प्यार , की कोई उम्र नहीं, – प्रीती सक्सेना

 करीब सात साल पहले की  बात है,, पतिदेव की पोस्टिंग अहमदाबाद में हुई,,, कंपनी ने वहां के सबसे पॉश इलाके में फ्लैट दिया,,,, ग्यारहवीं मंजिल पर फ्लैट,,, नीचे देखा तो चक्कर से आने लगे,,, कुछ दिन सामान सेट करने में लगे,,, बेटी मदद को आ गईं थी,,, उसकी सहायता से,, जल्द ही,,, घर व्यवस्थित हो गया।

         बेटी के जाने का समय आया तो वो बोली,,, मम्मी आलस मत करना,,, देखो नीचे पार्क में कितनी सारी महिलाएं दिख रहीं हैं,,, आप रोज शाम को नीचे जाकर बेंच पर बैठना और अपनी तरफ़ से दोस्ती का हाथ बढ़ाना,,,,, किसी न किसी से आपकी जम ही जाएगी,,,

दोस्ती करने में आप माहिर हो ही,,,, हमने वचन दिया हम जरुर जायेंगे,,,,,, चूंकि हम दोनों ही घर में रह गए थे,,, उसे चिंता थी,, पापा के ऑफिस या टूर पर जाने के बाद मम्मी बोर न हो जाएं,,,, बच्चे चिंता तो करते ही हैं।

        शाम को हम लिफ्ट से नीचे उतरकर,,, पार्क में पड़ी बैंच पर बैठ गए,,,, थोडी देर बाद कुछ बराबरी की,,,, कुछ हमसे बड़ी उमर की महिलाओ का आगमन हुआ,,,,, हम उन्हें देखकर मुस्कुराए तो वो भी पास आ गईं,,,, फिर तो ऐसी जमीं  हमारी,,,, कि भूल ही गए,,, कि हम बच्चियां नहीं सभी पचास, पचपन के लपेटे में हैं ,,,,,, कल मिलने का टाइम फिक्स करके अपने अपने घर आ गए,,,, हमको खुश देखकर पतिदेव भी खुश हो गए,,, निश्चिंत हो गए ।

फिर तो हमारी दोस्ती ऐसी बढ़ी कि जैसे ही फ्री होते,,,, इंटरकॉम में फोन करके छहों सहेलियों को किसी एक के घर में बुला लेते,,, और फिर जो ठहाकों का दौर शुरु होता तो हंसते हंसते सबके पेट,,,, दुखने लगते,।

         उनमें से एक सहेली,,, चुप रहती,,, पता चला,,, उसके पति इस दुनिया में नहीं हैं,,, सब उदास हो गईं,,, समय के साथ सबके सुख दुख से हम,,,, वाकिफ होने लगे,,,,, एक दिन वो बहुत हताश और निराश होकर बोली,,, क्यों पति के जाने के बाद,,, औरत नीरस और मनहूसियत की,,,

जिंदगी जीने के लिए मजबूर है,,,, वो भी ऐसे पति के लिए,,, जिसने कभी न उसे प्यार दिया न कभी सम्मान,,,,, क्यों दिखावा करने को मजबूर हैं हम,,, मुझे नहीं था प्यार उस इन्सान से तो मैं क्यों बाध्य हूं,,,, हल्के रंग के कपड़े पहनने को,,,,, मैं खुलकर जीना चाहती हूं,,, सिंगार करना चाहती हूं,,,

सजना, संवरना चाहती हूं,,, रंग बिरंगे कपड़ों में लिपटे हुए,,,, अपने आप को देखना चाहती हूं,,,,, हम भौंचक्क से उसकी तरफ़ देखते रह गए,,,,,, कितना भरा हुआ है,,,, इसके अंदर,,,, और ये इतने दिनों से चुप है।


   दूसरे दिन,,, हमने उसकी मर्जी जानी,,, वो बाहर से आई थी,, बेटी की डिलीवरी के लिए,,, उसका बेटा था,, जिसकी शादी होना बाकी थी,, वो खुद इन जिम्मेदारियों  के बाद किसी का साथ चाहती थी,,,, पर सबसे बड़ी समस्या थी,, उसके बच्चों से बात कैसे करें,,,,, हम सब दिमाग,, लगा रहे थे,,, पर तरीका समझ नहीं आ रहा था।

थोड़े समय बाद,,, बेटी को बेटा हुआ,,,, उनका बेटा भी,,, अपनी भांजी को देखने आया,,,, उन्होंने हम सभी से बेटे को मिलाया,,,, बेटा बोला,, मैं विदेश जाने वाला हूं,,, मम्मी की चिंता हो रही है,, दीदी के भी सास ससुर हैं,,, वहां भी नहीं रह सकती,,, देख रहा हूं आप सबके साथ बहुत खुश हैं मां मेरी,,,, हमने मौका ताका,,,,, और हिम्मत करके,,, धड़कते दिल के साथ बात कर ही डाली।

        हम बुरी तरह घबराए थे,,, पता नहीं,, क्या प्रतिक्रिया होने वाली है,,, जवान बच्चों से उनकी मां के पुनर्विवाह की बात करना,,,,, मामूली बात तो नहीं थी न,,,, बेटे ने अपनी बहन को भी बुलाया और वो दोनों अपनी भाषा में कुछ बातें करने लगे,,,, सहेली वहां से उठकर,,, किचन में,,

चाय बनाने चली गई,,, हम भी उसके पास चले गए,,,, देखा तो उसका चेहरा पीला पड़ रहा था,,,, हाथ कांप रहे थे,,,, हम सब उसे हिम्मत दे रहे थे,,,,, चाय की ट्रे लेकर हॉल में गए,,,, देखा तो बेटा बेटी मुस्कुरा रहे थे,,,, बेटा बोला,,, आंटी,,,, आप लोगों की ही जिम्मेदारी है,,, मम्मी के लिए सही पार्टनर ढूंढना,,, एक बार, मेरी मां का जोड़ा गलत बना,,, पर अब मेरी मां की सहमती से ही उनका जीवनसाथी आएगा।

    हम एक साल बाद ही,,, इंदौर आ गए,,, पर मेरी सहेलियों से मेरी बात होती रहती थीं,,, उन्होने बताया,,, एक रिटायर्ड मिलिट्री ऑफिसर, जिनकी पत्नी का देहांत हो चुका था, उनके बच्चों ने ही पहल की,,, और मेरी सहेली,,, फिर से सुहागन हो गई,,, लिखते लिखते आंखे भर आईं,,,

आज हम कुछ सहेलियों अलग अलग शहरों में हैं,,,पर फोन के द्वारा सब आपस में जुड़े हुए हैं। हमारा थोडा सा साथ उसे,, जीवन भर की खुशी दे गया,,, ये अहसास बहुत ,, शांति देता है हमें,,, अपने लिए तो सभी जीते हैं,,, दूसरों के कुछ करके देखिए,,,,,, कितनी खुशी मिलती है।

उम्मीद है ये सच्ची कहानी आप सभी को पसन्द आएगी 🙏🙏

प्रीती सक्सेना

इंदौर

स्वलिखित

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!