हेलो जी क्या आप समर्थ जी केघर से बोल रहे हैं मैं राकेश उनका पुराना परिचित बोल रहा हूं ।मुझे उनसे मिलना है क्या वे घर पर है आवाज सुनते ही समर्थ ने तुरंत कहा
नहीं मैं उनका भाई बोल रहा हूं भैया तो ऑफिस निकल गए हैं आप फिर कभी आइए और उधर से सुनिए तो बहुत जरूरी काम है आती आवाजों की उपेक्षा करता फोन काट दिया था।
लेकिन.. सुन तो लेते कौन था सुमी ने कहा।
हुंह पुराना परिचित!! कोई काम करवाने के लिए सब परिचय ढूंढ निकालते हैं।मैं नहीं जानता किसी राकेश नाम के व्यक्ति को पत्नी सुमी की तरफ देख हंसते उसने कहा ।
अरे कहीं ये राकेश वही तो नहीं जो यहां के नए एसडीएम बनकर आए हैं सुमी की बात सुन समर्थ रुक गया।
कौन….!राकेश अवस्थी!!पलट कर उसने पूछा।
हां हां राकेश अवस्थी ही नाम है मैने न्यूजपेपर में पढ़ा था सुमी ने तुरंत कहा।
तुमने पहले क्यों नहीं बताया अरे भाई ये तो मेरा पुराना यार है बहुत अच्छे से मै इसे जानता हूं।यहां एसडीएम बन कर आया है।तब तो मेरी धाक जम गई मै बहुत सारे काम करवाऊंगा इससे …मै अभी फोन करता हूं मिलने के लिए कहता समर्थ तेजी से मोबाइल उठा फोन लगाने लगा था और सुमी #एक मुंह दो बात वाले अपने पति को आश्चर्य से देख रही थी।
एक मुंह दो बात/मुहावरा आधारित लघुकथा
लतिका श्रीवास्तव