जेठ जी की इतनी औकात कहां -स्वाती जैंन :  Moral Stories in Hindi

भाभी , यहां हर महिने का खर्चा कैसे चलता हैं ?? मेरा मतलब हैं हर महिने बिजली बिल , किराने का बिल कौन भरता हैं ?? देवरानी अंकिता अपनी जेठानी मेघा से बोली !!

मेघा को अंकिता की यह बात सुनकर थोडी हैरानी हुई क्योंकि अभी अंकिता को शादी किए सिर्फ दस दिन हुए थे और वह ऐसे सवाल कर रही थी फिर भी मेघा ने मुस्कुराते हुए कहा – देवरानी जी ,  तुम इस घर की नई बहु हो इसलिए तुम्हें बताना मेरा फर्ज बनता हैं !! मेरी शादी को पंद्रह साल हो गए हैं जब तक सासू मां थी तब तक तो मुझे कुछ भी नहीं देखना पड़ता था मगर हां जब से वे गुजरी घर का

सारा हिसाब – किताब मुझे ही देखना पड़ा !! तुम्हारे पति मुकेश की नौकरी तो अभी तीन महिने पहले ही लगी है इसलिए तुम्हारे जेठजी सुरेश जी ही अब तक सारा घर का खर्चा देखते आए हैं , अब मुकेश भी कमाने लगा हैं तो जिस भी भाई को फुर्सत मिलती है वह जाकर बिजली का बिल भर देता हैं या खाने पीने के सामान का बिल भर देता हैं !!

मेघा की बाते सुनकर अंकिता को लगा कि जरूर मेघा उससे झूठ बोल रही हैं क्योंकि अंकिता की मुकेश से सगाई होने के बाद ही अंकिता के मायके वालों ने उसे कह दिया था कि बिना सास वाला घर हैं अंकिता !! तेरी जेठानी सब कुछ हड़प कर अकेले बैठी होगी , तेरे पति की सारी कमाई भी खुद ही के पास रखती होगी और घर का बिजली बिल , किराने का बिल सब उसी से भरवाती होगी !! बेचारे

पुरुष तो भाभी को ही अपनी दूसरी मां समझ लेते हैं , इन्हें कहां पता होते हैं यह औरतो के दांव – पेंच  और अंकिता ने शादी के बाद देख भी लिया कि मुकेश की अपने भैया – भाभी से बहुत बनती हैं !! सुरेश भाई साहब तो थोड़े सरल स्वभाव के थे किंतु भाभी मेघा मधुर मृदभाषी और चंचल स्वभाव की

हैं जो अपनी मीठी वाणी से सबको अपने झांसे में ले लेती है इसलिए तो मुझे भी इतना अच्छा रखती हैं ताकि मेरे पति के पैसों पर यह लोग राज करते रहे , वैसे भी मुकेश को भाभी ने अपनी मुट्ठी में कर रखा हैं इसलिए अब मुझे ही टाईट होना पड़ेगा वर्ना मेरे पति के सारे पैसे इसी घर में खर्च हो जाएंगे और हमारी तो कुछ सेविंग्स ही नहीं होगी यह सब सोचकर अब अंकिता ने घर में उल्टे सुल्टे काम करने शुरू कर दिए !!

एक दिन मुकेश ऑफिस से लौटते वक्त जलेबी – फाफडे ले आया और लाकर किचन में रख दिए , अंकिता ने बहुत सारे जलेबी – फाफडे निकालकर अपने कमरे में रख लिए !! जब मेघा किचन में आई और देखा कि इतने कम जलेबी – फाफड़े तो सोचने लगी मुकेश तो कभी कुछ चीज कम नहीं लाता फिर भी उसने अपने दोनों बच्चो और बाकी घरवालों में जलेबियां – फाफड़े बांट दिए !!

मेघा के दोनों बच्चों को जलेबियां बहुत पसंद थी वे बोले चाचा इतनी कम जलिबियां क्यूं लाए हैं मम्मी ??

अंकिता उनकी बातें सुनकर बोली अपने पापा को फोन करके बोल दो ओर जलेबियां ले आएंगे तुम्हारे लिए , जरूरी तो नहीं चाचा जलेबियां लाए तो ही जलेबियां खाईं जाए !!

मेघा को अंकिता की यह बात बहुत बुरी लगी मगर वह बच्चों से बोली हो सकता हैं जलेबी वाले के पास जलेबियां कम ही बची हो चुपचाप जो हैं वह खा लो !!

अंकिता बाद में मौका पाकर अपने कमरे में गई और पलंग पर आराम से बैठकर छुपाई हुए जलेबियां और फाफड़े खाने लगी और हिसाब लगाने लगी कि अब तक मेघा ने उसके पति मुकेश का कितना पैसा खाया होगा ??

मेघा अंकिता के कमरे के बाहर से गुजरी तो उसने देखा कि अंकिता जलेबियां खा रही हैं , अंकिता भी मेघा को देखते ही हड़बड़ा गई और बोली – भाभी , यह जलेबियां मुकेश मेरे लिए कमरे में रख गए थे तो सोचा मैं खा लूं , आपके बच्चों को भी मेरी तरह जलेबियां बहुत पसंद हैं ना !!

मेघा बोली – अंकिता , जब तुम मां बनोगी तब तुम्हें पता चलेगा , खैर तुम खा लो जलेबियां बोलकर मेघा वहां से झट से निकल गई !!

 इस बार जैसे ही महिने के आखिर में बिजली का बिल आया अंकिता अपने जेठ सुरेश को बिल थमाते हुए बोली – भैया यह लिजिए बिजली का बिल भर दीजिएगा !!

मेघा अंकिता की ऐसी हरकतो से हैरान थी और उसे कुछ – कुछ समझ में आ रहा था कि शायद अंकिता यह सोचती हैं कि उसका पति ही इस घर का खर्च उठा रहा हैं जबकि ऐसा कुछ नहीं था !! अंकिता की शादी को अभी एक – दो महिने ही हुए थे , वह कुछ ज्यादा जानती नहीं थी और कुछ भी समझती थी मगर मेघा कुछ बोलती नहीं थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि लोगों को बोलने का मौका मिले कि देवरानी आई नहीं कि जेठानी अलग हो गई !!

करवाचौथ के त्योहार पर मुकेश अकिता के लिए एक महंगा सोने का मंगलसूत्र लेकर आया था वहीं सुरेश मेघा को फुलों का गजरा पहना रहा था !! यह सब देखकर अंकिता फुली नहीं समा रही थी और सोचने लगी मैं जानती थी जेठ जी की कमाई कम हैं तभी तो यह लोग मेरे पति से घर का सारा खर्च निकलवाते हैं !! खुद तो चार लोग हैं और हम सिर्फ दो लोग !! खैर मैं तो बहुत किस्मत वाली हुं जो मुझे ऐसा पति मिला !! इसी तरह अंकिता के जन्मदिन पर मुकेश अंकिता को बाहर डिनर कराने ले गया , अंकिता सोचने लगी सुरेश भैया मेघा भाभी को कभी बाहर खाना खिलाने नहीं ले जाते , मैं नसीब वाली हुं !!

थोड़े दिनों बाद अंकिता ने देखा कि मेघा के जन्मदिन पर सुरेश भैया मोतीचूर के लडडू लाए थे क्योंकि मेघा को वे लड्डू बहुत पसंद थे !! अंकिता फिर से मन ही मन सोचने लगी जितनी औकात होगी इंसान उतना ही दे सकता हैं ना !!

देखते – देखते एक साल गुजर गया, आज मुकेश और अंकिता की शादी को एक साल बीत गया था , मुकेश ने एनिवर्सरी पर अपनी पत्नी अंकिता को एक खुबसुरत सोने का हार और एक महंगी साड़ी गिफ्ट दी !! मुकेश ऐसी दो साडियां लाया था एक अपनी भाभी के लिए और एक अपनी पत्नी के लिए !!

अंकिता इतराते हुए बोली – यह लिजिए भाभी , आपने तो कभी इतनी महंगी साड़ी पहनी नहीं होगी वैसे भी भैया की इतनी औकात कहां ?? मेरा पति आपके लिए भी साड़ी लेकर आया हैं ताकि आप भी कुछ अच्छा पहनो !!

अपने पति के लिए ऐसी बातें सुनकर मेघा का खुन खौल गया , मुकेश भी हक्का – बक्का रह गया !! दूसरी तरफ सुरेश भी अंकिता की सारी बातें सुन चुका था उसे भी बहुत गुस्सा आ रहा था !! मुकेश बोला – अंकिता तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई भैया – भाभी के बारे में ऐसी बात करने की ?? समझ क्या रखा हैं तुमने ??

अंकिता बोली – तुम्हें तो भाभी ने अपने पल्लू से बांध रखा हैं मुकेश और सारे घर का खर्च उठवाती हैं तुमसे तुम्हारी भाभी !! भैया – भाभी तुम्हें इतनी आसानी से छोड़ने वाले भी नहीं हैं क्योंकि तुम्हारी मोटी कमाई पर इनकी नजर हैं मगर सभी लोग कान खोलकर सुन लो मैं ऐसा सब होने नहीं दूंगी , कल के दिन हमारे भी बच्चे होंगे , हमारी भी जरूरते बढ़ेंगी , मुकेश अब हम इस घर में नहीं रहेंगे , तुम जल्द ही नए घर का इंतजाम करो !! यह घर तुम तुम्हारे बड़े भाई को दान में दे दो , वैसे भी यह तुम्हारे मां – पिताजी का घर हैं , अब इनकी औकात तो है नहीं नया घर खरीदने की इसलिए हम नए घर में जाएंगे !!

 मेघा बोली – अंकिता अपनी जबान पर लगाम दो , समझ क्या रखा हैं तुमने खुद को ?? तुम्हें क्या लगता हैं दिखावा करने से इंसान बड़ा बनता हैं !! तुम्हारे जेठजी मुझे करवाचौथ पर सिर्फ गजरा पहनाते हैं , मेरे जन्मदिन पर मुझे मोतीचूर के लड्डू खिलाते हैं तो वे कुछ कमाते नहीं हैं !!

आओ तुमको दिखाती हुं करके मेघा ने अपनी अलमारी के लोकर में से सारी सोने की ज्वेलरी निकालकर बताई जो एक से बढ़कर एक थी जिसे देखते ही अंकिता एकदम हैरान रह गई और रही साडियां तो  मेघा ने अपनी दूसरी  खोलकर दिखाई जिसमें एक से एक महंगी साडियां मेघा के पास थी !!

मेघा बोली मेरी जब नई नई शादी हुई थी तुम्हारे जेठजी और मैं बाहर बहुत घूमने जाया करते थे और वे मेरे लिए महंगे महंगे गिफ्ट भी लाया करते थे मगर धीरे धीरे सरलता में रस आने लगा , दिखावा कम करने की आदत पड़ने लगी , अभी तुम्हारे वहीं दिन चल रहे हैं , नई नई शादी में पति – पत्नी में एक अलग ही हर्षोल्लास होता हैं !!

मुकेश बोला – अंकिता मुझे तो सिर्फ तीन महिने हुए हैं जॉब पर लगे , वह भी मैं तो सिर्फ इंजीनियर हुं और भैया अपनी कंपनी में मैनेजर की पोस्ट पर हैं वह मुझसे तकरीबन एक लाख रुपए ज्यादा कमाते हैं !!

मेघा बोली – अंकिता क्या कह रही थी तुम कि तुम्हारे गरीब भैया की औकात नहीं हैं ना नया घर लेने की , शायद तुम्हें पता नहीं जिस आलीशान घर में तुम खड़ी हो यह तुम्हारे भैया की मेहनत की कमाई का ही घर हैं और यह घर मेरे ही नाम पर हैं !!

मुकेश बोला – अंकिता मां पिताजी के हाथ का कुछ भी नहीं था हमारे पास , यह सब मेरे भैया की कमाई का ही हैं मगर भाभी ने हमें कभी यह एहसास नहीं होने दिया था कि भैया ही ज्यादा कमाते हैं या भैया ही इस घर का पुरा खर्च उठाते हैं , हां तुमने जरूर एक साल में इस घर में एकजुट रहने वाले परिवार में फुट डाल दी !!

मेघा बोली – मुकेश अब मैं तुम्हारी पत्नी के साथ इस घर में नहीं रह पाऊंगी , तुम

लोग रहने का अपना अलग से इंतजाम कर लेना !!

अंकिता यह सब सुनकर हैरान थी और वह अपनी ही कही बातों में फंस चुकी थी , मेघा के जेवर और साडियां देखकर वैसे ही उसका दिमाग खराब हो चुका था और उसे जैसे ही पता चला कि यह घर भी उसकी जेठानी के नाम पर हैं उसकी हालत ऐसी थी मानो काटो तो खुन नहीं !!

उसके पास अब चुप रहने के अलावा ओर कोई चारा नहीं था !!

दोस्तों , कभी कभी कुछ लोग नादानियों में यह समझ नहीं पाते कि वे लोग संयुक्त परिवार तोड़कर अपने ही पैरो पर खुद कुल्हाड़ी मार रहे हैं !!

अंकिता को लेकर आपकी क्या राय हैं ?? कमेंट में जरूर बताइएगा !!

आपकी सहेली

स्वाती जैंन

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