विश्वासघात – के आर अमित : Moral Stories in Hindi

दोनों गाड़ी में बैठ गए पहले से ही सोचकर आए सोहैल की नीयत उसके कपड़ो उसके गले मे सोने की चैन हाथों में अंगूठियां देखकर खराब हो गई और मन ही मन उसने सोचा कि ये घर आने वाला है मेरे अलावा किसी को पता नही है अगर मैं इसको ठिकाने लगा दूं तो ये सोना ये सारा पैसा मेरा हो जाएगा इससे न सिर्फ मेरा कर्ज बल्कि बाकी की जिंदगी भी ऐशोआराम से गुजरेगी।

समीर और सोहैल दोनों दोस्त मगर भाइयों से ज्यादा प्यार था दोनों में। दोनों हमउम्र तो थे ही दोनों एक ही गांव के होने के चलते दोनों की पढ़ाई लिखाई भी साथ साथ हुई। एक दूसरे पे जान देने वाले ये दोस्त पूरे गांव में एक मिसाल थे। उनका ज्यादातर समय एक साथ ही गुजरता क्रिकेट का ग्राउंड हो मार्किट जाना हो या मस्ती करने वो हमेशा एक साथ रहते मतलब एक को ढूँढ़ो तो दूसरा खुद ही मिल जाता था।

समय गुजरता गया दोनों ने पढ़ाई पूरी कर ली दोनों साथ मे ही नौकरी करना चाहते थे उन्होंने काफी इंटरव्यू एक साथ दिए कभी एक का चयन हो जाता तो दूसरा रह जाता इस चक्कर मे दूसरा भी नौकरी जॉइन नही करता था। मगर इस कबतक चलता आखिर कुछ तो करना ही था। समीर ने विदेश

जाने की सोच ली मगर सोहैल घर मे रहकर ही कुछ का करना चाहता था। काफी सोच विचार के बाद दोनों में सहमति हो गई। समीर विदेश चला गया तो सोहैल घर में रहकर ही कुछ करने की सोचने लगा।

समीर हर रोज उसे फोन करता बात करता और उसे कहता कि भाई यहां आ जा विदेश में । मैं तेरी नौकरी लगवा दूंगा अपनी कंपनी में बात करके मगर सोहैल हमेशा उसे कहता कि नही भाई काम तो

यहीं रहलर करूंगा। कुछ महीने गुजरे तो सोहैल ने समीर को कहा कि भाई मुझे एक काम करना है थोड़ी मदद चाहिए समीर ने पूछा कि क्या सोच है क्या करना चाहते हो तो सोहैल ने कहा कि मुझे टेक्सी लेनी है में यहीं टेक्सी चलाकर काम करना चाहता हूं तुम फ़िकर मत करो काम चलते ही तुम्हारे पैसे बापिस कर दूंगा।

समीर ने उसे कहा कि भाई भी कहते हो और गैरों वाली बात भी करते हो क्या भाई पैसे जो भी चाहिए तुम मुझे बताओ जितने हैं लभी दे दूंगा बाकी किश्तें कर लो मैं हर महीने तुम्हे भेजता रहूंगा। दोनों में बात हो गई समीर हर महीने उसे पैसे भेजने लगा इधर सोहैल को दारू और लड़किओं पर पैसे उड़ाने की लत लग गई वो जो भी पैसा आता सारा उड़ा देता और जैसे कैसे टेक्सी चलाकर किश्त चुकाता। 

दो साल गुजर गए समीर के घर आने का समय हो गया उसने सोहैल से बात की भाई मैं घर आ रहा हूँ आकर फिर से पहले की तरह मौज मस्ती करेंगे एक साथ समय बिताएंगे। सोहैल ने भी खुशी जताते हुए उसे मिलने की बेकरारी बताई। मगर उसने कहा कि भाई जब तुम आओगे तो मैं टेक्सी लेकर एयरपोर्ट पर आ जाऊंगा तुम फ़िक्रमत करना हम घरवालों को सरप्राइज देंगे तुम किसी को कुछ मत बताना जब के बार फिर से अचानक घर जाएंगे तो घरवालों की खुशी दोगुनी हो जाएगी।

समीर को ये आइडिया पसंद आया उसने कहा कि ठीक है भाई मैं किसी को नही बताऊंगा बैसे भी मैने ये बात सबसे पहले तुम्हे ही बताई है। दोनों में बात पक्की हुई जिस दिन समीर को आना था मगर सोहैल के दिमाग मे कुछ और ही चल रहा था उसने समीर को कहा कि तुम एयरपोर्ट से टैक्सी करके

थोड़ा आगे आ जाना क्योंकिं मेरी टेक्सी हिमाचल नम्बर की है तो एयरपोर्ट तक नही जा सकती। मैं दिल्ली की इस जग तुम्हर इंतज़ार करूंगा। सोहैल ने जानबूझकर ऐसी जगह टेक्सी खड़ी की यहां कैमरा न हो। जब समीर आया तो दोनों दोस्त ऐसे मिले जैसे राम और भरत का मिलन हो रहा हो। समीर ने सोहैल से कहा कि अब जल्दी घर चलो और इंतज़ार नही होता घरवालों से मिलने का। 

दोनों गाड़ी में बैठ गए पहले से ही सोचकर आए सोहैल की नीयत उसके कपड़ो उसके गले मे सोने की चैन हाथों में अंगूठियां देखकर खराब हो गई और मन ही मन उसने सोचा कि ये घर आने वाला है मेरे अलावा किसी को पता नही है अगर मैं इसको ठिकाने लगा दूं तो ये सोना ये सारा ओएस मेरा हो जाएगा इससे न सिर्फ मेरा लोन बल्कि बाकी की जिंदगी भी ऐशोआराम से गुजरेगी। उसने मन बना लिया उसे ठिकाने लगाने का।

दोनों ने मिलकर ढाबे पे खाना खाया दिल्ली से हिमाचल पहुंचते पहुंचते रात के आठ बजे गए थे सर्दियों के समय पहाड़ों के लोग कम ही बार निकलते हैं और ऊपर से जंगल का रास्ता था। उसने जंगल के बीच रास्ते मे गाड़ी रोकी और पेशाब करने का बहाना बनाया दोनों उतरकर पेशाब करने लगे। सोहैल थोड़ा पीछे हटा औरपास में पड़े बड़े से पत्थर को उठाकर समीर के सिर पे मार दिया समीर लहुलुहान होकर नीचे गिर पड़ा उसके गिरते ही सोहैल ने पत्थर के ताबड़तोड़ बार करके समीर को मौत की नींद सुला दिया।

उसने उसकी लाश को एक तरफ करके उसे छुपाने की जगह ढूंढने लगा तो उसे पास में ही ढिमक का घर बना दिखाई दिया जो मिट्टी को ऊपर त्रिभुजाकार से बना रहता है आम भाषा मे उसे बामी या सियुंक का घर कहते हैं जिसके ऊपर त्रिभुजाकार आकर्तीण बनी होती है और जमीन के नीचे पूरा गड्डा होता है उसने उसको ऊपर से तोड़ा नीचे गहरा खडडा था। उसने समीर के सारे गहने पर्स बगैरह निकालकर उसको उठाकर उस गड्ढे में डाल दिया और चुपचाप घर की और निकल गया। शराब पीकर घर जाकर आराम से स गया।

इस बात को लगभग एक महीना गुजर गया समीर के घरवाले परेशान थे क्योंकि पहले वो रोज फोन करता था मगर अब महीने से न फ़ोन आया न मैसेज और ऊपर से फोन बंद आ रहा था। जैसे कैसे घरवालों ने एम्बेसी में जाकर कम्पनी तक पहुंच की तो पता चला कि वो तो एक महीना पहले ही छुट्टी चला गया था।

घरवालों ने काफी कोशिश की मगर कुछ पता नही चला। पांच छः महीने गुजर गए एक दिन गांव में शादी थी सोहैल ने उस दिन शराब पी रखी थी। अब उसे लगा कि सब भूल गए हैं किसी को कुछ पता नही लगतो अब उसका कुछ नही बिगड़ सकता मगर ऊपरवाले के पास सबके कर्म का हिसाब

बराबर होता है। उस दिन सोहैल ने वो अंगूठी और चैन शादी में पहन ली। समीर की बहन की नजर जब अंगूठी पर पड़ी तो उसे पहचानने में देर न लगी कि ये बही अंगूठी है जो भाई ने खरीदने के बाद उसे वट्सप पे फ़ोटो भेजी थी उसने फ़ोन पर वो अंगूठी और सोहैल के हाथ मे वो अंगूठी को मिलाया तो शक यकीन में बदल गया क्योंकिं उसपर एस शव्द लिखा था। 

उसने ये बात अपने घरवालों को बताई जब पूछताछ हुई तो सोहैल मुकर गया और बोला कि ये अँगूठी मैंने बनवाई है मेरा नाम भी एस से शुरू होता है। मामला पुलिस तक पहुंच गया। पुलिस ने उस अंगूठी और गले की चैन की जांच करवाई तो पता चला कि ये भारत मे नही बल्कि उसी देश की बनी हुई है यहां समीर गया था अब पुलिस को समझने में देर नही लगी थोड़ी सेवा हुई तो उसने सब सच उगल दिया।

पुलिस उसे उस जगह लेकर गयी यहां समीर को मारकर फैंका था जेसीबी की मदद से खड्डा खोदा तो उसमें कुछ हड्डियां से बचीं थी जिनका डीएनए करवाया तो पता चल गया कि ये समीर ही था। दोस्ती और विश्वासघात की ये ऐसी कहानी थी कि कोई भी यकीन नही कर पा रहा था। लालच आदमी को किस कदर अंधा कर देता है ये उसका जीवंत उदाहरण था जिसने उसे अपने भाई की तरह हमेशा मदद की उसने उसी का कत्ल कर दिया उसके दिल के सारे अरमान उसी के साथ दफन कर दिए थे।

#विश्वासघात

                के आर अमित

       अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश

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