आख़िर ऐसा क्या हुआ – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ सुना तुमने पाखी के बड़े भैया उसे लेने आए हैं… अचानक से कैसे जा रही है किसी को कुछ बताया भी नहीं और पाखी भी देखो कैसे मुँह लटकाए जाने के लिए हड़बड़ी कर रही है…

पता नहीं क्या बात हुई है जो एग्ज़ाम से कुछ दिन पहले उसे घर जाने की ज़रूरत पड़ गई उपर से अपनी किसी दोस्त को भी वो कुछ नहीं बता रही है… मुझे तो दाल में कुछ काला नज़र आ रहा है ।” पास के ही कमरे में रहने वाली लड़की ने अपनी दोस्त से कहा 

पूरे बैच में ये खबर आग की तरह फैल गई आख़िर ऐसी कौन सी बात हुई जो पाखी बीच सेमेस्टर में जा रही है वो भी हमारे बैच की टॉपर ।

पाखी चुपचाप हॉस्टल से अपने घर चली गई…एग्ज़ाम भी हो गए पर पाखी नहीं आई वैसे चुपचाप सी रहने वाली पाखी के बारे में

किसी को ज़्यादा कुछ पता भी नहीं चला कि आख़िर वो ऐसे बीच सेशन में पढ़ाई छोड़ कर घर जाकर क्यों बैठ गई ख़ैर छह महीने बाद नया सेशन शुरू होने वाला था पाखी के बैच की सारी लड़कियाँ अगले क्लास में चली गई ।

अचानक उसके बैच की लड़कियों में हल्ला शुरू हो गया देखो पाखी आ गई पर अब तो वो हमारे से जूनियर बैच के साथ पढ़ाई करेगी।

सब पाखी को घेर कर पूछने लगे ,” क्या बात हुई पाखी जो तुम ऐसे बाच सेशन में चली गई…बताओ बताओ… दाल में कुछ तो काला है जो तुम हमसे छिपा रही हो?”

सभी पाखी को घेर कर ऐसे पूछने लगे जाने पाखी क्या राज़ छिपाए बैठी हो।

अचानक पाखी के आँखों में आँसू आ गए और वो बोली ,”तुम लोग सब मेरे बारे में क्या क्या अफ़वाह फैला रही थी मुझे सब पता है….

पर सच तो ये है कि मुझे अपनी माँ के लिए घर जाना पड़ा… वो किचन में काम करते वक्त पूरी तरह जल गई थी…और मेरे घर में उनकी सेवा करने वाला कोई भी नहीं था

तभी मेरे भैया मुझे लेने आए थे… मैं उस बात का ढिंढोरा पीट कर सबकी सहानुभूति लेकर नहीं जाना चाहती थी मैं पहले से खुद ही परेशान थी तो सबको क्या ही बोलती !” 

“ सॉरी पाखी हम तो सोच रहे थे कि तुम पढ़ाई छोड़ कर शादी कर घर बसाने चली गई हो… ये तो बताओ अब आंटी कैसी है ?” एक दोस्त ने पूछा 

“ अब मम्मी पूरी तरह ठीक है तभी तो मुझे पढ़ाई पूरी करने ज़बरदस्ती भेज दी है….मैं तो उन्हें छोड़ कर आना ही नहीं चाहती थी ।” पाखी रुआंसे स्वर में बोली

“ सही किया आंटी ने ….तुम्हें भी पढ़कर अपने पैरों पर खड़ा होना है अंकल आंटी का सपना पूरा करना है ।” तभी उसकी पक्की सहेली रूहानी आकर उसे गले लगाते हुए बोली 

दोस्तों ये कहानी कहूँ या घटना आप जो भी समझें सच के क़रीब है…अक्सर लोग अपने दुखों को बताना नहीं चाहते और लोग उसकी चुप्पी पर संदेह कर अपने हिसाब से ताना बाना बुनकर कहानी गढ़ लेते हैं जब सच पता चलता है तो शर्मिंदगी महसूस करते हैं।

रचना पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#मुहावरा 

#दालमेंकालाहोना

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