रिश्तें फिर जुड़ गयें – गुरविंदर टूटेजा

 रात के ग्यारह-सवा ग्यारह बजे होगें…तभी घंटी…फोन की घंटी….दरवाजे को भी जोर जोर से खटका रहा थे…आवाज़ सुनकर सभी अपनें कमरों से बाहर निकल आये दरवाजा खोला तो सामने बहुत सी भीड़ थी…शोर था आपके यहाँ आग लगी है पीछे की तरफ से धुआं आ रहा है…सुनकर सब घबरा गये क्योंकि नीचे पैट्रोल पम्प था….कोई छत पर गया देखने जहाँ तन्दूर था..कोई रसोई में…

सब जगह देखा पर समझ नहीं आया…तभी बड़ी बहू को ध्यान आया कि देवर जिनका दो महीने पहले ही निधन हो गया था…..उनके कमरे से उनकी पत्नी व बेटी नीतू इतने शोर के बाद भी बाहर नहीं आये तो वो उस तरफ भागी…इतने में नीतू आती दिखाई दी जो धुंए से काली हो गयी थी…फिर सबको समझ आ गया कमरे में सबने मिलकर जल्दी ही आग बुझा दी…पर इस घटना ने सबको दहला दिया था..!!!!

  घर के छोटे बेटे की पत्नी पूरी जल गयी और उनका निधन हो गया…क्या-कैसे हुआ कुछ समझ नहीं आ रहा था…सबसे पहले मायके में खबर की गयी…पुलिस भी आ गई सबके बयान और सबसे जरूरी…नीतू का बयान..दोनोें हाथ व हल्का सा चेहरा झुलस गया…अंदर धुंआ भरा गया था…बोल नहीं पा रही थी पर फिर भी बताया कि वो तो सो रही थी तभी गरमाहट महसूस हुई जब उठकर देखा तो मम्मी जल रही थी..पूरे कमरे में धुँआ भर गया साँस नहीं आ रही थी तो खिड़की खोल दी और मम्मी जो नीचे गिर गयी थी उनपर गद्दा डाला तो आग नीचे हो गई तो मैं बाहर निकल  इतना सब होने के बाद भी…नीतू ने इतने अच्छे से बयान दिये तो सबने उसकी सराहना की…!!

   सुबह बहू के मायके वाले भी आ गये वो भी अचानक हुये हादसे से दु:खी थे और ये बात भी जानते थे कि जवाई जी के निधन के बाद से ही वो सदमें में थी पर आत्महत्या कर लेंगी ये नहीं सोचा था पर…बहू के एक चाचा जो आई. टी. ओ. थे वो इसमें ससुराल वालों का हाथ मान रहे थे और वहाँ की पुलिस पर उन्हें भरोसा नहीं था…तो उन्होंने सी.आई. डी. बिठा दी…!!!!



  फिर तो बहुत सी परेशानियाें का सामना करना पड़ा…ससुराल वालों को रोज नये तरीके से खोजबीन और बयान होते… नीतू की समझदारी व सही बयान से जल्द ही केस खारिज़़ हो गया…पर रिश्तों में मनमुटाव हो गया…मिलना-जुलना भी बंद हो गया ऐसे ही एक साल गुजर गया…!!!!

   स्कूल की छुट्टियाँ हो गयी थी..रविवार को दादी ने तन्दूर में बाटियाँ बनाई और नीचे आकर घी में चुपड़कर रखी तो पहली बाटी एक टुकड़ा लेकर नीतू बाॅलकनी में खड़ी होकर खा रही थी तभी उसे कार आती दिखाई दी तो वो घबराकर अंदर गयी जहाँ सब बैठे थे और बोली….वो आये हैं…वो आये हैं…!!

  सबने एक साथ पूछा…कौन आयें हैं और डर क्यूँ रही हो…??

  अरे ! मेरे मामाजी-मामीजी आयें है…सबके चेहरे पर चिन्ता की लकीरें ऊभर गयी क्योंकि रिश्तें बिगड़नें के बाद मन भी खट्टें हो गये थे बस प्रश्न यही कि अब क्यों आये है..??

  इतने में वो ऊपर आ गये सबसे मिले…नीतू के गले लगकर रोये भी बहुत… पहले चाय-पानी हुई…फिर बातचीत हुई तो उन्होंने माफी माँगी और कहा जो भी हुआ भूल जायें और नीतू से रिश्ता रखनें दें…मामीजी ने कहा कि आज ही सुबह नीतू की मम्मी सपनें में आई और बोली की मेरी बेटी ध्यान रखें व जाकर उसे संभालें…बस दिल तो हमारा कबसे कर रहा था तो हम उसी समय निकल आये…हमें अब रिश्तों का मनमुटाव खत्मकर आगे बढ़ना चाहिये…नीतू की ताऊजी व दादी ने कहा ठीक है जो हुआ उसे भूलकर हम-आप आगे बढ़तें है और बात को खत्म करतें हैं…!!

 सभी बहुत खुश थें साथ में खाना खाया और फिर नीतू की छुट्टियाँ है तो उसे साथ भेज दीजिये… सामान पैक करके खुशी-खुशी नीतू भी तैयार हो गयी…रिश्तें फिर जुड़ गयें….!!!!

गुरविंदर टूटेजा

उज्जैन (म.प्र.)

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