भावना अक्सर सोचती कि आखिर उसके साथ ही ऐसा क्यों होता है? लोग उससे बार-बार अपना काम निकालते हैं और जब भावना को मदद चाहिए होती है तो वो कोई बहाना बना कर निकल जाते हैं। और कुछ दिन बाद फिर उसके सामने बेचारे बन कर आ जाते हैं।
और वो तो थी कोमलमन की, उन्हें माफ़ कर देती और फिर से उनकी मदद करने लग जाती । भावना एक स्कूल में टीचर थी। वह अविवाहित थी तथा अपनी माँ के साथ रहती थी। वह बहुत सरल तथा दयालु स्वभाव की थी। वो हमेशा दूसरों की मदद करती और लोग उसकी इस आदत का फायदा उठाते ।
कभी लोग झूठ बोलकर उससे पैसे उधार ले जाते ।और जब वह वापस मांगती तो बहाने बना देते और उस्को परेशान करते । स्कूल में कभी दूसरी टीचर जब भी उसको थोड़ा फ्री देखती तो अपना काम पकड़ा देती ।जिसके कारण भावना का अपना काम प्रभावी होता ।
और उसको अपना कार्य पूरा करने के लिए दोहरी मेहनत करनी पड़ती। पर उसकी सहायता कोई नहीं करता। वह किसी को ‘नहीं ‘ नहीं बोल पाती थी । पर लोग उसको साफ़ नहीं कर देते थे। एक बार तो उसकी शादी भी तय हुई थी उन लोगों ने भी उसको धोखा दिया था।
लड़का पहले से विवाहित था ।पर उससे झूठ बोला और कुँवारा होने का नाटक किया। यह तो भगवान का शुक्र था कि शादी से पहले सच्चाई सामने आ गई ।अब इन सब बातों की वजह से भावना काफी त्रस्त हो गई थी वह बहुत दुखी रहने लगी थी ।एक दिन स्कूल में एक नई टीचर विभा आई।वो काफी स्मार्ट थी ।
भावना की उससे दोस्ती हो गई।भावना उससे हर बात शेयर करने लगी थी ।विभा एक अच्छी लेडी थी ।उसने भावना का दुख देखा और महसूस किया।तो उसने भावना को समझाया कि देखो भावना आप हर किसी के साथ अच्छी नहीं बन सकती हो।
आप पहले अपने साथ अच्छी बनो ।अगर तुम इस तरह लोगों की बातों में आकर अपना समय और अपना पैसा बर्बाद करती रहोगी तो एक दिन तुम्हारे पास कुछ नहीं होगा ।और यह लोग जिनको तुम खुश करने की कोशिश करती हो वह कभी खुश नहीं होंगे ।
तुम्हारे बुरे वक्त में यह तुम्हारे पास भी नहीं आएंगे।इसलिए थोड़ी हिम्मत पैदा करो और ‘नहीं”कहना सीखो ।तुम अगर हर वक्त सबके लिए उपलब्ध रहोगी तो अपने आप को समय कब दोगी? लोग भी तुम्हारी कदर नहीं करेंगे ।तुम एक पढ़ी लिखी औरत हो।
अपने ऊपर भरोसा करो और लोगों से कोई उम्मीद नहीं रखो ।मैं तुम्हारे साथ हूं तुम अपने आप को कभी अकेला ना समझो । विभा की बातें सुनकर भावना को समझ आया कि शायद विभा सही कह रही है ।औरअब उसने नई शुरुआत की जब भी कोई टीचर उसको अपना काम कहती तो वह यह कहकर साफ इंकार कर देती कि मेरे पास भी बहुत काम है ।
जब उसका कोई दोस्त या रिश्तेदार पैसा उधार मांगता तो वह साफ कह देती कि मुझे भी अपने लिए अच्छी ड्रेस लेनी है मुझे भी कहीं घूमने जाना है ।अपनी मम्मी के लिए शॉपिंग करनी है। तो लोग सोचने लगते कि भावना के अंदर कहाँ से इतनी हिम्मत आ गई ।
भावना ने महसूस किया कि जबसे उसने ‘न ‘ बोलने की शुरुआत की है उसको एक दिली ख़ुशी महसुस होती है। उसने महसूस किया कि वह भी एक इंसान है और अपने आप को खुश रखना उसकी पहली ड्यूटी है । अब भावना काफी बदल चुकी थी और वह विभा को धन्यवाद बोलती थी कि उसने भावना के अंदर एक नई स्फूर्ति पैदा की।
लेखिका: महजबीं