आइने के पीछे – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

जरा रुक मोनी रुक…. श्री की तेज आवाज से मोनी ने पलट कर देखा तो श्री अपना मोबाइल निकाल रही थी।

नो श्री प्लीज अभी नहीं अभी मोबाइल पर्स में ही रहने दे अभी बहुत सारी शॉपिंग करनी है मोनी ने दबाव देकर कहा लेकिन तब तक तो श्री अपना मोबाइल निकाल कर उसमें सेल्फी स्टिक लगाकर रील बनाने में व्यस्त हो गई थी।

मोनी विवश सी गन्ने रस के स्टाल की तरफ बढ़ने लगी क्योंकि वह जानती थी अब श्री को कम से कम बीस मिनट तो लगेंगे ही ।

श्री और मोनी पक्की सहेलियां हैं।फर्क बस इतना है कि पढ़ने में बेहद कुशाग्र श्री अच्छे से पढ़ाई करके गांव की संकीर्ण परिधि

से निकल कर शहर के खुले विस्तृत माहौल में आ गई थी जबकि मोनी गांव में ही रहकर गांव के स्कूल में शिक्षिका बन गई थी।

फिर भी दोस्ती अब भी वहीं पक्की वाली ही थी दोनों के बीच।

श्री बचपन से मेधावी थी।घर की तंगहाल स्थिति से  टकराते उसके सपनो ने  घुटने नहीं टेके बल्कि नित नवीन संघर्षों से जूझकर आगे बढ़ने की राह मजबूत करते रहे और शहर की एक प्रतिष्ठित कंपनी में शानदार जॉब मिलने पर ही ठहरे।

लेकिन शहर में अच्छी कंपनी में जॉब लगते ही श्री के सपनों ने पूर्ण विराम नहीं किया बल्कि थोड़ा ठहरकर अब उनका रुख नई दिशा की तरफ मुड़ गया था।

बचपन से आर्थिक तंगी और संघर्षों को जीजान से झेलने वाला श्री का दिल दिमाग अब पढ़ाई कैरियर और जॉब के तनाव से उन्मुक्त हो अपने दिल के बंद ख्वाइशों के दरवाजे खटखटाने लग गया था।

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मोबाइल पर सिर्फ नई तकनीकी और पढ़ाई के सूत्र ढूंढने वाली उसकी उंगलियां लैपटॉप मिलते ही इंस्टाग्राम फेसबुक ट्विटर जैसी तमाम सतरंगी दुनिया में खुद को रंग देने को बेताब हो उठीं।

सैकड़ों बंदिशों में जकड़ा उसका तन मन अब निर्बाध स्वच्छंद आधुनिक चमक दमक जीवन शैली के लिए लालायित हो उठा था और अनजाने ही वह इसमें दूर तक निकल आई थी।

मोनी जो गांव से शहर उसके पास आई थी अपनी सखी की बदली चाल ढाल से भौचक्की हो गई।बचपन से ही दोनों का सपना था एक साथ जॉब करेंगे, फिर शादी एक साथ ही करेंगे, एक साथ एक जैसी शॉपिंग करेंगे ।लेकिन श्री की टालमटोल से तंग आकर मोनी के घरवालों ने दबाव बनाते हुए मोनी की शादी तय कर दी थी ।दो महीने बाद शादी होने वाली थी उसी की शॉपिंग करने और श्री से लड़ाई करने वह श्री के पास आई थी।वैसे तो एक खास कारण से श्री उसे काफी लंबे समय से अपने पास बुला रही थी लेकिन अभी तो मोनी को श्री की मां की जिद के कारण शहर आना पड़ा था।

श्री की मां निपट घरेलू सीधी ग्रामीण महिला थीं जो आधुनिक तौर तरीकों से कोसो दूर थीं।श्री ने जॉब मिलते ही अपनी पहली तनख्वाह से मां के  लिए स्मार्ट फोन खरीदा ही नहीं बल्कि ले जाकर साथ में सिखाया भी था।श्री हमेशा अपनी मां से वीडियो कॉल पर बातें किया करती थीं हर बात उन्हें बताती रहती थीं।लेकिन इधर पिछले चार महीनों से श्री ने वीडियो कॉल तो क्या फोन पर भी ठीक से उनसे बात नहीं की थी।

जब भी मां कॉल करती या तो श्री फोन ही नहीं उठाती थी या थोड़ी सी बात करके जल्दी से फोन काट दिया करती थी।इसी वजह से श्री की मां बहुत चिंतित रहने लगी थीं।पिता जी लकवा ग्रस्त थे उनसे कुछ कह नहीं सकती थीं और खुद अकेली शहर आ नहीं सकती थीं।श्री ने तो पिछले एक साल से गांव आना ही छोड़ दिया था।कितने पिछड़ी जगह में हम रहते हैं मां यहां तो नेट भी नहीं पकड़ता कोई ढंग का व्यक्ति भी नहीं है बात करने को … जैसे नए नए हजार कारण थे अब उसके पास गांव ना आने के।

मोनी भी जब से यहां आई थी अपनी पुरानी वाली सखी श्री उसे कहीं नजर ही नहीं आई थी मां से बात करने की इसे एक पल फुर्सत नहीं थी।

ये श्री जो सामने थी उसे तो सोशल मीडिया से फुर्सत ही नहीं थी।दिन रात तरह तरह की रील ,विभिन्न प्रकार की महंगी आधुनिक पोशाकें ज्वैलरी के साथ फोटो ,दिन भर मोबाइल में चिपकी रहने वाली सहेली उसे अजीब लग रही थी।

श्री ए श्री क्या हो गया है तुझे ।ये बनावटी कपड़े ये इतना मेकअप तुझ पर अजीब लगते हैं क्या करना चाहती है तू मोनी ने आज इतने व्यस्त बाजार में उसे मोबाइल में सेल्फी स्टिक लेकर वीडियो बनाते देखने पर आश्चर्य जताया तो श्री गन्ने रस का गिलास पकड़ती ठठाकर हंस पड़ी।

अरे मेरी भोली भाली मोनी।तू नहीं समझेगी ।यही तो है आज कल का ट्रेंड।ये देख मेरे हजारों फॉलोवर्स हैं हजारों देख कहती वह वही गन्ने की शॉप में मोनी को अपना मोबाइल खोल कर दिखाने लगी।

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ये इतनी सुंदर सी कौन है  फोटो देखते ही मोनी पूछ बैठी।

अरे पगली यही तो हूं मैं ।बचपन से सब मुझे बदसूरत कहते थे ना अब देख इसमें .. कहते कहते श्री ने सैकड़ों वीडियो और फोटोज उसे दिखा दीं जिन्हें देख कर मोनी दंग रह गई।

लेकिन श्री ये तो तू बिल्कुल नहीं लग रही है ऐसी ऐसी ड्रेसेज ज्वैलरी और चेहरा ये सब कैसे बदल लेती है मोनी अचरज से पूछ रही थी।

यही तो है आजकल फिल्टर फोटो का कमाल … ये कमेंट्स तो पढ़ कितनी तारीफे कर रहे है लोग।ये वाला पढ़… आपको देखने के बाद लग रहा है स्वर्ग की अप्सरा होने की बात सच है…और ये वाला तो पढ़… ख्वाब हो या हो कोई हकीकत… चांद का टुकड़ा हो….आह्लादित दीवानी सी हुई हुई जा रही थी श्री।

लेकिन श्री ये तो सब फर्जी है गलत है किस राह पर तू जा रही है ।तू खुद अपने आपको आईने में देख डरती नहीं है ये आईना के पीछे की आवाजें तेरे भीतर नहीं जातीं ..!!भीतर तक डर गई थी मोनी।

देख ज्यादा संस्कार मत बघार फिल्मों के हीरो हीरोइन भी असल जिंदगी में क्या वैसे ही दिखते हैं। मोनी अपनी तारीफ सुनना किसे अच्छा नहीं लगता।हर कोई आजकल कुछ ना कुछ नए ढंग अपना रहा है प्रसिद्ध होने के पैसे कमाने के।इसमें बुराई क्या है श्री अडिग थी।

लेकिन ये दिखावे की जिंदगी किसके लिए श्री और क्यों एक ना एक दिन सच अपनी राह बना ही लेगा!मोनी दुखी हो गई।

अपने लिए मोनी अपने लिए। तुझे बहुत बुरा लग रहा है ना ।क्योंकि तुझे ये सब करना नहीं आता तू गांव की है ये आधुनिक मानदंडों को क्या जाने तुझे तो ठीक से मोबाइल चलाना भी नहीं आता श्री का स्वर उपहास पूर्ण हो गया था।

श्री तू यही सब करती रहती है इन्हीं सबने तेरा दिमाग खराब कर दिया है  इतना व्यस्त रहती है कि मां से भी ठीक से बात नहीं करती गांव आना तो दूर की बात है तुझे पता है मां कितनी चिंतित है तेरी वजह से। अभी बात कर मां से वीडियो कॉल करके उन्हें भी अपनी ये रंगी पुती शक्ल दिखा ना….मोनी के दिल का गुबार तल्खी बन गया था।

देख मोनी तू प्रवचन मत दे मै जानती हूं मां ने मेरी जासूसी करने के लिए तुझे यहां भेजा है।तू मां की जासूस मत बन।अभी तक मा के कहे अनुसार चलती रही मां की लगाई बंदिशों में अभी तक अपनी जिंदगी में मै बहुत सिकुड़ कर जी रही थी ।अब हो गया नए सपने मुझे बुला रहे हैं।ये नए जमाने के नए ढंग मुझे जीने के अद्भुत ढंग सिखा रहे हैं श्री चहक उठी।

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अच्छा सुन तू ये सब उपदेशबाजी किनारे रख और वो सबसे जरूरी बात   सुन जिसके कारण मैं तुझे पिछले तीन महीनो से बुला रही थी। देख हम दोनों ने साथ में जॉब और शादी करने का वादा किया था ।जॉब साथ में ही लगा है भले मुझे शहर में और तुझे गांव में मिला है।रह गई साथ शादी की बात जिसके कारण तू  मुझसे नाराज भी है।मैं उसी बारे में बताना चाहती थी तुझे। ये देख इधर आ …नाराज मोनी का हाथ पकड़ श्री फिर से अपना मोबाइल खोल कर  मोनी को कुछ दिखाने लगी।

मोनी को मोबाइल के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी।लेकिन कुल मिलाकर उसने इतना तो समझ ही लिया कि कोई व्यक्ति है जो पिछले चार महीनों से श्री को चारों टाइम बेहद भावुक और लुभावने संदेश भेजता है।शेर और शायरी से भरे हुए थे सारे मैसेज और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी श्री के सभी विडियोज और फोटोज को लाइक करते हुए हमेशा ही कोई अच्छा सा कमेंट वो भी बिना देरी किए नियमित रूप से करता रहता है ।जिससे श्री बहुत ज्यादा प्रभावित है।

ये कौन है कहां रहता है क्या काम करता है श्री क्या तू इसे जानती है अब तक काफी कुछ भांपते हुए मोनी ने प्रश्न किया।

हां पगली बहुत अच्छे से जानती हूं देख नहीं रही है इतने सारे मैसेज  श्री हंसती जा रही थी।

लेकिन इसमें तो इस व्यक्ति की कोई फोटो कोई शक्ल नहीं बनी है मोनी ने आश्चर्य से खाली प्रोफाइल को देखते हुए कहा।

यही तो  सरप्राइस है।उन्होंने कहा है कि पहले मेरे विचारों से परिचित हो जाओ अगर विचार पसंद आने लगेंगे तो चेहरा कैसा भी हो मायने नहीं रखता श्री जैसे भाव में बह गई थी

क्या तू ईनसे कभी मिली है श्री …मोनी ने उसे झंझोड़ा।

अभी तक तो नहीं मोनी। लेकिन अगले हफ्ते उन्होंने कहा है मुलाकात के लिए ।मोनी मुझे तो अब लगने लगा है कि इनके बिना मेरी जिंदगी अधूरी है। इसलिए मेरी जिद से इन्होंने अगले हफ्ते इस पते पर मिलने की बात कही है।आमने सामने बैठ कर दिल की सारी बातें कहेंगे एक दूसरे के बारे में जानेंगे समझेंगे और आने वाली जिंदगी के फैसले भी लेंगे श्री एक सांस में बोल गई थी।

इसीलिए मोनी मैं तुझे यहां बुलाना चाहती थी ये सब बताना चाहती थी श्री ने मोनी का हाथ पकड़ कर आनंदित होते हुए कहा और देख बात पक्की होते ही वादे के मुताबिक तेरे साथ ही  मेरी भी शादी होगी ।

अगले हफ्ते कहां मिलोगे बताना जरा… बताए गए एड्रेस को ध्यान से देखती मोनी गंभीरता से बोल उठी मै भी चलूंगी तेरे साथ।

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तू पागल हो गई है ।मैं तुझे लेकर क्यों जाऊंगी ये मेरा और उनका मामला है तू बीच में छछूंदर क्यों बनेगी श्री अचानक आपे से बाहर हो गई थी।

तो फिर मैं अभी ही मां को फोन करके सारी बात बता दूंगी मोनी ने भी गुस्सा दिखाते हुए कहा तो श्री शांत हो गई।

ठीक है लेकिन एक शर्त पर कि तू हम दोनों के साथ नहीं बैठेगी।उन्हें ये पता नहीं चले  कि मेरे साथ मेरी ये गांव की गंवारू सखी है।तू वही कही दूर बैठे रहना श्री ने समझौता करते हुए कहा तो मोनी भी मान गई।

नियत तिथि पर श्री सबसे कीमती और सुंदर आधुनिक परिधान पहनकर सज धज कर तैयार हुई तो मोनी उसे देखती रह गई।

बताए गए एड्रेस की जगह शहर से काफी दूर थी।करीबन दो घंटे में वे दोनो उस जगह पहुंचे।होटल टाइप की जगह थी।बड़ा सा हरा भरा लॉन था रंग बिरंगे फूलों के दर्जनों पौधे छटा बिखेर रहे थे।

ज्यादा भीड़ भी नहीं थी।कई युगल जोड़े वहां तसल्ली से हाथों में हाथ डाले बैठे हुए थे।

कैसे पहचानेगी  श्री जिससे तू मिलने आई है मोनी ने दरवाजे से घुसते ही श्री से पूछा तो श्री उससे हाथ छुडाकर दूर हो गई।

देख मोनी तू मेरे साथ आ तो गई है लेकिन वायदे के मुताबिक तू मुझसे दूर रहेगी।उनको पता नहीं चलना  चाहिए कि मेरी पक्की सहेली गांव की है श्री ने लगभग उसे धकियाते हुए कहा और तेजी से निर्धारित टेबल पर पहुंच गई।वहां पहले से ही बेहद सुंदर फूलों का गुलदस्ता रखा हुआ था जिसे उसके पहुंचते ही वहीं खड़े वेटर ने सम्मान सहित भेंट किया तो श्री का दिल तेजी से धड़क उठा।

थोड़ी ही देर में एक बेहद स्मार्ट अधेड़ उम्र का व्यक्ति वहां आकर बैठ गया तो श्री उसे वहां से उठाने लगी कि ये टेबल हमने बुक की है।

सहसा वह व्यक्ति उठा और श्री के एकदम करीब पहुंच गया।उसके चेहरे से अपना चेहरा सटा कर कहने लगा हमने ही बुक की है डार्लिंग हम दोनों के लिए ।पहचाना नहीं… हमने तो एक रूम भी बुक करवाया है ।आज हम दोनों तो यहीं रुकेंगे ना।

श्री को अपने कंधों पर उसके मजबूत हाथों की जकड़न महसूस होने लगी करीब होते हुए उसके मुंह से शराब का तेज भभका उसके नथुनों में समाने लगा।उसे चक्कर सा आ गया।

फिर वह संभली और तेज आवाज में बोल उठी दूर होइए मिस्टर आप हैं कौन हिम्मत कैसे हुई आपकी ऐसी अभद्रता करने की।

ए लड़की चुप रह इतने महीनों में तेरी फितरत समझ गया हूं मैं ।तुझे मुलाकात की बहुत जल्दी मची हुई थी तो मैं आ गया इतना महंगा होटल ये टेबल और एक रूम ये सब हम दोनों के लिए ही तो खर्च किया है मैंने ।

नहीं वो आप नहीं हो सकते मै आपसे मिलने नहीं आई हूं मुझे किसी और से मिलना था भयभीत हो उठी थी श्री।

सुन ज्यादा नौटंकी मत कर समझी।तू क्या समझ रही थी मैं कोई हेतु माफिक छोरा हूं तू भी तो वह नहीं है जो प्रोफाइल फोटो में दिखती है ।जानती है असलियत में तू एक बेहद कुरूप और गिरी हुई लड़की है। आश्चर्य क्यों!?जैसे तू करती है वैसे ही मैं भी करता हूं चल अब रूम में कहता वह श्री पर झपट पड़ा और खींच कर रूम में ले जाने लगा।

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श्री चिल्ला उठी लेकिन वहां सब अपने में मस्त और व्यस्त थे।वह जगह ऐसे ही कामों के लिए थी।

तब तक मोनी जो दूर बैठी इन दोनों को देख रही थी खड़ी हो गई।दौड़ते हुए वह श्री के पास आई और जोर का धक्का उसने उस अधेड़ व्यक्ति को दिया।आकस्मिक धक्के से वह व्यक्ति टेबल से टकरा कर गिर पड़ा।

श्री उठ जल्दी भाग ….मोनी श्री का हाथ पकड़ चिल्लाई और बाहर की तरफ दौड़ लगा दी।दरवाजे पर ही कैब मिल गई तत्काल उसमें बैठकर दोनों घर आ गए।

पूरे रास्ते श्री सदमे में थी।मोनी खामोशी से उसके ठंडे पड़े हाथों को अपने हाथों में कसकर पकड़े हिम्मत और दिलासा दे रही थी।

घर पहुंचते ही श्री का सब्र दुख और ग्लानि का बांध फूट पड़ा।मोनी को दोनों हाथों से पकड़ सिसक सिसक कर रो पड़ी वह ।मोनी आज अगर तू ना होती मै भी ना होती इस दुनिया में।मुझे माफ कर दे मां को क्या मुंह दिखाऊंगी क्या कहूंगी उनसे उनके सिखाए सारे संस्कार अपने फिजूल के शौक में स्वाहा कर दिए मैंने ।

फ़फक पड़ी श्री।

श्री मत रो। रोती हुई तू बिल्कुल गंदी लगती है समय रहते तुझे सबक मिल गया तू सम्भल गई इतना काफी है ।मां को अभी कुछ नहीं बताएंगे

तब तक मोबाइल बजने लगा।मोनी ने देखा मां का ही फोन था जैसे उन्हें अपनी बेटी के दुखो का पता चल गया हो।

मोनी उस बजते हुए फोन को देखे जा रही थी।तभी श्री ने झपट कर मोबाइल उठा लिया हेलो हां मां मै श्री…. मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही है नहीं फोन पर कोई बात नहीं करूंगी ढेर सी बाते है मां बताने के लिए मैं मोनी के साथ कल सुबह तेरे पास गांव आ रही हू.. खूब सारे दिनों के लिए ….. हां हां मां मै बिल्कुल ठीक हूं तू च8नता मत कर…..

श्री कहती जा रही थी और मोनी को अपनी वही पुरानी सखी आज आईने में उभरती हुई दिखने लगी थी।

 

लतिका श्रीवास्तव 

दिखावे की जिंदगी#साप्ताहिक शब्द कहानी

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