जेठानी का दोगलापन – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

दीदी आपके मायके से तो जो तीज आएगा वही साड़ी आप पहनिएगा? आपकी माँ तो साड़ी मे फॉल पीको करवाकर और ब्लाउज बनवाकर भेजती है।आपको तो कोई दिक्क़त नहीं होता है पर मेरे मायके से तो पैसा आता है।आपको पता ही है,पापा आपके देवर के अकाउंट मे पैसा डाल देते है।

कल ही पैसा आया है तो यदि आप फ्री हो तो बाजार चलते है। मै अपने और माँ जी के लिए साड़ी ले लेती क्योंकि तीज अगले सप्ताह ही है। ब्लाउज सिलवाने मे तो समय लगेगा। क्या कह रही है दीदी आज शाम को बाजार चलते है?रिया नें अपनी जेठानी से पूछा।ठीक है माँ जी से पूछते है फिर शाम

को चलते है जेठानी नें कहा।पर माँ जी के लिए साड़ी क्यों लेना है? जेठानी नें पूछा। पापा नें माँ जी पापा जी और मेरे और आपके देवर चारो के कपड़ो के लिए पैसा भेजा है। पापा और अपना कपड़ा तो आपके देवर ले आएंगे। हमें तो बस माँ जी और मेरे लिए लेना है।तुम्हारे पापा ना आज भी इतना पैसा

भेज देते है।शादी के इतने दिन हो गए अब माँ पापा का कपड़ा भेजने की क्या जरूरत है।माँ जी को क्या पता है कि उनदोनो के लिए भी पैसे आए है। तुम देवर जी से पैसे माँग कर रख लेना उन्हें क्या पता साड़ी खरीदाया या नहीं,जेठानी नें रिया को समझाया।इस पर बाद मे सोचेंगे रिया नें जेठानी को टालते हुए कहा। पहले आप जाकर माँ से जाने के लिए पूछ कर आइये।शाम को माँ आराम कर रही

होंगी तो फिर उन्हें परेशान करना सही नहीं होगा। आप जाइये तब तक मै बच्चो को स्कूल से लाती हूँ फिर उन्हें खिलाकर और ट्यूशन भेज कर बाजार चला जाया जाएगा। रिया नें जाने का पूछने के लिए उन्हें सास के पास भेजा और खुद बच्चो को लाने चली गई। गैरेज मे गईं तो उसे यादआया कि उसने तो स्कूटी की चाबी ली ही नहीं है। वह चाबी लेने के लिए घर मे गईं तो उसे जेठानी की आवाज सुनाई

दी जो सास से कह रही थी माँ जी रिया को साड़ी लेने बाजार जाना है।कह तो रही थी कि उसके पापा नें पैसे भेजे है परअकाउंट कौन देखने जा रहा है पता नहीं पैसे आते भी है या देवर जी से ही माँग कर कह देती है कि पैसे उसके  पापा नें भेजे है। कह रही थी कि शादी के इतने दिन हो गए आखिर पापा कितने दिन तक समधियों का कपड़ा भेजते रहेंगे इसलिए इसबार तो आपके और पापा के लिए पैसे

भी नहीं आए है। जेठानी की दोगली बातो को सुनकर रिया एकदम से हतप्रभ रह गईं। उसने सोचा भला ऐसा भी कोई होता है।सोचो मै दीदी की बात मानकर माँ की साड़ी नहीं लाने का सोचती तो माँ मेरे पापा के बारे मे क्या सोचती।तभी उसने सुना सास नें बड़ी बहू से कहा देखो बहू या तो तुम्हे

गलतफहमी हुई है या छोटी बहू को सही पता नहीं है क्योंकि कल ही पैसा आया है और हमारे कपड़े के लिए भी आया है। जब पैसा आया तो तुम्हारे ससुर जी भी दुकान पर थे और छोटे नें उन्हें बताया था।

मुहावरा — एक मुँह दो बात 

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