रिश्ते जो झगड़े में भी हारते नहीं – ज्योति आहूजा

नील और परिधि ।इनकी शादी को 5 वर्ष बीत चुके हैं। आम परिवारों की तरह यह भी आपस में कभी तो प्रेम का भाव दिखाते हैं तो कभी बच्चों की तरह लड़ते नजर आते हैं।

अब कुछ समय पहले की ही बात है।

नील परिधि से कहता है “मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है। जल्दी खाना बना दो। 7:30 बज चुके हैं। उठो जल्दी प्लीज।” तभी परिधि कहती है उठ गई हूं। कल रात को शिवाय (8 महीने का बेटा) बहुत तंग कर रहा था। पूरी रात इसने मुझे सोने नहीं दिया। आप तो नींद में थे शायद आपको पता नहीं! शायद इसके पेट में दर्द हो रहा होगा। मैंने इसे दवाई दी तब जाकर बहुत देर बाद यह चैन की नींद सोया है। फिर मैं जाकर सो पायी। आपकी नींद खराब ना हो तो मैं ही दूसरे कमरे में चली आई। परिधि ने पति नील से कहा।

हां धन्यवाद तुम्हारा परंतु अब तो उठो। मुझे 8:30 बजे दफ्तर के लिए निकलना होगा। तुम्हें तो पता ही है कि फिर ट्रैफिक होना शुरू हो जाता है। नील ने परिधि से कहा।

तभी झट से परिधि कहती है “आज चाय आप बना लो। मेरा सिर रात भर से दुख रहा है और खाना आप आज बाहर से ही मैनेज कर लेना।” यह सुनकर नील बोलता है अभी 3 दिन पहले ही खाना बाहर से आया था और हफ्ते में एक बार तुम्हारी पसंद का खाना हम वीक एंड पर ऑर्डर करते हैं।

हां मैं कब मना कर रही हूं। मुझे पता है आप मेरी चॉइस का पूरा ध्यान रखते हो। पर आज मेरी आंख ही नहीं खुल रही। तभी थोड़ा नाराजगी दिखाते हुए नील बोला ठीक है मत बनाओ। लेकिन अब से वीकेंड पर खाना बाहर से नहीं आएगा। कितना बाहर का खाएंगे और बजट और पेट दोनों का भी तो ध्यान रखना पड़ेगा ना। क्योंकि शिवाय अभी छोटा है कुछ ना कुछ कारण से हफ्ते में एक से दो बार तुम खाना नहीं बना पाती।

तभी परिधि तुरंत बोली तो क्या मैं जानबूझकर ऐसा करती हूं। मुझे कोई शौक नहीं है तुम्हें बिना खाना दिए दफ्तर भेजने का। और दोनों पति पत्नी में खाने की बात को लेकर बहस शुरू हो जाती है। तभी नील कहता है मेरे पास इतना समय नहीं है कि मैं तुमसे बहस करूं। तुमसे नहीं हो पा रहा तो कोई खाना बनाने वाली रख लो।

तभी परिधि बोली “खाना बनाने वाली रखी थी। जब शिवाय 3 महीने का था। तब क्या हुआ था। रोज तुम कहते थे “यह भी कोई दाल बनी है, दाल है या पतला पानी। कभी सब्जी में नमक अधिक कभी कम। कभी स्वाद ठीक नहीं की शिकायत ही रहती थी।

फिर तुम यह भी कहते थे “पैसे भी पूरे ले रही है और काम भी ठीक से नहीं कर रही। अब बताओ मैं क्या करूं।”

तो क्या पैसे पेड़ पर लगते हैं? खून पसीने की कमाई है पत्नी जी। कोई बहुत तनख्वाह थोड़ी है मेरी। मज़बूरी में देने पड़ रहे थे तो कम से कम पूरा हक तो निकालना था।

और इस तरह से एक छोटी सी बात राई से पहाड़ बन गई। तभी पत्नी ने पति नील से फिर कहा अब तुम बदल गए हो नील। वो पहले वाले नील नहीं रहे।

हां, मैं बदला ही ठीक हूं। तुम भी पहले जैसी नहीं रहीं। छोटी–छोटी बातों पर अब लड़ने लगी हो। नील ने कहा। तभी थोड़ा सा गुस्से में परिधि ने कहा मैं लड़ती हूं। आप कौन सा कम हैं जनाब। पहले जैसा एडजस्टमेंट तो अब आपको आता ही नहीं है करना।

मैं एडजस्ट नहीं करता। बताओ तो जरा। जरा सा आज क्या कह दिया तो मैं 1 दिन में बुरा बन गया। नील ने गुस्से में कहा। और बात रबर की तरह खींची हुई बढ़ती ही चली गई जिसमें से कुछ बातों का तो सिर पैर भी नहीं था।

और गुस्से में दफ्तर जाते–जाते नील ने पत्नी को चिढ़ाते हुए कहा “लड़ाई करने में पूरा जोर है मैडम में। बस खाना बनाने को कह दिया तो बहाने हजारों हैं।”

यह शब्द सुनते ही परिधि ने कहा आप बहुत बदल गए हो नील। अब आप पहले जैसे अच्छे नहीं रहे। जाओ मुझसे कभी बात नहीं करना। मुझे कभी भी आपकी शक्ल तक नहीं देखनी।

और जाते–जाते नील ने कहा मुझे कौन सा शौक है। मुझे भी नहीं देखनी। और वह दफ्तर के लिए निकल जाता है।

इसी तरह से नाराजगी के चलते पत्नी ने पूरे दिन भर पति नील को ना तो फोन मिलाया, ना ही कोई मैसेज किया। ऐसे करते रात के दस बज गए।

अब पत्नी को चिंता लग रही थी। उसने अपने स्वयं से कहा दस बज गए हैं। यह अभी तक नहीं आए। रोज तो 8:30 बजे तक आ जाते हैं। आज काफी लेट हो गए। परंतु नाराजगी और ईगो के चलते दोनों पति–पत्नी ने आपस में एक दूसरे को कोई फोन नहीं किया। नहीं तो जब तक पत्नी साहिबा दिन में दो बार फोन ना कर ले खाना खाया क्या, कर रहे हो, समय से आ जाना – यह सब ना कह ले तो पत्नी जी का दिल कैसे माने! पत्नी तो आखिर पत्नी है जनाब।

परंतु अब 11 बज चुके थे। परिधि को बहुत चिंता हो गई थी। तब उसने हार कर पति को फोन लगाया। फोन स्विच ऑफ आ रहा था। ऊपर से बारिश का जबरदस्त मौसम था और पिछले एक डेढ़ घंटे से बहुत तेज मूसलाधार बारिश हो रही थी। अब पत्नी की हालत बहुत खराब हो रही थी। उसे बार–बार ना जाने क्यों सुबह अपने कहे हुए शब्द याद आ रहे थे कि मुझसे कभी बात मत करना। मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना। अब पत्नी परिधि के मन में अनेक विचार आने लगे थे कि मैंने ऐसे शब्द ही क्यों कहे। यह सब परिधि के लिए बहुत घबराहट के पल साबित हो रहे थे। सब ठीक तो है ना। नील ठीक तो होंगे ना। ना ही उनका फोन लग रहा है। और ना ही अभी तक आज घर आए। पर यह सोचते–सोचते परिधि की आंखों में आंसू आने लगे। उसने अपने स्वयं से कहा “ईगो गई तेल लेने परिधि रानी” और उसने घबराहट में नील के दोस्त अमित को फोन लगाया। “भैया नील आपके साथ हैं क्या?” परिधि ने अमित से पूछा।

“उसे तो ऑफिस से निकले काफी देर हो गई है। क्या हुआ अभी तक घर नहीं पहुंचा?” अमित पूछता है।

“नहीं भैया बहुत लेट हो गया अब तो।” परिधि ने घबराहट में अमित से कहा।

“कोई बात नहीं भाभी। आप चिंता मत कीजिए। मैं जरा देखता हूं और जैसे ही पता चलता हूं बताता हूं।”

इतने में दरवाजे की घंटी बजी तब तक 11:10 बज चुके थे। परिधि दौड़कर दरवाजा खोलती है। सामने नील को खड़ा देख अपने आप को रोक नहीं पाती और उसके गले लग कर बहुत जोर जोर से रोने लगती है।

“आप कहां थे नील? मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था। आप इससे पहले कभी लेट नहीं हुए।” परिधि ने रोते हुए कहा।

तभी नील ने कहा “अरे अरे मेरी जान तुम तो बच्चों की तरह रो रही हो। क्योंकि आज मेरा मोबाइल का चार्जर ऑफिस ही रह गया और फोन स्विच ऑफ हो गया और तेज बारिश की वजह से रास्ते में काफी जाम था। एक जगह मेरी गाड़ी फंस गई थी। इस कारण से काफी लेट हो गया और मैं थोड़ा सा तुमसे नाराज भी था तो मैंने तुम्हें किसी और के फोन से भी फोन करना उचित नहीं समझा। गलती मेरी भी है। मुझे माफ कर दो।”

तभी परिधि ने थोड़ा उदास थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा “आज ही यह सब होना था। पता है मैं बहुत डर गई थी। सुबह छोटी सी बात का बतंगड़ बन गया और मेरे कहे हुए शब्द कि मुझे कभी अपनी शक्ल मत दिखाना, मुझसे कभी बात मत करना, और मुझे लग रहा था कि पति पत्नी में चाहे जितनी मर्जी बहस हो इस तरह के शब्द नहीं कहने चाहिए खासकर जब व्यक्ति घर से बाहर जा रहा हो। सुबह की बात पर मुझे भी माफ कर दीजिए।”

तभी नील ने कहा “अरे तुम भी ना। मुझे कुछ नहीं हुआ है। परंतु यह बात तो है परिधि, चाहे कितना मर्जी कोई नाराज हो इस तरह की बात मुंह से ना ही निकले तो ठीक है। बड़े लोगों से सुना है ना कहते हुए कि हमेशा अच्छा ही बोलना चाहिए। न जाने कब सरस्वती जुबान पर बैठी हो। क्यों है ना? आगे से हम वादा करते हैं कि हम इस तरह की कोई बात एक दूसरे से नहीं कहेंगे। और वैसे भी पत्नी जी हमारी शक्ल इतनी बुरी थोड़े ही है, वैसे ही ठीक ठाक ही दिखता हूं, क्यों है ना मेरी प्यारी बीवी।”

नील ने हंसते हुए कहा।

और कहीं ना कहीं सुबह गलती मेरी भी थी। मुझे भी इस बात को समझना चाहिए था कि अभी बच्चा थोड़ा छोटा है। तुम्हें भी नींद पूरी करना जरूरी है। आज मेरी वजह से सुबह का जो एक घंटा हमारा अपना होता है उस समय शिवाय भी सो रहा होता है। वे पल हमने नाराजगी और बहस करने में ही खराब कर दिए। हमारे ही हाथ में है कि हम उन पलों को हसीन बनाते हैं या नहीं। तुम भी इस बात को भूल मुझे माफ कर दो। थोड़ी गलती तुमसे हुई थोड़ी मुझसे। सुधार भी हम ही करेंगे।

तभी परिधि कहती है “हां नील आप बिल्कुल ठीक कह रहे हो। दरअसल नील, शिवाय के होने के बाद मैं काफी समय मम्मी के यहां थी और मां के होते हुए मुझे किसी बात का एहसास ही नहीं हुआ। जब शिवाय पूरी रात जागता था तब मम्मी भी बराबर मेरा साथ देती थीं और सुबह मुझे कभी जल्दी उठने की जरूरत नहीं पड़ी। सच में मां तो मां होती है। न जाने इनमें कहां से इतनी हिम्मत आ जाती है इस उम्र में भी। परंतु एक मां होने के साथ मैं एक पत्नी भी हूं। आखिर अपने घर आना ही था। और मुझे भी थोड़ा मैनेज करके चलना चाहिए था। खाने की तैयारी दिन में जब शिवाय सो रहा होता है तब थोड़ी बहुत कर लेनी चाहिए ताकि अगले दिन सुबह बहुत कम समय लगे। फिर चाहे मैं सुबह थोड़ी थकी हुई हूं। एक बार काम आसान हो जाता है। आगे से मैं पहले से प्लानिंग कर कर चलूंगी।” परिधि ने नील से कहा।

वैसे आज की यह घटना से यह तो पता चल गया पत्नी जी कि आप मुझसे प्यार तो बहुत करती हो। और मैं भी तुमसे बहुत प्रेम करता हूं। नील ने पत्नी परिधि को बड़े प्यार से कहा। “बिल्कुल आप ठीक कह रहे हैं नील, और घबराहट के पल बहुत ही प्यारे पलों में तब्दील हो जाते हैं।”

“अच्छा यह बताओ रात के खाने में क्या बनाया है। आज सुबह भी ऑफिस में बस वडा पाव खाया और अब पेट में चूहे कूद रहे हैं।” पति ने पत्नी को पूछा।

तभी पत्नी साहिबा तपाक से बोली “मुझे मालूम था कि आपकी नाराजगी कैसे दूर करनी है। आपके पसंद के राजमा–चावल बनाए हैं जनाब। वह अलग बात है कि मैंने आपको बस फोन नहीं किया।परिधि ने जीभ बाहर निकालते हुए बोला ।

“अरे वाह, सुनते ही मुंह में पानी आ रहा है।” नील ने बोला।

ऐसा कहते–कहते अपने लैपटॉप बैग से कुछ निकालते हुए पति ने कहा –

“यह लीजिए देवी जी, आपके लिए पान, वह भी बिना सुपारी वाला। बारिश में भी गाड़ी रोककर बनवाया है। मुझे पता है, तुम्हें पान बहुत पसंद है।”

“अरे वाह! पान!”

खुश होती हुई परिधि ने कहा, और दोनों पति–पत्नी गले लग जाते हैं।

दोस्तों ये कहानी आपको ज़रूर अच्छी लगेगी।

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ज्योति आहूजा ।

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