जब तुम मां बनोगी तब पता चलेगा, घर में तो सबसे ऐसा सुनने की आदत ही डाली हुई थी निधि ने लेकिन अब तो दफ्तर में भी यही हो रहा था। निधि ने अपने सारा काम निपटाने के लिए लंच भी नहीं करा था और जब समय पर वह घर जाने के लिए उठी तभी साहब ने कहा निधि श्रीमती भसीन का भी काम पूरा करवा देना कल मीटिंग है इसलिए सारी प्रेजेंटेशन आज ही बननी है, परंतु सर मैंने अपनी
सारी प्रेजेंटेशन कंप्लीट कर ली है, निधि देख रही थी, श्रीमती भसीन अपना काम करने की बजाय कैसे टाइम पास कर रही थी, मजाल है लंच टाइम को 1 मिनट भी छोटा कर लें। निधि अपनी प्रेजेंटेशन बनाने में इतनी थक गई थी परंतु साहब की बात को कोई टाला थोड़ी ना जाना था, निधि
श्रीमती भसीन के साथ बैठकर उनकी प्रेजेंटेशन बनवाने के लिए तैयारी कर ही रही थी कि श्रीमती भसीन ने अपना बैग उठाया और निधि को सारा काम बतला कर घर जाने की तैयारी करने लगी। निधि ने श्रीमती भसीन को रोकना चाहा तो मैडम के साथ वह यही बोली कि मुझे देर हो जाएगी मेरे
बच्चे इंतजार करते रहते हैं आपको क्या फर्क पड़ता है, आपके तो हस्बैंड भी देर से ही आते हैं आप यह फिनिश करके निकलना। बच्चों के साथ में नौकरी करना कितनी मुसीबत का काम होता है, जब आपके बच्चे होंगे तब पता चलेगा।
निधि को काम करने से कोई एतराज नहीं होता था पर इस तरह की बातें सुनकर वह स्वाभाविक रूप से ही परेशान हो जाती थी। हालांकि वर्मा जी तो हमेशा एक ही बात कहते थे हमारे कौन सा कोई रजवाड़े खानदान है कि मेरे बाद राजा कौन बनेगा, तुम मेरे साथ हो बस यही बहुत है। परेशान ना
हुआ कर। हालांकि निधि ने अपनी जेठ की लड़की को अपने साथ ही रखा था और उसका विवाह भी करवाया था परंतु फिर भी घर और बाहर चाहे किसी को कुछ नहीं लेना था परंतु निधि को कितना दुख होता है बिना यह सोचे समझे सब कुछ भी बोलते थे।
अभी कुछ दिनों से निधि की भी तबीयत खराब ही चल रही थी, वह घर का काम भी सही से नहीं कर पा रही थी, वर्मा जी को तो निधि के साथ रहते हुए साफ घर देखना और निधि के द्वारा अपना अच्छे से ख्याल करवाने की आदत थी, अब जब निधि थकी सी रहती तो वर्मा जी ने भी निधि को यही
कहा कि तुम ऑफिस से वॉलंटरी रिटायरमेंट ले लो यूं भी तुम्हारी नौकरी को 25 साल तो हो ही चुके हैं आराम करना। वर्मा जी जब निधि को लेकर डॉक्टर के पास गए तो अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट देखकर दोनों हैरान रह गए निधि मां बनने वाली थी। पाठकगण दूसरे दिन जब वर्मा जी निधि के दफ्तर जाकर उनके लिए मैटरनिटी लीव अप्लाई करवाई तो निधि की सहेलियों को तो बहुत खुशी हुई परंतु मिसेज
भसीन और मैडम जैसी औरतें जो बिना सोचे समझे किसी का भी मन दुखाती थी, उन्हें बहुत परेशानी हुई क्योंकि अब उन्हें अपना काम समय स्वयं ही करना था निधि का सहारा थोड़ी ही मिलना था। घर में भी जो लोग बिना वजह निधि को कुछ भी बोलते थे अब यह जानकारी होने पर भी कि निधि मां बनने वाली है, घर में सहायता करने को कोई नहीं आया।
पाठकगण आपकी जानकारी के लिए बताऊं कुछ समय के बाद निधि ने एक सुंदर से बेटे को जन्म दिया और फिर उसने वॉलंटरी रिटायरमेंट लेने का फैसला भी कर लिया था, बेटे के जन्मोत्सव के संदर्भ में जब उन्होंने हवन किया तो घर की और दफ्तर के बहुत से लोग आए थे, कुछ लोग जिन्होंने
अब तक निधि को कुछ भी बोला था, शर्मिंदा हो रहे थे कि तभी मिसिज भसीन ने निधि से पूछा, निधि तुमने कौन से डॉक्टर को दिखाया था जो तुम्हारे यह बेटा हुआ ? हंसते हुए निधि ने सबके सामने जवाब दिया नहीं यह डॉक्टर को दिखाने से नहीं हुआ, मेरा बेटा तो उन लोगों के आशीर्वाद से हुआ है जो कि सदा मुझे यही कहते थे जब तुम मां बनोगी तब पता चलेगा परमात्मा ने उनकी सुन ली और मुझे मां बना दिया अब मैं देखती हूं मुझे क्या पता चलेगा?
उनका हवन और आयोजन अच्छे से संपन्न हुआ। सभी अपनी अपनी भावनाओं के साथ घर जा रहे थे और निधि और वर्मा जी ने घर में एक फुल टाइम मेड रख ली थी और वह दोनों यह सोचकर ही खुश थे कि अब निधि आराम से दफ्तर से वॉलंटरी रिटायरमेंट लेकर के सिर्फ अपने बच्चों के साथ ही समय बिताएगी।
पाठकगण आपको नहीं लगता कि कई लोग बिना वजह ही दूसरी की निजी जिंदगी में टांग अड़ाते हैं और कुछ भी प्रश्न पूछते हैं? कृपया कमेंट्स में सूचित करें।
विषय के अंतर्गत लिखी कहानी।
मधु वशिष्ठ