“अरे लता कहाँ हो ….?शादी का घर है सब अपने में मस्त हैं….पता है कि नहीं शादी के घर में कितने काम होते…. दुबके पड़े हैं सब रजाई में।”सुबह सुबह गाँव से शहर पहुंची कम्मो बुआ घर में घुसते ही कृतिका की माँ को आवाज देने लगी
“आई दीदी…..वो मैं नहा रही थी फिर आज पूजा करवाने क बाद कृतिका की शादी की रस्में शुरू कर देंगे….आपको तो एक दिन पहले आना चाहिए था दीदी…मुझे तो रस्मों का पता भी नहीं….अब आप आ गई है तो सब सँभाल लेना।”कहते हुए लता पूजा घर की ओर पूजा करने चली गईं
लौट कर आई तो हाथों में मेहंदी की कटोरी भी थी।
“ मेहंदी पूजा घर से ले आई ना लता अब ऐसा कर जाकर किसी मंदिर में भगवान के चरणों में स्पर्श करवा के आ जा….भगवान का आशीर्वाद मिल जाए तो फिर कोई मुसीबत ना आयेगी…. ब्याह में कोई व्यवधान भी नहीं पड़ेगा ।”कम्मो बुआ दबे स्वर में बोली
“प्रणाम बुआ जी! कैसी हो? ये मंदिर में मेहंदी क्यों ले जाने की बात कर रहे आप लोग….अरे मेहंदी वाली तो अपनी मेहंदी लेकर आएगी ही ना फिर घर में मेहंदी क्यों बनाया?”कृतिका सवाल करने लगी
“कुछ नहीं कृति….तुम जाओ आराम करो अभी ….फिर तो बेटा बैठने की भी फुरसत ना मिलेगी तुमको।”बुआ लाड़ लगाते प्यार से बोली
लता मंदिर जाकर मेहंदी स्पर्श करवा आई।
जब लता कृतिका के पास गई तो उससे रहा नही गया उसने पूछ ही लिया ,”माँ ये मंदिर को मेहंदी को स्पर्श …..ये सब क्या है?”
‘‘ बेटा इधर जितनी भी शादियाँ होती है ना उन सब के लिए मेहंदी मंदिर से पवित्र करवा कर लाते है ऐसा करने के पीछे इन लोगों की मंशा यही होती कि भगवान के आशीर्वाद से सब कार्य शांति से कुशल मंगल सम्पन्न हो जाए….।”
“ पर ऐसा क्यों ?” कृतिका की जिज्ञासा बढ़ने लगी
“ ये बहुत पहले की बात है कृति….तेरे पापा की बुआ की शादी होने वाली थी ……बुआ के हाथों में घर की औरतों ने बहुत सुंदर मेहंदी लगाई थी…..बुआ अपना हाथ देखकर फूली ना समा रही थी वो पूरे घर में घूम-घूम कर सबको मेहंदी दिखा रही थी….तभी होने वाले फूफा जी के घर से एक आदमी बदहवास सा आया और बोला …दूल्हे को डाकू उठा कर ले गए हैं….उस वक्त डाकूओं का बड़ा कहर था उनके गाँवों में….शादी ब्याह के वक्त तो ये डाकू अक्सर पैसे वालो के घर में आ धमकते थे…..दूल्हे ने उनके कब्जे से भागने की कोशिश की तो वो उसे डराने के लिए जो बंदूक चलाई वो दूल्हे को लग गई…. अब उनके घर रोना धोना हो रहा है ये सुनते ही बुआ जी रोते रोते छत पर भागी और छलाँग लगा ली….लोग उनतक पहुंचते उसके पहले ही वो दुनिया से कूच कर गई….वो काली रात लोग आज तक भूल नहीं पाए हैं और तब से मेहंदी वाले दिन घर में पूजा करवा कर ….मेहंदी भगवान को अर्पित कर दुल्हन को लगाया जाता है …..सबके मन में एक डर सा बस गया तब से…..अब डाकू तो नहीं आते पर कहते हैं जब भी शादी की समय आता हैं काली रात होते ही बुआ जी घर के आसपास मंडराती रहती हैं और बस उन बुआ जी की ही आत्मा की शांति के लिए ये जरूरी सा हो गया है।”लता कृतिका से बोली
‘‘ माँ तुमने भी उन बुआ दादी को देखा है क्या?‘‘ कृतिका सुन कर घबरा गई थी
‘‘ ना बिटटो मैं तो बाद में ब्याह कर आई ,बस तेरी दादी से सुनी थी….तू घबरा क्यों रही ….वो तुझे ढेरों आशीष देने आएगी चिन्ता ना कर।” लता प्यार से बोली
‘‘ दोनों माँ बेटी क्या गप्पे हांक रही हो , बाहर आओ देखो मेहंदी वाली भी आ गई और संगीत के लिए भी सब तैयार है बस दुल्हन और उसकी माँ का इंतजार हो रहा है ।”कम्मो बुआ की आवाज सुनकर दोनों बाहर आ गई
कृतिका की मेंहदी बहुत सुन्दर लगी थी। घर में बस सब यही प्रार्थना कर रहे थे कि सब अच्छे से संपन्न हो जाए और बुआ जी की आत्मा बस खुशी से उनकी कृतिका को आशीर्वाद दे।
कृतिका की मेंहदी का रंग बहुत चढ़ आया था।
शादी भी बहुत धूमधाम से हो गई…। कहीं कोई व्यवधान नहीं आया….विदाई के वक्त कृतिका ने महसूस किया कि उसके सिर पर प्यार से कोई हाथ फेर रहा है मानो आशीष दे रहा हो….पर सामने कोई दिख नहीं रहा था….शायद बुआ दादी आई हो मुझे आशीर्वाद देने….ये सोच कर कृतिका मन ही मन बुआ दादी को प्रणाम करने लगी।
बहुत बार ऐसा होता है जब हमारे घर में किसी खास दिन पर कुछ अनहोनी हो जाए तो हम भगवान से आशीर्वाद लेकर काम की शुरुआत करते हैं ताकि बिना किसी व्यवधान के कार्य सम्पन्न हो जाए। कृतिका के घर में भी मेहंदी की उस काली रात में जो कुछ भी घटित हुआ उसका डर शायद जाते जाते जाएगा।
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रश्मि प्रकाश
# काली रात