देवरानी के सपनो का आशियाना !! – स्वाती जैन : Moral Stories in Hindi

देवरानी नीलू के नए घर को देखकर जेठानी माया की आंखों से टपटप आंसू बह पड़े मगर उसने तुरंत अपने आंसुओं को छुपाते हुए कहा – नीलू बहुत अच्छा काम करवाया हैं घर में , तुम्हारा घर बहुत प्यारा हैं और कम से कम तुम इस घर को अपने सपनों का घर तो कह सकती हो !!

हां भाभी , इस घर को मैंने यही नाम दिया हैं , वर्ना ससुराल का नाम याद करते ही चिढ़ सी मच जाती हैं वैसे भी भाभी जिस घर में बार बार अपने आप को साबित करना पड़े और हर बार अपने आत्मसम्मान को कुचलना पड़े वह अपना घर थोड़ी होता हैं नीलू बोली !!

नीलू बहुत दिनों से माया को अपना नया घर देखने के लिए बुला रही थी अततः आज माया नीलू का नया घर देखने आई थी !! घर के मेन गेट पर देवर संदीप – देवरानी नीलू का नाम लिखा था , बाहर गेट पर भी बहुत अच्छा डेकोरेशन था , बेल बजाते ही नीलू ने प्यार से जेठानी को गले लगा लिया था और अंदर ले जाकर हॉल ,

दो बेडरूम और बच्चों का कमरा दिखाया था , घर में बहुत अच्छा काम करवाया था , घर के पर्दो से लेकर छोटी छोटी चीज नीलू की पसंद की थी !! नीलू के बेडरूम में फैमिली पिक लगी थी जिसमें नीलू – संदीप और उसका बेटा साथ थे !!  नीलू माया को अपना घर दिखाते हुए बोली

भाभी यह हैं मेरे सपनों का आशियाना !! आंसुओं से डबडबाई माया की आंखों ने वाह का इशारा किया था और कहने लगी नीलू जब पति का साथ हो तो पत्नी अपना सपनों का आशियाना बना ही लेती हैं !!

नीलू को एक गिफ्ट देकर माया अपने मायके वापस आ गई और नीचे बागीचे में बैठकर फुट – फुटकर रोने लगी !! माया अपनी चार साल की बेटी के साथ करीब दो साल से मायके में रह रही थी !! आज माया के आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे और वह अतीत के गलियारे में खो गई जब माया ने शादी करके पहली बार ससुराल में कदम रखा था ,

कितनी खुश थी वह !! राकेश माया का पति घर का बड़ा बेटा था , वह अपने माता – पिता का बहुत सम्मान किया करता था , उसने माया से पहली रात ही कह दिया था – माया मेरे लिए मेरे माता – पिता सर्वोपरि हैं उन्हें कभी शिकायत का कोई मौका मत देना , माया ने भी मुस्कुराकर सहमति जताई थी !!

थोड़े ही दिन में माया को समझ आ गया कि सास – ससुर की नजर में माया का कोई मूल्य नहीं है , उसे सिर्फ घर की जिम्मेदरियां संभालने के लिए और एक संस्कारी बहू बनाकर सास ससुर की सेवा के लिए लाया गया हैं !! घर के कोई भी निर्णयों में उसे शामिल नहीं किया जाता था !! यहां तक कि दोनों टाईम की सब्जी भी सास – ससुर के पसंद की ही बनती , बाजार से जो भी सास पार्वती जी कहती वहीं आता ,

अपनी जरूरतों का सामान भी माया नहीं ला पाती , कुछ चाहिए होता तो पहले पार्वती जी से इजाजत मांगनी पड़ती , उसमें भी वे चार बातें सुना देती , छोटे से छोटे निर्णय भी माया को लेने का अधिकार नहीं था !! माया राकेश से कुछ कहती तो राकेश कह देता इस घर में मां पापा का ही आदेश चलता हैं और अगर वे गलत भी होंगे तो भी मैं उनका विरोध नहीं करूंगा !!

राकेश के माता पिता भी उससे कुछ ज्यादा ही मोह रखते थे क्योंकि वह माता पिता के कहे अनुसार ही चलता , अपनी पत्नी को कभी अहमियत नहीं देता !! पार्वती जी को अक्सर डर लगा रहता कि कहीं बहू उनसे बेटे को छिन ना ले इसलिए हमेशा बेटे – बहू के बीच गलतफहमियों की दीवार पैदा करती रहती !! राकेश माया पर जब झुंझलाता या गुस्सा करता तो पार्वती जी को बहुत मजा आता खैर अब तो माया ने भी अपने नसीब से समझौता कर लिया था !! जब पति ही पत्नी का साथ ना दें तो बेचारी पत्नी कर ही क्या सकती हैं ??

करीबन एक साल बाद देवर संदीप की शादी नीलू से हो गई और नीलू के आने के बाद माया को एक सहेली मिल गई !! संदीप और नीलू हनीमून पर जा रहे थे , संदीप तैयार होकर बाहर निकला और पार्वती जी से बोला मां नीलू ने जिंस और जैकेट पहना हैं , प्लीस उसे कुछ मत कहना , वैसे भी ट्रेन का सफर हैं और ठंड बहुत हैं !!

पार्वती जी बोली – हमारे घर की बहुए जींस नहीं पहनती संदीप !!

मां मैंने आपसे पहले भी कहा हैं खाने – पीने , उठने – बैठने और पहनने में रोक टोक मत लगाया करो , आपने भाभी के साथ जैसा व्यवहार किया वैसा नीलू के साथ नहीं चलेगा !! मैं उसके साथ शांती से जिंदगी बिताना चाहता हुं !!

पार्वती जी बोली – तुम्हारे पिताजी गुस्सा करेंगे कहे देती हुं !! 

संदीप बोला – पिताजी को भड़काती आप हैं मां वर्ना पुरुषों को कभी लेना देना नहीं होता इन सब चीजों से !! मैंने नीलू से कहा हैं कि वह आप लोगों का पुरा मान – सम्मान करेगी मगर यदि आपने उसे बात बात पर नीचा दिखाया या उल्टा सीधा बोला तो फिर मत कहना बेटा बहू का पक्ष ले रहा हैं , जोरू का गुलाम हो गया हैं !!

आप लोग उसे अपना मानेंगे तभी वह आप लोगों को अपना मान पाएगी !!

देवरजी की बातें सुन माया के आंसु छलछला गए और रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे !! माया को वह समय याद आ गया जब वह शादी के बाद पहली बार राकेश के साथ घूमने जा रही थी उसने लेगींस और कुर्ती पहनी थी ,

उपर से शाल भी ओढ़ रखी थी मगर पार्वती जी बोली यह क्या हैं बहु ?? घूमने जाना हैं तो जाओ मगर सिंपल सलवार सुट पहन कर जाओ , यह लेंगिस – कुर्ता यहां नहीं चलेगा !! राकेश ने भी मां का ही साथ दिया था और माया को सिंपल सूट पहनकर घूमने जाना पड़ा था !! एक वह दिन था कि एक आज का दिन है माया तब से अब तक झुकती ही आ रही थी !!

राकेश ने क्यूं नहीं उस दिन मेरा साथ दिया , मैं भी तो उसकी पत्नी थी !! आज यह हालात थे कि माया अपनी पसंद से टीवी चैनल की बटन तक चेंज नहीं कर सकती थी

क्योंकि राकेश ने भी हमेशा उसकी मां का साथ दिया और माया के सम्मान की कोई परवाह नहीं की मगर आज देवरजी ने इस घर में देवरानी का सम्मान तय कर दिया हैं !! अब सीधे मुंह पर कोई नीलू को ताने नहीं मारेगा और ना किसी चीज की रोक – टोक करेगा !!

एक ही घर के दो बेटों की सोच में कितना अंतर था !! देवरजी भी अपने माता – पिता का सम्मान करते थे मगर उनमें सही को सही और गलत को गलत कहने की हिम्मत थी !! आज इसी उधेड़-बुन में माया का दिन गुजरा !!

नीलू हनीमून से लौटकर बहुत खुश थी , उसने अपनी नौकरी वापस ज्वाइन कर ली थी !! अब वह रोज आधुनिक कपडे पहनती और अपनी इच्छा से बाहर आती जाती !!

जब माया ने भी आधुनिक ड्रेसेस पहनने की बात की तो राकेश ने साफ इंकार कर दिया और बोला मैं मेरे भाई जैसा जोरू का गुलाम नहीं बन सकता !!

माया बोली – अपनी पत्नी का सम्मान करना जोरू का गुलाम नहीं कहलाता राकेश तो राकेश ने उसे एक झोरदार तमाचा जड़ दिया !!

माया को कभी कभी नीलू से ईर्ष्या हो जाती क्योंकि उसे तो कभी वह सब नहीं सहन करना पड़ा था जो उसे सहन करना पड़ा मगर फिर सोचती किस्मत वाली हैं नीलू जो उसे ऐसा पति मिला !!

कुछ महिनों बाद माया और नीलू दोनों मां बनने वाली थी !! पार्वती जी ने फरमान सुनाया दोनों बहुए अपने मायके चली जाए !!

नीलू बोली – मैं डिलीवरी पर मायके जाकर उनका बोझ नहीं बढ़ाना चाहती , हम यहां कुक और मेड रख देंगे ताकि हमें भी आराम मिले और आपको भी !!

यह सुनते ही सास ससुर बरस पड़ें कि वे लोग मेड या कुक के हाथो का बना खाना नहीं खाएंगे !! राकेश ने हमेशा की तरह मां पिता का साथ दिया !!

माया के पास मायके जाने के अलावा कोई चारा ना था !! माया के जाते ही ससुराल की सारी जिम्मेदारी नीलू पर आ गिरी !! अब सास – ससुर का सारा गुस्सा नीलू पर बरसता !! नीलू उदास रहने लगी और वह भी मायके चली गई !!

यहां संदीप ने एक कठोर निर्णय ले लिया था , नीलू की डिलीवरी के बाद उसने एक किराए का मकान खोज लिया जिसमें वह लोग अपने बेटे को लेकर हमेशा के लिए यह घर छोड़कर चले गए !!

माया डिलीवरी से वापस आई तो ससुराल उसे डरावना पिंजरा लगने लगा , नीलू के बिना माया का कहीं मन नहीं लगता !! एक नीलू ही तो थी जिससे माया अपने दिल का बोझ हल्का कर लेती !!

माया का अब भी पहले जैसा ही हाल था , उसने यह घर छोड़ने का फैसला लिया कि शायद राकेश और उसके माता पिता सुधर जाए पर राकेश ने साफ साफ कह दिया देखता हुं तुम्हारे भाई – भाभी तुम्हें कितने दिन रखते हैं ??

 आज पुरे दो साल हो गए थे माया को ससुराल छोड़े , उतने में चार साल की बेटी नायशा की आवाज से माया की तंद्रा टूटी मम्मा ,यह देखो मैंने कितनी अच्छी ड्राईंग बनाई हैं !!

माया ने ड्राइंग हाथ में ली तो देखा उसने मम्मी पापा और अपनी ड्राइंग बनाई थी जिस पर लिखा था माय ड्रीम हाऊस !!

माया ने अपनी बेटी को गले से लगा लिया उतने में पीछे से आवाज आई माया , मुझे माफ कर दो , मुझे तुम्हारी अहमियत समझ में आ गई हैं !! मैंने मम्मी पापा को भी समझा दिया हैं , अब वे कभी तुम्हें परेशान नहीं करेंगे ,  राकेश इतना सब बोल गया और उसने तुरंत माया को गले से लगा लिया !!

माया के आंसु बह निकले और इन आंसुओ में सारा दिल का गुबार बह निकला !!

लेखिका : स्वाती जैन

#ईर्ष्या  

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