अल्हड़ इश्क़ – अभिलाषा आभा

जाने क्यों आज मुझे घड़ी की टिक टिक की आवाज बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रही थी। मन कर रहा था की घड़ी को उतार कर फेंक दूं। अचानक घड़ी की तरफ देखते देखते मैं 3 साल पीछे चली गई और आंँखों के सामने वह सारा मंजर घूम गया,जिसने मेरी दुनिया ही बदल दी।

मैं कॉलेज, अपने घर,अपने मोहल्ले की जान हुआ करती थी।चंचल, अल्हड़पन और खुश रहने वाली मैं महिमा अपने मम्मी पापा की लाडली बेटी भाई की दुलारी बहन थी।

सभी मुझसे बहुत प्रेम करते थे। मोहल्ले वाले भी मेरे व्यवहार से खुश रहते थे। कुछ दिनों पहले मेरे कॉलेज में राहुल नाम के एक लड़के का नामांकन हुआ, जो देखने में बहुत ही स्मार्ट था और बड़े बाप का बेटा था, यह उसके रहन-सहन से पता चलता था।

पहले तो मैंने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया, लेकिन बाद में मैंने यह नोटिस किया कि वह लड़का मुझ पर बहुत ही इंटरेस्टेड है। उसके पास मेरी सारी जानकारी मौजूद है, यह बात मेरी सहेली रिया ने मुझे बताई और रिया ने मुझसे यह भी कहा कि राहुल तुमसे बहुत प्रेम करता है।

एक बार तुम उससे मिल लो। मैंने बहुत सोचा और 1 दिन प्रोग्राम बनाकर राहुल के साथ उसकी बाइक पर बैठकर एक पार्क में गई‌।वहांँ हम लोगों ने बहुत तरह की बातें कीं। मुझे उसकी बातें बहुत पसंद आई।उसकी  और मेरी सोच लगभग मेरे जैसी ही थी। हम दोनों मनोविज्ञान के छात्र थे।

यह कॉलेज का हमारा दूसरा साल था, इसलिए हम निश्चिंत थे कि 1 साल और तो हम साथ में रह पाएंगे ही उसके बाद देखते हैं,क्या होगा। परंतु जैसे-जैसे समय बीतता गया,हम एक दूसरे के बहुत ही करीब आते गए।



मुझे घड़ी का बहुत शौक था।मेरे पास तीन-चार तरह की घड़ियां थीं। यह बात जब राहुल को पता चली तो उसने विदेश से मेरे लिए बहुत सारी घड़ियांँ मंगवाई और कहा कि तुम रोज अलग-अलग घड़ी पहनकर कॉलेज आया करो। जब मेरे भाई को मेरे और राहुल के बारे में पता चला तो

उसने मुझे सावधान करने की कोशिश की, क्योंकि उसका कहना था कि इस तरह के अमीर लड़के लड़कियों को फंसाकर उनका शारीरिक और मानसिक शोषण करते हैं और फिर छोड़ देते हैं। मैंने भैया से कहा कि “राहुल ऐसा नहीं है मैं राहुल से प्रेम करती हूंँ और मैं उसको कभी नहीं छोडूंगी।

”  मेरे मम्मी पापा ने कहा कि “तुम उसे  नहीं छोड़ोगी लेकिन वह तुमको छोड़ देगा जैसे ही उसका मतलब पूरा होगा।” मैंने उन लोगों की बात पर ध्यान नहीं दिया और राहुल के साथ अपने प्रेम को बढ़ाती रही। इस तरह साल बीत गया और हम अंतिम वर्ष में आ गए।

मेरे जन्मदिन पर राहुल ने मुझे एक लाख  की घड़ी गिफ्ट की और एक होटल में मेरे जन्मदिन की पार्टी रखी। मेरे भाई और पापा के मना करने के बाद भी मैं उस होटल में 9:00 बजे रात में अपने जन्मदिन की पार्टी में पहुंँची। वहांँ का खाना, वहांँ की सजावट ने मुझे बहुत ही खुश कर दिया।

मैंने राहुल को बहुत-बहुत धन्यवाद कहा और उसके साथ डांस फ्लोर पर डांस करने लगी। तभी एक वेटर ने आकर मुझे एक ड्रिंक पकड़ा दी। राहुल ने कहा कि वह सॉफ्ट ड्रिंक है, मैंने वह ड्रिंक पी ली। उसके बाद मुझे नशा जैसा होने लगा। राहुल ने मुझे गोद में उठाया और होटल के  एक कमरे में ले आया।

मैं पूरी तरह से बेहोश नहीं हुई थी, लेकिन समझ नहीं पा रही थी कि मेरे साथ क्या हो रहा है और राहुल ने वही किया जिसका डर मेरे भाई और पापा को था। एक लाख रूपए की घड़ी का बदला उसने मेरे शरीर से लिया, पता नहीं कब तक वो मेरे शरीर को रौंदता रहा। नशे में होने के कारण मैं विरोध भी नहीं कर पा रही थी।



जब उसका मन भर गया, तब उसने मुझे उस कमरे में अकेला छोड़कर चला गया। जब सुबह मेरी नींद खुली मैंने अपने कपड़े अस्त-व्यस्त देखे, तो मैं सब कुछ समझ गई। मैंने राहुल को बहुत फोन लगाया, पर उसने मेरा फोन नहीं उठाया। जब मैं होटल के कमरे से बाहर निकली तो सभी मुझे देख कर हंस रहे थे।

मुझे ऐसा लगा कि मैंने क्या कर लिया अपने साथ, अब मैं जीना नहीं चाहती। यह सोचते हुए में नदी के किनारे चली गई।जैसे ही मैं नदी में कूदती,किसी ने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैंने घूम कर देखा तो मेरे कॉलेज में ही पढ़ने वाला एक लड़का महेश था, उसने भी मुझे आगाह किया था, राहुल के बारे में,पर मैं तो राहुल के प्रेम में इस तरह अंधी हो गई थी कि किसी की बात नहीं सुन रही थी।

मैंने महेश से रोते रोते कहा कि “मुझे मर जाने दो, मैं जीना नहीं चाहती।” महेश ने कहा, “नहीं महिमा, मैं तुमसे आज भी प्रेम करता हूंँ और मैं तुमसे शादी करूंगा।”महेश मेरे घर चले आए।जब मैंने मम्मी पापा और भैया को सारी बातें बताईं तो भैया ने मुझे मारा‌।

परंतु महेश ने मुझे बचा लिया और उसे शादी करने का वादा किया।कुछ दिनों बाद हमारी शादी हो गई और हम उस शहर को छोड़कर बनारस आ गए। क्योंकि अब उस शहर और मोहल्ले से मुझे कोई प्रेम नहीं रह गया था।यहांँ महेश ने कपड़े की एक छोटी सी दुकान खोल ली और हमारी शादीशुदा जिंदगी पटरी पर आ गई। साल भर बीतते बीतते मेरी गोद में निशा आ गई।

हम लोग बहुत खुश थे। तभी एक दिन मेरे पास एक फोन आया। मैंने फोन उठाया तो वह राहुल का फोन था। मैंने फोन काटना चाहा, तो उसने अपनी कसम देकर मुझसे कहा कि “एक बार आकर मुझसे मिल लो, मैंने जो तुम्हारे साथ किया उसका परिणाम मुझे मिल रहा है,

मैं बहुत कष्ट में हूंँ। उसने मुझे ब्लू हैवेन होटल में बुलाया था।  निशा सोई हुई थी।मेरे घर में सन्नाटा छा गया और सुनाई दे रही थी तो सिर्फ घड़ी की टिक टिक। मैंने अपने मन से वादा किया कि “नहीं महेश ने मुझे ऐसी स्थिति से निकालकर संभाला है, जिस स्थिति के बाद माता-पिता भी लड़कियों को स्वीकार नहीं करते।

मैं महेश को धोखा नहीं दूंगी। मैं राहुल से मिलने नहीं जाऊंगी।” यह सोच कर मैंने घड़ी को उतार कर उसकी बैटरी निकाल दी, ताकि टिक टिक की आवाज बंद हो जाए और पुरानी यादें मेरे दिल से निकल जाएं। तभी निशा उठ गई मैंने उसे गोद में उठाया और छत पर खुले आसमान के नीचे जाकर  सुकून की सांस ली।

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