एंजलिना – रीमा महेन्द्र ठाकुर

#जादुई_दुनिया

सर्द रात की ठिठुरन “ऊपर से बर्फबारी ,वो सात साल की बच्ची ए़़ंजलिना ,अपने छोटे से शावक के साथ  ठण्ड से ठिठुर रही थी ।

आज उसकी चचेरी बहेन ने फिर उसे घर से निकाल दिया था।वो शावक भी उसे गरमी पहुचाने मे असमर्थ था।

उसकी माँ और बाबा भूसख्लन की चपेट मे आकर दुर्घटना के शिकार हो चल बसे थे ।

वो रोज उन्हे याद कर रोती बिलखती रहती।उसके पास रिश्ते के नाम पर वही दूर की एक चचेरी बहेन थी।

वो पहाडी की ठण्डी हवा ,एज़ँलिना “का जिस्म नीला पड गया।वो अचेतन की अवस्था मे चली गई”

वही से कुछ दूरी पर कल होने वाले “क्रिसमस की तैयारिया चल रही थी।स्वर्ग से कुछ देवदूत और परियाँ धरती पर उतरे और कुछ पवित्र आत्माओ को ढूढने लगे” ताकि उन्हे कुछ उपहार दे सके ,वो उधर से गुजरे ‘जहाँ एजँलिना अचेत की अवस्था मे जा रही थी।

उन्हे उसकी कराह सुनाई दी”वो सब देवदूत और परियाँ उसके पास पहुँचे ” और उस बच्ची की हालत देख उसे अपनी गोद मे उठा परीलोक मे ले आये।

परीलोक मे सुबह “आँखे खोली एजँलिना ने तो दँग रह गई”

उसने देखा एक आदमकद आईना सामने लगा है।

वो दौडकर उस आईने के पास खडी हो गई”

उस आईने के सामने जाते ही “उसका सारा हुलिया ही बदल गया ।उसके फटे मैले कुचैले कपडे “रेशमी हो गये “उसके गले मे मोती की माला हाथ मे कडे ‘सुन्दर मखमली जूतिया “


वो बिल्कुल परी जैसी लग रही थी।वो अपना ये रूप देख खुशी से नाचने लगी”

तभी  वहा बडी परी “रानी कुछ देवदूतो के साथ आयी।

उनके हाथ मे व्यजँन के थाल थे। एजँलिना को बहुत भूख लग रही थी। रानी परी ने उसे अपनी गोदी मे बैठाकर बडे

प्यार से खिलाया “इतने तरह का व्यजँन उसने कभी देखा भी नही था।

उसके सिर पर हाथ फेरते हुऐ रानी परी बोली”.कि कुछ देर आराम कर लो एजँलीना “तुम्हे वापस जाना है”मुझे नही जाना रानी माँ”वो रानी परी से लिपट गई “हम तुम्हे यहा ज्यादा समय नही रख सकते “ये परी लोक है” 

रानी परी की बाते सुन “एजँलिना रोने लगी”अच्छा तुम रोओ मत “तुम जब भी हमे बुलाओगी हम तुमसे मिलने आऐगे।

रानी परी ने एँजलिना को एक आईना भेट किया।

और समझाया इस आईने से जो कुछ माँगोगी वो मिल जाऐगा”और हाँ यदि ये आईना तुमसे दूर हुआ तो”तुम यहाँ के बारे मे सारी बाते भूल जाओगी “और फिर कभी ये आईना तुम्हे मिला तो तुम्हे सब फिर से याद आ जाऐगा, देवदूत के साथ बहुत सा उपहार देकर धरती पर भेज दिया।

देवदूत “एजँलिना को उसके घर के बाहर छोडकर चला गया।एजँलिना ने “जैसे दरवाजे पर दस्तक दी”उसकी बहेन की कठोर आवाज सुनाई दी”अभी मरी नही”इसके माँ बाप हमारे पल्ले मढ गये”

जाने कब छुटकारा मिलेगा ” गुस्से से दरवाजा खोलती हुई बोली उसकी सौतेली बहेन”जैसे ही उसकी नजर एजँलिना पर पडी वो अवाक रह गई”उसने दो तीन बार आँखे मसली

फिर खुद को चिमटी काटी”उसे भरोसा नही हो रहा था। कि एक रात मे “ये फटेहाल लडकी”परी कैसे बन गई”

उसने इधर उधर देखा”कोई दिखाई”न दिया।

उसने झट से उसे अन्दर खीच लिया।और डरा धमका कर सब बात पूछ ली”और सारा सामान छीनकर “सन्दूक मे बन्द कर दिया।फिर वो रात होने का इन्तजार करने लगी”और अपनी बेटी को सीखा पढा मैले कुचले कपडे पहेना कर घर के बाहर सुला दिया।और खिडकी के पास छुप गई”देवदूत आऐ पर उन्हे कोई पवित्र आत्मा न मिली”और वो वापस चले गये !सुबह जब चचेरी बहेन की आँख खुली “तो बेटी के पास दौड कर गई”उसकी बेटी मरणसन्न अवस्था मे पडी थी।

उसने अपनी बेटी की हालत का जिम्मेदार एजँलिना को ठहराया”और उसे बहुत पीटा”इस बात को ग्यारह साल हो गये”अब एजँलिना ” युवती बन गई “घर का सारा काम उसे ही करना पडता।उसकी बहेन की बेटी “ऐरा भी अपनी माँ जैसी,थी।वो दिनभर एजँलिना को परेशान करती “

और उस पर नजर रखती” अपनी माँ से उसकी शिकायत करती रहती”एक दिन ऐरा और उसकी माँ ,उसे छोड किसी उत्सव मे भाग लेने गई “एजँलिना का भी बहुत मन था।उसने अपनी इच्छा जताई तो “ऐरा ने उसे झिडक दिया ,और उसे घर मे बन्द कर दोनो माँ बेटी चली गई,

एजँलिना बहुत देर तक रोती रही”फिर घर की साफ सफाई मे लग गई “


सफाई के दौरान उसे वो सन्दूक मिल गया।उसने उत्सुकता वश उसे खोला “अँदर रखे आईने पर नजर पडते ही उसे सारी बात याद आ गई” उसने रानी माँ को याद किया।

पलक झपकते ही रानी परी उसके सामने आ गई ,वो दौडकर रानी माँ से लिपट गई ,और बोली तुम मुझसे मिलने क्यू नही आयी “रानी परी स्नेह से, उसके सिर पर हाथ फेरते हुऐ बोली”बच्चे तुमने मुझे याद नही किया।नही माँ मुझै कुछ याद ही नही था ।

चलो छोडो अब तो मै आ गई हूँ!तुम क्या चाहती हो  बताओ”रानी परी बोली”माँ मुझे उस रँगारँग उत्सव मे भाग लेना है।ठीक है फिर चलो ‘पर माँ घर गन्दा पडा है।

रानी माँ ने जादुई छडी घुमाई और पल भर मे घर शीशे सा चमकने लगा”फिर रानी परी के साथ ‘खूबसूरत पोशाक”पहेन कर एजँलिना “उत्सव मे पहुँची”उसके पहुँचते ही सबकी नजर उसकी तरफ उठ गई”

आज तक इतनी खूबसूरत लडकी किसी ने नही देखी थी। 

फिर डाँस शुरू हुआ”एजँलिना का नाम पुकारा गया”एँजलिना सहम गई,रानी परी ने उसे जाने का इशारा किया,वो मन्च पर डरते डरते पहुँची” जब वाद्म यन्त्र बजने शुरु हुऐ तो”उसके पैर खुद ही थिरक उठे”और वो तब तक नाचती रही”जब तक उसके कानो मे तालियो की गडगडाहट सुनाई ना देने लगी”विनर मे उसका नाम घोषित हुआ।

वो अपना इनाम लेकर रानी परी के साथ घर आ गई”

फिर रानी परी उसे बहुत सारी बाते समझाकर परीलोक चली गई,

कुछ देर मे  ऐरा और उसकी माँ भी घर आ गये”उनकी जुबान पर बस उस  लडकी के पहनावे और डाँस की  ही चर्चा थी ।उनकी  बातो को सुन एँजलिना मँदमँद मुस्कुराऐ जा रही थी।

पाँच दिवसीय उत्सव मे “फिर वही सब दोहराया गया।

विनर फिर एजँलीना ही बनी”अब तो उसकी तारीफ सब जगह होने लगी”पाँचो दिन रँगारँग उत्सव मे वहाँ का राजकुमार भी आया”वो एजँलीना को पसन्द करने लगा”

आज उत्सव का आखिरी दिन था।

एँजलीना “ऐराऔर उसकी माँ के जाने का रास्ता देखने लगी”कल के उत्सव मे ऐरा ने एजँलीना को देख लिया था।और माँ को बताया भी था।उसकी माँ ने बोला”वो कोई राजकुमारी थी ।ये फटेहाल वहा कैसे जाऐगी”उसके बाद से ऐरा उस पर नजर रखे हुऐ थी।रात मे ऐरा ने उसके ईनाम की वस्तु भी ढूढ ली” वो एजँलीना की सच्चाई पता करना चाहती थी।और उसने एजँलीना की पोशाक भी ढूढँ ली थी।

उनके जाते ही एजँलीना भी तैयार होकर आईने की मदद से उत्सव मे पहुँच गई ‘उत्सव के समाप्त होते ही ऐरा उसके पास पहुँच गई “उसके चेहरे से नाकाब खीच लिया।एजँलीना

वहाँ से भाग खडी हुई”गेट से बाहर निकलते ही राजकुमार से टकराई “आईना उसके हाथ से  छूट गया।

वो जान न पायी”


वो आईना राजकुमार के हाथ लग गया”उस आईने पर अभी भी एजँलीना की तस्वीर थी।राजकुमार उसकी तालाश मे निकल पडा” हर घर के सामने रूक कर एजँलीना को ढूढता”घर पहुँचकर एजँलीना ने अपनी जेब टटोली उसेआईना न मिला वो भयभीत हो गई”ऐरा और उसकी माँ ने उसे बहुत मारा पीटा ,तो एँजलीना ने सारी बात बता दी”फिर ऐरा और उसकी माँ ने उसे घर से बाहर निकाल दिया।और धमकी दी वापस आना तो आईना लेकर वापस आना”घर के बाहर ही एक कोने मे एजँलीना बैठकर रो रही थी।तभी उधर से राजकुमार की बग्घी निकली”एजँलीना का घर ही अखिरी घर बचा था।निराशा राजकुमार केचेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी।

फिर भी एक उम्मीद के साथ दरवाजे पर दस्तक दी”अँदर से

चीखने  की आवाज आयी”आईना लेकर ही घर आना”आईना लेकर ही आया हूँ ।दरवाजा खुल गया”सामने

राजकुमार को देख ऐरा और उसकी माँ डर गये”और एँजलीना के बारे मे सच सच बता दिया”तभी राजकुमार को एजँलिना के सिसकने की आवाज सुनाई दी”वो उस आवाज की तरफ बढ गया”कुछ दूरी पर एक लडकी घुटने मे मुँह छिपाये सिसक रही थी।

वो उसके पास पहुँच गया “राजकुमार घुटने के बल बैठ गया!एजँलीना ने गर्दन उठायी”सामने खूबसूरत नौजवान को देख अपने आँसू पोछने लगी”

राजकुमार ने वोआईना एजँलिना को दे दिया’एजँलिना के हाथ मे जैसे ही आईना आया”वैसे ही परी रानी सबके सामने आ गई “और राजकुमार के हाथ मे एजँलिना का हाथ पकडा दिया”फिर बहुत धूमधाम से एजँलिना”का विवाह राजकुमार के साथ सम्पन्न हुआ,और एजँलीना ने परी माँ को आईना वापस दे आजाद कर दिया।बहुत सारा अशीर्वाद देकर परी रानी “परी लोक वापस चली गई “”””””

                              समाप्त

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ये कहानी पूरी तरह से कल्पनिक है”प्रिये पाठको ये कहानी

आपको पूर्ण रूप से पसन्द आये यही मेरी लेखनी की सार्थकर्ता होगी,,,,,रीमा महेन्द्र ठाकुर

                          रानापुर झाबुआ

                          मध्य मध्यप्रदेश

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