लाड़ो – कमलेश राणा 

जानकी को प्रसव पीड़ा हो रही थी,,

मानव ,,मानव ,,जल्दी कार निकालो,,जानकी को दर्द हो रहे हैं,,अभी हॉस्पीटल ले जाना पड़ेगा,,

अभी निकालता हूँ,,माँ,,

राधिका बेचैन हो रही थी,,बहू का दर्द उससे देखा नहीं जा रहा था,,साथ ही उसकी आँखो में डर भी था बेटी पैदा होने का,,

उसे रह- रह कर अपने दिन याद आ रहे थे,,अमावस की काली रात थी ,,प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी वो,,

बाहर सास और पति इन्तज़ार में थे,,कब नवजात के रोने की आवाज आये,,दोनों को पूरा विश्वास था कि उनके वंश का चिराग ही पैदा होगा,,

लेकिन जब दाई ने आ कर बताया कि,,लक्ष्मी आई है,,तो ऐसा लगा मानों,,बिजली गिर पड़ी हो,,दोनों में खुसर-फुसर शुरू हो गई,,

राधिका को अपनी ससुराल की परम्पराओं के बारे में पता था,,उसका कलेजा धक-धक कर रहा था,,

थोड़ी देर शांति रही,,तो राधिका के मन को तसल्ली हुई,,पर उसे क्या पता था कि यह तूफान से पहले की शांति थी,,


थोड़ी देर बाद उसकी सास हाथ में तम्बाकू ले कर आई,और बोली,,ले खिला दे लड़की को,,

राधिका ऊपर से नीचे तक कांप गई,,क्या कह रही हैं आप माँ,,मैंने नौ महीने इसे अपने खून से सींचा है,,देखो न कितनी सुन्दर और मासूम है,,

माँ अभी तो उसकी आंखें भी नहीं खुलीं ठीक से,,

पागल मत बन बहू,,बेटे ने सुन लिया तो साथ में हम दोनों को भी मार डालेगा,,

क्या बात है माँ,,अभी तक उसको बाहर ले कर क्यों नहीं आईं,,

आती हूँ,,जल्दी कर बहू,,कहीं वो अंदर न आ जाये,,

माँ,मैं पैर छूती हूँ आप के,,मैं जिन्दगी भर आपकी गुलामी करूंगी,,,बस इसे बचा लो,,

इतने में उसका पति बन्दूक ला कर,,कनपटी पर रख देता है,,तू क्या चाहती है कि इसकी वजह से मेरा सर दूसरों के सामने झुके,,तू नहीं मारेगी तो मैं मार दूँगा,,

माँ मैं खून बहाना नहीं चाहता ,,अपनी खैर चाहती हो तो जल्दी करो,,

ठीक है,,तू बाहर जा,,

सास फूल सी कोमल बच्ची को गोद में लेती हैं,,और उसके मुँह में तम्बाकू रखते हुए कहतीं हैं,,जा,लाड़ो,,भाई को भेजना,,


बच्ची को दो-तीन हिचकी आती हैं और उसकी गर्दन लुढ़क जाती है,,

राधिका रो-रो कर बेहोश हो जाती है,,जब भी होश आता है,,वही घटनाक्रम आँखों के सामने घूमने लगता है और वो फिर बेहोश हो जाती है,,

सालों लग जाते हैं उसे उबरने में,,

पति के पास आने और छूने पर ऐसा लगता है जैसे सैकड़ों बिच्छुओं ने डंक मार दिया हो,,पर पत्निधर्म तो निभाना ही पड़ता,,चाहे-अनचाहे,,

अब दोबारा माँ बनने के नाम से ही उसे डर लगने लगा था,,तीन साल बाद वो पुन: गर्भवती हुई,,

इस बार बेटा हुआ,,पूरे गाँव में मिठाई बंटी,,खुशियाँ मनाई गई पर राधिका के चेहरे पर दूर-दूर तक खुशी दिखाई नहीं दे रही थी,,,उसे अपनी बेटी का चेहरा याद आ रहा था,,,

अचानक शिशु के रोने की आवाज से उसकी तंद्रा भंग हुई,,

नर्स ने आ कर कहा,,प्यारी सी गुड़िया आई है,,

राधिका को पति के चेहरे पर वही कठोर भाव दिखे,,परंतु उसने दृढ़ निश्चय कर लिया था कि इस बार वह इतिहास को दोहराने नहीं देगी,,

तभी मानव ने बेटी को ला कर माँ की गोद में दे दिया,,राधिका ने उसे अपने सीने में इस तरह भींच लिया कि अब उसके रहते कोई भी उसका बाल बाँका नहीं कर सकता,,

राधिका के पति भी इतने दिनों में समझ गये थे कि अब वक़्त बदल चुका है,,

बेटी का नाम राघवी रखा गया,,पर उसकी दादी हमेशा उसे लाड़ो कह कर ही बुलातीं,,


तीन साल बाद राघवी का भाई इस दुनियाँ में आया तो राघवी की पीठ को घी गुड़ से पूजा गया,,

नन्हीं बच्ची को कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,

उसने पूछा,,,दादी,,यह क्या है?? लाड़ो तेरी पीठ पर भाई आया है न,,इसीलिये तेरी पूजा हो रही है,,तू भाई ले कर आई है न,,

और एक बार फिर उन्हें अपनी सास के कहे शब्द याद आ गये,,जा बेटी भाई को लेकर आना,,

इतने में मानव आ गया,,माँ मैं अपनी बेटी को इतना योग्य बनाउंगा कि लोग उसकी मिसालें देंगे कि देखो उनकी बेटी,,बेटों से भी आगे है,,

और सच में ही राघवी ने अपनी दादी और माँ पापा के सपने को सच कर दिखाया,,


IIT में गोल्ड मेडल प्राप्त करने के बाद वह पढ़ने के लिए विदेश चली गई,,

स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से MBA करने के बाद उसे एप्पल जैसी कंपनी में ऊंचे पद पर जॉब मिली थी,,

आज उसके दादा जी लोगों से कहते नहीं थक रहे थे,”मेरी बेटी मेरा अभिमान है “,,

कमलेश राणा 

ग्वालियर

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