही लौट रहा था कि नानी ने कहा – बेटे रोहित जब आये ही हो तो दो चार दिन रुक ही जा , वैसे भी अब तो बहुत ही कम आना जाना होता हैं तुम्हारा तो मिल बैठकर अच्छे से बात भी नही कर पाए । मैंने बात मानते हुए कहा ठीक है नानी आप कहते तो रुक जाता हूँ वैसे भी ऑफिस से मेने छुट्टियां ले रखी है ये तो कुछ जरूरी काम था तो आना पड़ा ।

नानी खुश होकर बोली ये हुई ना बात नानी और मेरी की खूब पटती थी , ज्यादातर मेरा बचपन नानी के घर ही बीता था , उस सुबह बारिश का मौसम था ऐसा लग रहा था जैसे मेघा आज जमकर बरसने वाले है , आसमान में काली घटा छाने लगी । नानी ने मौसम को देखते हुए गर्मागर्म चाय और पकौड़े बनाने की तैयारी में थी । मैं भी मौसम का लुत्फ उठाने के लिए छत पर चला गया , मैं छत से नजारा देखने लगा । सभी लोग अपनी अपनी छत पर चढ़कर मौसम का मजा ले रहे थे इसी इंतजार में थे कि कब इंद्रदेव प्रसन्न होंगे । शायद इंद्रदेव ने भी लोगो की विनती सुन ली और एकदम से बादल गरज कर  जमकर बरसने लगे । मैं भी छत पर बारिश का आनंद ले रहा था , तभी नानी ने आवाज लगा दी , अरे ! बरसात में मत भीग बेटा सर्दी , जुकाम हो जाएगा ।

नानी की आवाज सुनकर मैं जैसे ही छत से नीचे आने लगा तो बस देखता ही रह गया , उस लड़की को जो बरसात में भीग रही थी । वह सौंदर्य से परिपूर्ण मोरनी की तरह नाच रही थी । अपने दोनों हाथों को खोल कर दुपट्टा हवा में लहरा रही थी । मैं उसकी ये बच्चो जैसी हरकत देख हंस रहा था ,  मन कर रहा था कि बस उसको देखता ही रहूं । सच मे ऐसा लग रहा था जैसे कोई अप्सरा इस धरती पर उतर आई हो । उधर मुझे नानी बार बार आवाज लगा रही थी आवाज सुनकर नीचे आना पड़ा ।

नानी ने कहा , क्या कर रहा था छत पर इतनी तेज बारिश में भीग गया , जा जल्दी से कपड़े बदल लें नही तो सर्दी जुकाम हो जाएगा । कपड़े बदल मैं तेरे लिए गर्मागर्म चाय और पकोड़े लेकर आती हूं । ठीक हैं कहकर मैं कमरे में कपड़े बदलकर बैठ गया , लेकिन दिल और दिमाग मे सिर्फ छत का नजारा ही चल रहा था । उस लड़की का मोरनी के जैसे नाचना बिना किसी की परवाह व फिक्र के … बस उस उस पल को याद कर रोहित मुस्कुरा रहा था । बार बार दिल एक ही सवाल कर रहा था आखिर कौन थी वो लड़की ?



तभी मामी ने पूछ लिया क्या हुआ रोहित जो मन ही मन मुस्कुरा रहे हो और मामी हाथ मे चाय और गर्मागर्म पकोड़े लेकर मेरे कमरे में आई । मामी बड़ी ही हंसमुख स्वभाव की थी हम आपस से मजाक करते रहते थे । मजाक ही मजाक में मैने पूछ ही लिया मामी वो सामने शर्मा जी का मकान हैं जिसमे एक सुंदर सी लड़की हैं वो कौन हैं , मामी ने कहा मैं ज्यादा तो नही जानती पर वो तो शर्मा जी की बहन की लड़की हैं , कुछ दिन पहले शर्मा जी की तबियत खराब हो गयी थी तो माँ के साथ वो भी मिलने आई हैं ।

 

मैं दिल ही दिल मे उस लड़की से प्यार करने लगा था । उसकी एक झलक पाने के लिए कभी छत पर तो कभी अपनी बाल्कनी में खड़ा होकर बस एक बार दीदार के लिए तरसता रहता था । एक दिन वो छत पर खड़ी होकर अपने बालों को सवार रही थी , तभी उसकी नजर मुझ पर पड़ी । वो मुझे देख हल्की सी मुस्कराते व शर्माते हुए अंदर चली गई

उसका इस तरह से मुस्कुराना मेरे दिल को घायल कर गया । अब तो ये सिलसिला रोजाना ही चलता रहा कभी छत पर उसका कपड़े सुखाने के बहाने से आना या कभी बाल्कनी में चाय , पीने के बहाने से खड़ा रहना । बस आंखों ही आंखों में दोनो को एक प्यार सा होने लगा था । अब ना दिन में चैन मिलता और रात को करार मिलता , बस दोनो एक दूसरे की यादों में खोने लगे थे । मैने डरते हुए इशारे ही इशारे में उसे पास के पार्क में आने के लिए कहा , और वो शायद मेरे इशारा समझ गयी थी ।

दिल मे बस यही सोचकर गया था कि आज उससे अपने प्यार का इजहार कर दूंगा । औऱ क्या जो फीलिंग्स मेरे अंदर उसके लिए है क्या वो ही भी महसूस करती हैं । दिल की बात जानने और कहने का अच्छा मौका था । लड़की पार्क में आई पर कुछ सोच में डूबी हुई थी , हाय का इशारा करते हुए बुलाया अपने तरफ … मन में अजीब सा डर भी था कि कैसे अपने प्यार का इजहार करु , डरते हुए कहा मैंने … ” मैं तुम्हे बहुत पसंद करता हूं ” जब से तुन्हें देखा है बस तुम्हारे ही ख्यालों में खोया रहता हूँ , जो मेरा हाल है क्या वो ही तुम्हारा हाल है क्या ?

मैं अपने दिल के जज्बात जाहिर किये जा रहा था , पर वो चुपचाप खड़ी थी । रोहित की आंखों में उस लड़की को अपने लिए प्रेम साफ साफ नजर आ रहा था , पर लड़की कुछ सोचने लगी कि , उसके हाव भाव से लग रहा था जैसे किसी असमंजस में है , उसकी आँखों मे नमी कुछ न कहते हुए भी काफी कुछ कहने की कोशिश कर रही थी , अचानक वो पलट कर लौटने लगी , मुझे लगा शायद मैं दिल दुखाया उस मासूम सी लड़की का … जाते जाते  वो एक नजर फिर से मेरी तरफ पलट के आई और अपनी नम आंखों से उसने कुछ सांकेतिक भाषा मे कहा , जो मैं बिल्कुल भी समझ नही पाया … और रोते हुए वो लौट गई अपनेने घर … उस पल मुझे बहोत दुख हुआ कि मैंने शायद जाने अनजाने में ऐसे इंसान का दिल दुखा दिया जिससे मोहब्बत करने लगा था ,  मुझे उसकी इस तरह की खामोशी से जवाब मिल चुका था शायद उसके दिल मे मेरे लिए कुछ भी नही था ।

अगली सुबह उनसे सोचा नानी के साथ जाकर शर्मा अंकल के तबियत के बहाने उस लड़की को एक बार ओर देखना चाहता था , क्योंकि उसकी सुंदर छवि मेरेदिल दिमाग मे समा गई थी । नानी के साथ शर्मा जी के घर की ओर चल दिया शर्मा जी बोले आइए आइए सरला जी , नानी ने कहा अब कैसी हैं ?



आपकी तबीयत … अब तो ठीक है , शर्मा जी ने जवाब दिया ।  मेरी निगाह तो बस उस लड़की को ही ढूंढ रही थी बार बार घर के घर कोने को घूर रहा था कि कही से तो एक झकल देखने को मिले । तभी नानी ने सवाल किया शर्मा जी आपकी बहन नजर नही आ रही ? शर्मा जी ने कहा , वो  और भी दिन रहने वाली थी पता नही कल शाम अचानक ही बेटी के साथ लौट गई अपने गांव , ये सुन के मैं सन्न हो गया , बहोत दुख हुआ ये सुन के की मेरी वजह से वो नाना के घर से लौट गई …

मैं खुद को दोषी मान कर अपने शहर वापस लौट गया , अपनी जिम्मेदारी में फिर से लग गया पर वो लड़की कभी जेहन से दूर नही हो पाई । 

 

“वक्त पंख लगाकर उड़ने लगा। “

फिर..

मेरे जीवन मे अचानक एक ऐसा मोड आया जब मेरे घनिष्ठ मित्र और बीवी की एक कार एक्सीडेंट में मौत हो जाती है , आखिरी सांसों में मित्र अपने 1 साल की बच्ची की ज़िम्मेदारी मुझको सौप देता है … वो बच्ची और मैं दोनो एक दूसरे का सहारा बनते है । जैसे जैसे गुड़िया बड़ी होने लगी मुझे पता चला कि वो सुन और बोल नही सकती , मैने कई जगह इलाज कराने की कोशिश की पर बात नही बनी । पर अब मैं उसे अपनी खुद की संतान की तरह पालन पोषण करने लगा , धीरे धीरे युही समय बीतता चला गया 3 साल और बीत गए …

अब गुड़िया का स्कूल में दाखिला कराना था, पर सभी स्कूल ने मना करते हुए कहा कि -“ऐसे स्पेशल बच्चो के लिए अलग से स्कूल होता है, जहाँ बच्चो की देखभाल और भी अच्छे तरीके से कर के उन्हें सांकेतिक भाषा मे पढ़ाया जाता ।

” मैने ऐसे एक अच्छे स्कूल को खोज निकाला और अपनी गुड़िया का दाखिला उस स्कूल में कर दिया । पहला दिन होने की वजह से मैं काफी डरा हुआ था कि कैसे रहेगी गुड़िया अकेली , इतने देर स्कूल में कही रोने न लग जाये और मेरी जरूरत न पड़ जाए उसे किसी भी वक़्त , बस यही सोच कर मैं वही बगीचे के कुर्सी पर बैठ गया । और सोचा की यही रुकता हु जब तक स्कूल खत्म नही हो जाए ।



जब भी कभी किसी बच्चे की रोने की आवाज़ आती मैं उठ के खड़ा हो जाता और देखने लगता कही मेरी गुड़िया तो नही रो रही है । जैसे ही चपरासी ने स्कूल का वक़्त पूरा होने की घंटी बजाई , मैं क्लासरूम की तरफ दौड़ता गया और क्या देखता हूं , एक सुंदर सी लड़की मेरी गुड़िया को गोद मे लिए चुप करा रही है , उससे प्यार कर रही है … मेरी आँखें एकदम फटी रह गई जब देखा कि वो लड़की कोई और नही बल्कि वही है जिसको मैं चाहता हूँ , उसने मेरी तरफ देखा , हम दोनों के आंखों में एक अलग चमक सी थी , मेरे अल्फ़ाज़ नही निकल पा रहे थे पर मैं बहोत ही ज्यादा खुश था ।

कैसे और क्या कहूँ समझ नही आ रहा था , पर आज भी मुझे उसकी आँखों मे वही प्यार दिखाई दिया जो हमारी आखिरी मुलाकात में दिख था , पर मन में एक ही बात चल रही थी आखिर उसने जाते समय क्या कहा था ? मेरे कुछ कहने से पहले उसने ही इशारे मे कहा की गुड़िया काफी अच्छी ह आपकी … और वो चली गई मानो उसे लगा कि ये बच्ची मेरी है , पर ऐसा नही था मैंने शादी ही नही की क्योंकि मेरे दिल मे बस वही थी ।

मैं अपने घर चला आया पर जेहन में यह था कि कल सब बात समझाऊंगा उसे और एक बार ये जरूर पूछुंगा की उसने आखिरी मुलाकात में आखिर कहा क्या था जो मैं अब तक समझ नही पाया । अगले दिन स्कूल शुरू से होने कुछ देर पहले ही मैं पहुँच गया और उसका इन्तेजार करने लगा , जैसे ही वो आई मैने उससे सब बताया कि कौन है वो बच्ची , उसने सांकेतिक भाषा मे कहा कि धीरे कहो मैं आपके होंठ पढ़ के समझना चाहती हूं कि आप क्या कहना चाहते हो ,  तब मैं सन्न हो गया और समझ गया कि ये भी मेरी गुड़िया की तरह सुन और बोल नही सकती , पर ये जान कर मेरा प्यार उसके लिए और बढ़ गया , मैं धीरे धीरे कहता गया वो समझते गई । वो सब सुन के जैसे वो खुश होने लगी ।

मैने आखिर में पूछा कि तुमने आखिरी बार इशारे में आखिर कहा क्या था ? तब उसने अपनी बैग से एक सांकेतिक भाषा को समझने वाली किताब निकली और मुझे दे दी , मैने किताब खोलकर  देखा कि उसमें हाथों के संकेत और उनके मतलब लिखे थे । वो लड़की अपने हाथों से संकेत देते गई और मैं समझता गया । जब मैं समझा मेरे आंसू बहने लगे , उसने दिए गए संकेत का मतलब था *मैं भी तुम्हे चाहती हु पर अपनी मजबूरी को मैं तुम्हारे ऊपर नही थोपना चाहती ” *मैं तुझे फिर मिलूंगी कहा कैसे मैं नही जानती *

वो लड़की मुझे मिल तो तीन साल पहले ही मिल गयी थी लेकिन मैं ये समझ नही पाया , हम दोनों की आंखों से अश्रु धारा बहने लगी , मैने दोबारा उससे वही अपने प्रेम का इजहार किया और उसने बिना जिझक के मुझे गले से लगाया और हम दोनों एक दूसरे की प्रेम की बरसात में भीग गये।

आखिरकार!!” भगवान ने मेरी पुकार सुन ली मुझे मेरे प्यार से मिलाया और मेरी गुड़िया को भी एक माँ का प्यार मिल गया ।

 

ममता गुप्ता

मौलिक व स्वरचित

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