जिसे जीना आता है वह बिना किसी सुविधा के भी ख़ुश मिलेगा| जिसे जीना नहीं आता वह सभी सुविधाओं के होते हुए भी दुखी मिलेगा|

जिंदगी म्यूजिक प्लेयर नहीं है जिसमें आप अपनी पसंद के गीत सुन सके| जिंदगी एक रेडियो है| उसमें जो भी आ रहा है उसी से मनोरंजन करे|





एक कौवा ये सब तमाशा देख रहा था। उसे चिड़िया पर हंसी आ गयी। उसने चिड़िया से कहा- “तुम्हारे बुझाने से आग कम भी नही होगी। तुम्हारी कोशिश बेकार है।


देखने वालों में।” आज हमारे समाज में इसी कौवे की प्रवृत्ति के लोग अधिक हैं जो हर बात का बस दूर से तमाशा देखते हैं

तरह बनाएं न कि कौवे के तरह।

अगर कोई व्यक्ति दिन रात मेहनत करता है तो लोग कहते है कि पैसो के लिए मरा जा रहा है और मेहनत ना करे तो निखट्टू है,पैसा खर्च करो तो उसे फिजूलखर्ची

कहा जाता है और पैसा खर्च ना करे तो उसे कंजूस व मक्खीचूस कहा जाता है, अगर आपके पास पैसा बहुत है तो कहेंगे कि दो नम्बर का होगा और अगर पैसा कम है

तो कहेंगे कि थोड़ी सूझबूझ होती तो यह हाल नहीं होता, और जिंदगी भर मेहनत से जमा किये गये पैसों के बारे में कहा जाता है

कि बेवकूफ़ है पैसे का सुख नहीं भोगा
तो कमाया ही क्यों था

कहीं ना कहीं कर्मों का डर है! नहीं तो गंगा पर इतनी भीड़ क्यों है? जो कर्म को समझता है उसे घर्म को समझने की जरुरत ही नहीं पाप शरीर नहीं करता विचार करते है





पक्षी एक एक अन्न खाने के खातिर सौ सौ बार सर झुकाता है,और एक इंसान है जो सौ बार खा कर भी एक बार परमात्मा का शक्रिया नहीं करता!
