प्यार के साथ सख्ती भी जरूरी है – विमला गुगलानी :  Moral Stories in Hindi

“ माँ, अरविंद की हरकतें दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है”, ईशा ने अपनी माँ गोमती से कहा।

   गोमती को चुप देखकर ईशा समझ गई कि मां कुछ नहीं कहेगी।ईशा ने फिर कहा” माँ, माना कि अरविंद सरपंच का इकलौता लड़का है, और आप उनके यहां खाना बनाने का काम करती हो, और वो सब भी आपका बहुत सम्मान करते है, लेकिन यह बात भी उन तक पहुँचनी जरूरी है।”

       तो हम क्या करे, तूं ही बता, वो उसके माँ बाप है, सब जानते है, हम ठहरे नौकर, हमारी क्या बिसात है, भला वो हमारी बात पर विश्वास क्यूं करेगें, गोमती ने हाथ मुँह धोकर बैठते हुए कहा।

     माँ, मैं सरपंच परिवार के भले की बात कर रही हूं। हर मां बाप को अपने बच्चों पर यकीन होता है और होना भी चाहिए, लेकिन अगर वो कुछ गलत कदम उठाते है, तो उनहें जल्दी रोकना होगा। और अगर हम उनका भला चाहते है तो हमें उनहें उनके बेटे की गल्तियों के बारे में बताना चाहिए, ईशा ने कहा।

    देखो मां, मेरे साथ ही वो कालिज में पढ़ता है , और तूं जानती है ना ईरा को, उसका तो पूरा परिवार ही सरपंच के साथ वाले घर में रहता है। मैं तो उसकी हरकतें कालिज में या आसपास देखती हूं , इरा तो उसकी हरकते आते जाते भी देखती है। 

       बाईक लेकर दिन भर घूमना और लैक्चर मिस करना तो उसके लिए एक आम बात है। उससे भी बड़ी बात है कि वो गल्त संगत में है। नशेड़ियों के गरूप में शामिल है वो। मां बाप के लिए वो रात को घर में सो रहा है, लेकिन अक्सर वो पीछे के दरवाजे से रोज बहुत देर से नशे की हालत में आता है। शायद एक नौकर को पैसे देकर अपनी तरफ किया हुआ है, जो उसकी हरकतों पर पर्दे डालता रहता है, ईशा फिर बोली।

    मुझे ये सब इरा ने बताया। उसके घर से काफी कुछ दिखाई देता है। अभी तो अरविंद  सिरफ बीस साल का है। धन , दौलत और बाप की सरंपची का घंमड हो चला है उसे। जहां तक मुझे पता है और आप भी बताती हो कि सरंपच साहब और और उनकी पत्नी बहुत ही अच्छे इन्सान है, गांव की भलाई के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं तो 

   उनकी अपनी औलाद किस तरफ जा रही है, उनहें ये भी पता होना जरूरी है। एक बार ये नशीली वस्तुएं  चरस, गांजा, अफीम, चिट्टा आदि की आदत पड़ जाए तो न सेहत रहती है और न ही पैसा। और इज्जत तो जाती ही है, सोचो अगर किसी दिन पुलिस के हत्थे चढ़ गया तो क्या होगा।ईशा ने कहा-

     सिरफ अरविंद ही नहीं , उनकी पूरी मंडली है, मैनें बताना था बता दिया, अब आगे जो आपको ठीक लगे वो करना।यह कह कर ईशा तो अपने काम लग गई लेकिन गोमती विचारों में डूब गई।

    बेचारी गोमती भी क्या करे, कैसे मालकिन संगीता से उसके ही बेटे की करतूतों का जिक्र करे। कौन मां ये सब सुनना पंसद करेगी और वो भी नौकरानी के मुंह से, जबकि उसके पास कोई प्रूफ भी नहीं।

    एक बार तो मन में आया कि छोड़ो, उसे क्या लेना देना इन अमीर लोगों की बातों से, लेकिन फिर मन ने धिक्कारा कि नहीं ये तो उसका फर्ज बनता है। उसने सुन रखा था कि नशा करने वालों का शरीर कमजोर और आंखे भी और तरह से दिखती है, लेकिन अरविंद को वो रोज देखती है, उसे तो ऐसा आभास नहीं हुआ।

    फिर लगा कि शायद अभी इन सब बुरी आदतों की शुरूआत ही हो। दो तीन दिन के बाद एक दिन वो संगीता के बालों में तेल लगा रही थी तो हिम्मत करके उसने अरविंद के बारे में बात करने का हौंसला कर ही लिया।

     यहां वहां की कुछ बातें करने के बाद उसने डरते डरते अरविंद की बात की। एक बार तो संगीता का चेहरा तमतमा गया कि एक नौकरानी की हिम्मत कैसे हुई, उसके बेटे के बारे में ऐसा उल्टा सीधा बोलने की। लेकिन संगीता समझदार औरत थी। वो तो बहुत कम घर से बाहर निकलती थी। शायद गोमती ठीक ही कह रही हो। घर की पुरानी और विश्वसनीय नौकरानी है। आखिर वो ऐसी बात क्यूं करेगी।

    उस समय तो वो चुप रही और घूर कर गोमती को देखते हुए बोली, जा तूं अपना काम कर। “ माफ करना मालकिन, अगर कुछ ज्यादा बोल गई तो”और यह कह कर गोमती वहां से चली गई। गोमती के जाने के बाद संगीता के दिल में हलचल, सब कुछ कैसे बताए सरंपच साहब को। उसका दिल कहता कि ये सब झूठ है, कैसे माने एक माँ का दिल।

    लेकिन बताना भी जरूरी था। बात पता चलते ही सरंपच के हाथों से तो मानों तोते उड़ गए। सारे गांव के मसले सुलझाने वाले का अपना घर ही खोखला हो रहा है। लेकिन बात की तह तक जाना जरूरी था। 

       अपने दो विश्वसनीय आदमियों को इस बात की तह तक जाने के पीछे लगा दिया। दरअसल वो अपने कामों में इतने व्यस्त रहते कि उनकी अरविंद से बातचीत ही कम हो पाती। उनहें अपनी ही गल्ती का अहसास हुआ।

     लेकिन अब अरविंद की शामत। वो तो लगभग नशे का आदी हो चुका था। उसे समझ न आई कि घर तक बात पहुचीं कैसे। कितने दिन तक ये सब छुपता । अब तो वो चिल्लाता, नशा मांगता। डाक्टर बुलाए गए। 

    अरविंद चाहता हुआ भी नशा छोड़ नहीं पा रहा था। डाक्टरों की सलाह पर मन मारकर सरंपच और संगीता को अरविंद की भलाई के लिए अपने दिल पर पत्थर रख कर कठोर कदम उठाना पड़ा और उसे पास ही शहर में कुछ दिनों के लिए “ नशा मुक्ति केंद्र “ भेजना पड़ा।

     अरविंद का इलाज शुरू हो गया। सफलता कितनी और कब तक मिलेगी ये तो समय ही बताएगा। लेकिन उनहें विश्वास है कि अरविंद जल्दी ही ठीक हो जाएगा, और अरविंद को भी अहसास हो गया है, और वो डाक्टरों को सहयोग देने की अपनी और से  पूरी कोशिश कर रहा है। 

  सिरफ इतना ही नहीं सरपंच ने नशे के आदी बाकी लड़कों का भी पता करके प्रिंसिपल को बता दिया ताकि समय रहते उनका भी सुधार किया जा सके।

    संगीता ने गोमती, ईशा, ईरा का समय पर सचेत करने के लिए धन्यवाद किया । सब दुआ कर रहे है अरविंद की सलामती की। मां बाप को बेटे के बारे में सोच सोच कर रात भर नींद नहीं आती, लेकिन अपने दिल के टुकड़े के उज्जवल भविष्य के लिए कुछ कठोर कदम उठाने की भी मजबूरी थी।

विमला गुगलानी

चंडीगढ़

वाक्य – कठोर कदम

Leave a Comment

error: Content is protected !!