मृत्यु दंड – सुधा शर्मा

काश्मीर की खूबसूरत वादियों में खोई वह बर्फ के पर्वतों को देखती रह जाती, प्रकृति की सुन्दरता को कितनी देर तक निहारती रहती।

        अक्सर वह उससे कहता,”कहाँ खोई रहती है तू सपनों की दुनिया में ?”

“मुझे अच्छा लगता है इन में डूब जाने को मन करता है।”

             ‘ मेरे मन में डूब जाओ , डुबो दो मुझे भी ।’

       वह हँस देता ।कितनी मनमोहक थी उस की हँसी । नेहा उसे जान से ज्यादा चाहती  थी

रोज शाम को उसी जगह बैठ कर कितनी बातें करते दोनों ।कितना प्यार भरा होता था उसकी आवाज़ में कहता ” तू मैरे जीवन का बेशकीमती एहसास है , लिपटी हुई हो मेरी रूह आत्मा से ।मेरे जीवन में इतना मुहब्बत से लबरेज़ इन्सान कोई नहीं आया ।

उसके गीत जब वह भाव विभोर हो कर गाता था  ” आओगे जब तुम साजना अंगना फूल खिलेगे ” वह भाव विभोर हो जाती ।उसकी खूबसूरत आवाज मन को तरंगित कर देती ।

    अक्सर वह कहीं चला जाता, जब वह उदास हो जाती तो कहता ” मैं तुम्हारी आत्मिक भावनाओं को समझता हूँ, मुझे महसूस करो अपने पास, मै हमेशा तुम्हारे साथ हूँ तुम्हारे पास हूँ । “

उसकी आवाज़ उसकी हँसी कानो मे गूँजती  रहती ।

जाने कैसा था उसके प्यार नशा ।सुबह उसकी यादों के साथ जागती सारे दिन मन में उसके शब्दो को दुहराती,रात कितनी बार उसके नाम को पुकारती  , उसकी यादों को आगोश में लेकर जाने कब सो पाती थी ।

कहती थी ‘ कहाँ चले जाते हो बार बार मुझे छोड़कर  बार बार  ।अगर तुम मुझे अकेले छोड़ कर चले गये तो जान दे दूँगी

अपनी ,जी नहीं पाऊँ गी तुम्हारे बिना। इन्ही घाटियो  में खो जाऊँगी ।”

       ” कैसी बातें कर रही हो जहाँ जाऊँगा तुम को लेकर ही जाना है।एक बड़ा आॅफर मिलने वाला , जिंदगी बदल जायेगी हम दोनों की। तेरी सारी ख़्वाहिशें पूरी कर दूँगा ।”

            और फिर उस दिन वह

कमान्डर के पास खड़ी  थी।’साहब अभी चलो मेरे साथ , बहुत बड़े बम ब्लास्ट की तैयारी में है वह सब।अभी सब देख सुन कर आ रही हूँ।”

              उस को साथियों

के साथ गिरफ्तार किया गया, फिर उससे बोले ,” शाबास , तुम्हे मै खुद

अपनी तरफ से इनाम देना चाहता हूँ सरकार जब देगी तब देगी ।बोलो क्या चाहिये ?”

         ” इस देश द्रोही से जान से अधिक  बेतहाशा प्यार करने का एक ही इनाम हो सकता है ‘ मृत्यु दंड  ‘ ।और देखते ही देखते उसने अपने आप को गहरी घाटी में सौंप दिया।

सुधा शर्मा

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