आदर्श सास-बहु – एम पी सिंह  :  Moral Stories in Hindi

अलका की पढ़ाई पूरी होते ही उसकी शादी हो गई और वो दिल्ली से कानपुर चली गई। परिवार छोटा था, बस पति और सासूमां। पति का काफी बड़ा बिज़नेस था ओर काफी व्यस्त रहते थे। अलका दिन भर खाली बैठी बोर होती रहती या टी वी देखती रहती। उसकी सासू मां बहुत तेज थी, हर किसी बात के लिये टोका करती थी। जब भी अलका थोड़ा आराम करने के लिए बैठती, सासु मां आवाज लगा

कर कुछ न कुछ काम बता देती, ओर खुद कुछ काम नही करती। लेकिन सास की एक खासियत थी कि वो जहां भी जाती, बहु  को हमेशा अपने साथ लेकर जाती चाहे वो मंदिर हो, बाजार हो या किसी के यहां पूजा। दोनों सास बहु चेहरे पर नकली मुस्कान लिए साथ साथ घूमती और सारे कॉलोनी वाले इन्हें

आदर्श सास बहु समझते, पर सच्चाई इसके विपरीत थी। अलका ने टाइम पास के लिए अपनी कॉलोनी की सहेलियों के साथ किट्टी पार्टी शुरू कर दी। महीने में 2 बार होटल आदि में मिलना, खाना पीना और सबसे जरूरी अपनी अपनी सास की बुराइयां करना। परन्तु अलका समझदार थी,  वो कभी

भी अपनी सास की बुराई नहीं करती बल्कि हमेशा उनकी तारीफ करती। उसकी बातों से उसकी सारी सहेलियों जलन महसूस करती ओर घर जाकर अपनी अपनी सास से अलका की सास की तारीफ सुनाती ओर अपनी सास को बताती कि सास हो तो अलका की सास जैसी। धीरे धीरे अलका

की सास पूरे ग्रुप में आदर्श सास के नाम से मशहूर हो गई और किटी ग्रुप की हर बहु अपनी सास को आदर्श सास से मिलवाना चाहती थी ताकि उनकी सास कुछ अच्छा सीखे और उन्हें परेशान न करें। फिर एक दिन किटी पार्टी में अलका ने कहा कि हमारे यहां आ जाने से हमारी सासू मां घर पर अकेली रह जाती हैं, क्यों न हम अगली बार से उनको भी साथ ले कर आए? आप सब सोच विचार कर बताए।

कुछ बहुएं तो नाराज हो गई, इस बेकार से सुझाव से, एक दिन तो मिलता है सास की किच किच से दूर रहने का, वो भी बर्बाद हो जाएगा। फिर किसी ने सुझाया कि अपनी सास को आदर्श सास से मिलवा देना, शायद कुछ अक्ल आ जाए और अपनी बहुओं को तंग न करें। फिर लगभग सभी राज़ी हो गई अपनी अपनी सास को आदर्श सास से मिलवाने के लिए।

अगली किटी पार्टी में लगभग सभी सास बहु की जोड़ियां सजधज के पहुंच गई, परन्तु पार्टी में आकर्षण का केन्द्र बनी केवल अलका की सास। सभी उनके आस पास मंडरा रही थीं ओर मौका मिलते ही धीरे से बोल देती, आपकी बहू तो बहुत समझदार है, हर वक्त आपकी तारीफ करती रहतीं हैं। आप हमारी बहू को भी कुछ अक्ल दे दो, हर वक्त सिर्फ चिल्लाती रहती हैं। कोई बोली, आपकी

बहू बहुत किस्मत वाली हैं जो आप जैसी सास मिली, हमारी सास तो हमें एक मिनट भी चैन से बैठने देती ओर एक आप हैं कि बहु को बेटी की तरह पूरी आजादी दे रखी है। एक ने तो यहां तक कह दिया कि आप तो रोज सुबह की चाय  ओर डाल सब्जी सब खुद बनाती हैं पर हमारी सास तो रसोई का रास्ता ही भूल गई। अलका की सास ने पूछा, कि आपको ये सब किसने बताया? वो बोली, आपकी बहु अलका ने, ओर किसने।

पार्टी के बाद लगभग सभी सास ओर बहुओं ने अलका की सास से मिलकर खुशी का इज़हार किया ओर अपने घर आने का न्यौता दिया। जहां हर बहू अपनी सास की ओर हर सास अपनी बहू की बुराई कर रही थी वहीं सबने अलका ओर उसकी सास की तारीफ की। 

अलका की सास को समझ आ गया कि मैं भले ही अपनी बहू को कितना भी परेशान किया, पर मेरी बहु ने किसी के पास मेरी बुराई नहीं की, बल्कि सिर्फ तारीफ ही की है। उस दिन के बाद अलका की सास के व्यवहार में बहुत बदलाव आ गया और वो सचमुच में आदर्श सास बन गई। उस दिन के बाद से उसे बहु कहकर नहीं बल्कि बेटी या अलका बेटी कहकर बुलाने लगी, ओर लोगों से कहना शुरू कर दिया कि जब से अलका इस घर में आई हैं, मुझे बेटी की कमी महसूस नहीं होती।

कोई भी बहु तब तक बेटी नहीं बन सकती जब तक वो सासु मां को अपनी मां की तरह न देखे, अलका ने भी समझदारी के साथ यही किया और आज पूरी कॉलोनी में उनकी जोड़ी आदर्श सास बहु की बन गईं।

रचना 

एम पी सिंह 

(मोहिंदर सिंह)

स्व रचित, अप्रकाशित , मौलिक 

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