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हिमा कहां हो तुम देखो शादी का बहुत काम है । पंकज पुकारते हुये अन्दर आये । पूरे घर में शादी की तैयारी चल रही थी । एक नहीं दो दुल्हन इस घर से विदा होनी थी । दोनों प्रशासनिक अधिकारी । रानू और शीना सबके लिये अधिकारी पर मां के लिये वही रानू और शीना अल्हड़ , शैतान जो मां को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ती थी । पकंज पुकारते हुये कमरे में आये देखा हिमा चुपचाप आंखों में आंसू लेकर बैठी थी । पकंज ने हिलाया और बोले तुम ऐसे करोगी तो शायद मैं भी कमजोर पड़ जाऊंगा । हिमा बोली पंकज कितनी जल्दी समय बीत जाता है। दो महीने की मेरी गोद में तुमने सौंपा था आज इनके जाने का समय आगया । पंकज चुपचाप पुराने दिनों में पहुँच गये ।
पंकज की एक ही बहन थी सविता । मां बाप का साया बहुत जल्दी पंकज के सिर से उठ गया था । जब पकंज केवल आठ साल के थे और सविता केवल तीन साल की थी । एक दुर्घटना में मां बाप दोनों का चला जाना । पंकज और सविता को अनाथ बना गया । एक रिश्ते के चाचा थे उन्होंने ही पंकज और सविता को सहारा दिया पर वह स्वयं ही आर्थिक रूप से बहुत कमजोर थे । पकंज अपनी उम्र से अधिक समझदार थे । वह छोटा छोटा काम करके अपने चाचा की मदद करते रहे थे । समय कट रहा था । दोनों भाई बहन पढ़ने में होशियार थे । जब पंकज पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे थे और सविता इन्टर कर चुकी थी की पकंज के चाचा की मृत्यु होगयी । पंकज की इन्टर कालिज में नौकरी लग गयी थी । सविता भी बड़ी होरही थी । पंकज को उसकी शादी की चिन्ता होने लगी । आर्थिक रुप से बहुत सम्पन्न नहीं था पर बहन के लिये कोई कमी भी नहीं छोड़ना चाहता था । उसी समय किसी ने एक सम्बन्ध बताया और बातें चली उस लड़के का नाम था अमन । अमन अनाथ था
उसे अपने बारे में कुछ पता नहीं था । वह अनाथालय में रहा जरूर था पर अपनी मेहनत और होशियारी के कारण पढ़ लिख कर अच्छी सर्विस में था । उसे सविता पसंद आगयी । सविता की इच्छा थी कि जाने से पहले अपने भाई पकंज का घर बसा दे । उसे पता था उसकी घनिष्ठ मित्र हिमा उसके भाई को पसंद करती है। बस उसने हिमा के मम्मी पापा से बात की और सम्बन्ध होगया । एक सहेली विदा हो कर गयी दूसरी विदा होकर आगयी । पांच साल के अन्दर सविता दो प्यारी जुड़वा बेटियों की मां बन गयी पर हिमा मां नहीं बन पाई ये दुख उसे अन्दर ही अन्दर तोड़ रहा था । रानू और शीना दो महीने की हो गयी । पहली बार अमन और सविता उन्हें लेकर हिमा और पकंज से मिलने आ रही थी कि बस का एक्सीडैन्ट हो गया । जब पकंज और हिमा को पता लगी वह तुरन्त धटना स्थल पर पहुँचे दोनों के आंसू नहीं रुक रहे थे जब पुलिस ने मृतकों को दिखाया क्योंकि दोनो ही चिर निन्द्रा में सो चुके थे । जब पुलिस ने दोनों बच्चियों को उन्हें सौंपा तब उनका रुदन सब सीमा तोड़ गया । हिमा ने उन बच्चियों को अपने ममता के आंचल में छिपा लिया और दोनों ने प्रण किया कि और संतान को जन्म नहीं
देंगे । कभी किसी को पता ही नहीं चला कि हिमा इनकी मामी है। आज सब उसकी दोनों बेटियों की तारीफ करते हैं । दोनों बेटियों ने सविता और पंकज को एक सम्मान दिलाया है।
आज दोनों बेटियों की विदाई है। सविता सोच रही थी क्यों होती है ये रीत । बाहर ढोलक पर कोई महिला गीत गा रही थी ” बाबुल में चिड़िया तेरे आंगन की ” । आज पंकज और हिमा का सर गर्व से ऊंचा था उनकी बेटियाँ उनके दिल की धड़कन हैं ।
स्व रचित
डा. मधु आंधीवाल
अलीगढ़