सुनन्दा आज एक दम अचम्भित हो गयी जब मनु ने आकर कहा आप मेरी मां नहीं हो आज तक आप मुझसे झूठ बोलती रही । वह मनु से बहुत पूछती रही कि किसने तुमको बहका दिया । मनु केवल आठ साल की थी । जब उसका अनचाहा जन्म हुआ तभी उसने एक कठोर निर्णय कर उसको अपने आंचल मे छुपा लिया था । सुनन्दा की आंखो के सामने आठ साल पहले की घटना घूम गयी ।
निकिता उसकी प्यारी ननद थी वह पूरी रात सोना ना सकी । उसे कुछ समझ नहीं आरहा था । पूरा शरीर दर्द कर रहा था । सुबह उठी तो चक्कर आगया । वह बिस्तर पर ही बैठ गयी । तभी उसे सुनन्दा भाभी की आवाज सुनाई दी निक्की आज आफिस नहीं जाना । उसने कहा जाना तो है। सुनन्दा को उसकी आवाज कुछ सुस्त लगी । वह उसके कमरे में आई बोली तुम्हारी तबियत सही नहीं है क्या ? सुनन्दा ने उसका सर छूकर देखा उसे बहुत तेज बुखार था । निक्की उसकी ननद ही नहीं बच्चे की तरह थी । उसके कोई संतान नहीं थी । किशोर और उसने उसे बेटी की तरह ही पाला था ।
अचानक निक्की उससे लिपट कर रोने लगी बहुत पूछने पर जब उसने जो बताया वह एकदम पत्थर होगयी । उसने कहा तुम इतनी समझ दार हो एक अधिकारी हो तुमसे ये गलती कैसे होगयी वह भी एक विवाहित पुरुष के साथ । किशोर शहर से बाहर थे और उसके ससुर गांव गये हुये थे । वह ससुर के आने से पहले इस समस्या से निपटना चाहती थी । किशोर जब लौट कर आये और उन्हें बताया तो वह गुस्से से बोले कि मर जाने दो मैं समझूंगा कि मेरी कोई बहन नहीं थी पर सुनन्दा के बहुत समझाने पर वह शान्त हुआ । सुनन्दा उसे अपनी डा.सहेली के पास लेगयी । डा. ने एबोर्शन को मना कर दिया कि समय अधिक हो गया है।
सुनन्दा और किशोर ने बहुत सोच समझ कर निर्णय लिया की बच्चे को वह गोद रख लेंगे किसी को पता नहीं लगेगा और निक्की की शादी कर देंगे । निक्की ने समय पर एक सुन्दर सी बिटिया को जन्म दिया । बस ये बात सुनन्दा की मां को पता थी । मनु की वह नानी थी क्योकि अब वह सुनन्दा की बेटी थी पर उनको हमेशा लगता कि उनकी बेटी के भी कोई सन्तान होती । वह हमेशा यही कहती परायी सन्तान तो परायी होती है । आज जब मनु थोड़ा समझ दार हुई तो उन्होंने उसको बोल दिया । जब मनु ने उसकी मां का नाम लिया तो वह आग बबूला होगयी वह मां से बोली इतना द्वेष आप क्यों रखती हो मेरी बेटी से आज के बाद कभी ये चुगली वाली हरकते की तो मेरा और आपका कोई सम्बन्ध नहीं रहेगा । मेरी बेटी मेरी जान है।
स्वरचित
डा. मधु आंधीवाल
अलीगढ़