रीमा जी खाने पीने की बहुत शौकीन थी, उन्हें कुकिंग का बहुत शौक था। जब से शुगर और ब्लडप्रेशर के साथ घुटने की समस्या हुई, वो खाने पर नियंत्रण रखने लगी। उनकी छोटी बहन सीमा आती तो वो सब भूल जाती है, उन्हें उससे इतना लगाव है कि उन्हें लगता था कि क्या- क्या बना कर खिला दूं। उनकी बहन सीमा दो दिन ही रुकी थी तब उनकी बहू नीहा ने देखा मम्मी जी सब कुछ खा रही है, और सब काम भी कर रही है, और मौसी जी के जाते ही सब तकलीफ शुरू हो जाएगी।
रीमा ने शुद्ध घी के लड्डू और खीर आज मीठे में बनाई थी, तब दोनों बहनें खाना खाने बैठी तो उनकी बहू ने खाना परोसा तब मौसी को पूरा खाना परोसा खीर के साथ टेस्ट करने के लिए लड्डू भी दिए। तब रीमा जी भी इच्छा थी कि वह खीर भी खाए और लड्डू भी खाए पर शुगर के रहते उन्होंने खाने में नियंत्रण रखा तो उन्होंने खीर अकेले ही खाई लेकिन सीमा ने कहा -दीदी आपने लड्डू बहुत टेस्टी बनाए है, इसे मुंह में रखते ही घुल जाये ऐसा टेस्ट है तब रीमा जी से न रहा गया उन्होंने आधा लड्डू खा ही लिया।
बहन के आने पर काफी तेल घी शुगर, आलू,मैदा खाना ज्यादा होने से वो सुस्त सी हो गयी।अब बहू नीहा कहने लगी – मौसी जी आप जब से आई तभी से मम्मी की शुगर बढ़ी है। अगर इतना तला भुना न खाती तो कुछ न होता ,तब यह सुनकर रीमा को बहुत बुरा लगा।
उस समय वो कुछ न बोली।
तब रीमा ने सीमा दीदी से कहा- दीदी हमारी वजह से आप बहुत परेशान हो रही थी,ज्यादा ही मीठा खाया और घुटने में दर्द के बावजूद काम किया।इसलिए तबीयत ऐसी हो गयी है। अब बिलकुल परेशान मत हो बिलकुल हिसाब से सब चीजें खाओ, और ज्यादा हमें लाड़ लगाने की जरूरत नहीं है, हम अपने घर में खूब खाते है। उसे नीहा की वजह से बुरा लगा। तो उसने उदास मन से कहा- दीदी हम अपने घर को निकलेंगे। अब रुकने न कहना घर में भी इनको व बच्चों को परेशानी हो रही है। तब वो कही तुम आती रहती हो हमारे घर में रौनक लगने लगती है, ऐसे ही जल्दी जल्दी आती रहा करो। तब वो बोली ठीक है दीदी…
गलेे लगकर वह अपने घर चली गई।
सीमा मौसी के जाने के बाद नीहा जब दवाई दे रही थी तो उसकी सास कराह रही थी आह….
तब नीहा बोली – मम्मी जी आप मौसी जी वजह से ज्यादा ही परेशान होते हो। इतना सब करने की क्या जरूरत… रोज कुछ न कुछ स्पेशल बनाती रही और सब के साथ आप भी खाती है देख लो उनकी वजह से आपको इतनी परेशानी हो रही है। वो तो चार दिन रहकर चली गई और परेशानी हमको हो रही है
इतनी बात सुनते ही रीमा जी को गुस्सा आ गया और वो कहने लगी तुम्हें मेरी बहन का आना अखर रहा था क्या!!
तब वो बोली-मम्मी आपकी तबीयत को देखते हुए कह रही हूं। अब सेवा तो हमें ही करनी पड़ेगी।
मौसी जी तो कौन सा वो आकर कर देगी सेवा ..
आपको अपने खाने पीने में बैलेंस रखना चाहिए था कम से कम ये दिन तो न देखना पड़ते….
अब तो बहू नीहा की बात सुनकर उनका बीपी हाई हो गया और वो हांफने लगी। तभी सीमा जी के पति मनोहर लाल जी आऐ उन्हें पसीना से तर देखकर नीहा को डांटते हुए बोले- नीहा तुमने ऐसा क्या कह दिया जो मम्मी पसीना -पसीना हो रही है??
तब वो बोली- पापा जी बस मैनें यही कहा कि आपको अपने स्वास्थ्य को ध्यान रखकर खानपान और काम करना चाहिए। इसी में मम्मी को गुस्सा आ गया।
जैसे पापा ने कहा नीहा पानी पिलाओ मम्मी को ठंडा पानी लेकर आना… ठंडा पानी पिलाना है…
तब फुसफुसाते हुए नीहा बोली- अब करो सेवा…. मेवा तो मौसी जी खाकर चली गई।
चार दिन रहकर क्या वो गयी, अब करो सेवा शुरू…..
इतना सुनकर वो बोली मुझे तुमसे एक गिलास पानी भी नहीं चाहिए। हम खुद ले लेंगे।
तभी वो जैसे ही आगे बढ़ने लगी। तो उनका पैर कारपेट में फंसने पर वो आगे की ओर गिर पडीं। तभी उनके हाथ पैर में खरोंचे आ गयी। उनसे उठा भी नहीं जा रहा था। तभी जैसे जैसे उन्हें बिस्तर तक ले जाया गया। लिफ्ट तक जैसे जैसे लाया गया।
अस्पताल से इमरजेंसी वैन बुलाई गयी।
और अस्पताल में सीमा की जांचे हुई, तब पता चला, घुटने की कटोरी खराब हो चुकी है। उनको उठने बैठने के लिए भी मना किया गया है।
अगले दिन जब रीमा को पता लगा रीमा दीदी गिर गई है। वो अस्पताल में भर्ती है। वो तुरंत ही हडबड़ाहट में भागे -भागे आई,और उनके पास पहुंच गयी।उनका भी लोकल में घर होने से वो जल्दी आ गयी,सीमा ने कहा- दीदी आपकी हालत मेरी मेरी वजह से हुई मैं ही आपकी सेवा करुंगी।
तब वो कुछ नहीं बोली। रीमा के पति बोले- ” हां हां सीमा तुम यही रहो अपनी बहन का ख्याल रखो। हम एक दूसरे का साथ नहीं देंगे तो कौन साथ देगा।नीहा पूरे समय तो यहां रह नहीं सकती। मैं चौबीस घंटे कितना करुंगा। और बेटा सृजन समय -समय से आ पाएगा। उसे आफिस भी जाना होता है। “
नीहा प्रतिदिन केवल औपचारिकता पूरी करने ही आती थी। और सीमा अपनी बहन के प्रति बहुत ही लगन से सेवा कर रही थी। उसे बीस दिन अस्पताल में रहना पड़ा।
अब घर के सैकेंड फ्लोर में रीमा जी का जाना असंभव ही था।
तो उनके लिए सीमा और रीमा के पति ग्राउंड फ्लोर पर ही किराये का फ्लैट का देखा, और उसने सीमा जी का सारा सामान सैट अप किया और और हास्पिटल से डिस्चार्ज होने पर नीहा बेटा सृजन उनके साथ नये घर लाए। चौबीस घंटे वाली मेड रखी।
खाना पीना नीहा देख रही थी। रोज समय पर खाना चाय नाश्ते को भेजती।
वो देख रही थी, जितना प्यार मम्मी मौसी से करती है उतना ही प्यार मौसी जी भी मम्मी से करती है। अब जब कपड़े पहनाना, लिटाना, वाथरुम तक पकड़ कर ले जाना …खाना खिलाना,कैसे मौसी कर रही है, वो भी समर्पण भाव के साथ …आज नीहा को अपने कहे का अफसोस हो रहा था। मेरी वजह से मम्मी की तबियत ज्यादा बिगडी़। अब तो मम्मी जी अपने आप उठने की स्थिति में भी नहीं है।
आखिर मौसी जी कब तक सेवा करेंगी। वो दोनों बहनों के प्यार को महसूस कर चुकी थी।
अगले दिन जब मौसा जी का फोन आया। तब सीमा ने कहा – कुछ दिन और एडजस्ट कर लो। मैं यहां फिर आती जाती रहूंगी।
तब नीहा ने कहा- मौसी जी मुझे माफ कर दीजिए मैंने जो आपके बारे इतना कुछ मम्मी से बोला, आज समझ आ रहा है आप दोनों में बहुत गहरा रिश्ता मन का रिश्ता है जो एक तरफा नहीं है। मुझे लगता था कि मम्मी ही आपके लिए ज्यादा सोचती है। लेकिन अब मैनें महसूस भी किया। और मम्मी जी आप भी हमें माफ़ कर दो। मुझे आपको इतना कुछ नहीं सुनाना था। अगर मैं आपको इतना कुछ नहीं बोलती तो कुछ नहीं होता। ऐसी स्थिति तो आपकी नहीं होती।
तब रीमा जी कहती -मेरे घुटनों में पहले ही दर्द रहता था ,पहले से ही पता था। पर स्थिति इतनी गंभीर होगी ये मालूम नहीं था। मुझे भी अपना ख्याल रखना चाहिए था ।
तब पापा जी – बोले जो होना था, वो हो गया। अब हमें खास ध्यान रखना है। फिर तुम लोग तो साथ हो, धीरे- धीरे ही आराम लगेगा।
और सीमा तुम्हें जाना है तो जाओ आती जाती रहना। और कोई परेशानी होगी तो हम फोन करेंगे।
इस तरह छह महीने फिजियोथेरेपी होती रही। इलाज चलता रहा। फिर वो डंडे पकड़ कर चल लेती थी।
जब भी मौका मिलता दोनों बहनें आपस में खूब बात करती। और मन हलका करती। इस तरह बहन से बात करके रीमा और सीमा को बहुत अच्छा लगता।
और इस तरह वो धीरे- धीरे स्वस्थ सा महसूस करने लगी।
मासिक रचना के आधार पर हिन्दी कहानी
स्वरचित मौलिक रचना
अमिता कुचया