“सुकून” – ममता चित्रांशी : Moral Stories in Hindi

    आज तो आपको बताना ही पड़ेगा दीदी …आप क्यों हमेशा चुप-चुप सी रहती हो ?? नीरा ने पूछा 

  कहां….!!, मैं बोलती तो हूं, तुम को ऐसा क्यों लगता है कि मैं बात नहीं करतीं, झूठी सी हंसी हंसते हुए,जिठानी रजनी ने कहा …और एक प्यारी सी चपत नीरा के गाल पर लगा दी ….!!

    नीरा की शादी हुए तीन महीने ही हुए हैं …घर में सास ससुर जेठ जिठानी और ,एक नंद है…. पति रोहित सुलझे विचारों के है, परिवार के लिए पूर्ण समर्पित … निजी व्यवसाय है, ससुर और जेठ सुधीर जल्दी फेक्ट्री में पहुंच जाते हैं .. रोहित थोड़ी देर बाद जाता है ….!!

     परिवार खुशमिजाज है,रात को सभी एक साथ खाना खाते हैं …. नीरा और रजनी सबको खिला पिला कर आराम से खाना खाती हैं ….!!

      सास और नंद घर के कामों में हाथ बंटाती है …एक संतुष्ट और समृद्ध परिवार है नीरा का…..

     जब से नीरा आयी है देख रही है, रजनी गुमसुम सी रहती है, ….ज्यादा बात नहीं करतीं … फिर भी नीरा लगातार कोई न कोई बात कर उसे बोलने पर मजबूर कर देती है।

     नीरा ने पति से दीदी के चुप रहने का कारण जानने की कोशिश की,पर वह भी बिना कुछ बताए चले गये।

    नीरा ने ठान लिया था, चाहे कुछ भी हो पर रजनी के मन की गांठ खुलवा कर रहेगी ….!!

       रीना गर्भवती हो गयी,। सबको एक शादी में जाना था … रीना को रजनी के भरोसे छोड़कर सभी चले गये..

 रजनी का बेटा संजय जो 10 वर्ष का था … वह भी उनके साथ  चला गया …

   रीमा को मौका मिल गया … दीदी ,आपको हमारी कसम ,….!! आज आप अपने चुप रहने का कारण बता ही दीजिए …बार बार पीछे पड़ने पर रजनी ने सुनाया ….

   सुनो रीमा,संजय मेरा बेटा नहीं है,मैं इसकी सौतेली मां हूं ..!!

दीदी, सौतेली क्या होता है…मां सिर्फ़ मां होती है!!

  हां रीमा ….

आज मैं तुम्हें सब कुछ बताऊंगी ..,!!

    संजय को जन्म देते ही इसकी मां गुजर गयी… तब सुधीर जी और संजय की खातिर मुझे ब्याह कर लाया गया …ये मुझसे थोड़े दूर दूर रहते थे, ….मुझे लगा शायद अपनी पहली पत्नी को नहीं भुला पा रहे हैं इसलिए मुझसे दूरी बना रखी है …!!

    हमारी शादी के तीन साल बाद सासू मां मुझे डाक्टर के पास ले गयी … उन्हें लग रहा था, अभी तक मुझे गर्भ क्यों नहीं ठहरा…. सच्चाई तो उन्हें पता नहीं थी कि उनके बेटे ने मुझे अपनाया ही नहीं था …

    तब उस डाक्टर के अनुसार एक दूसरी सच्चाई जरूर सामने आ गयी कि मैं कभी मां नहीं बन सकती …!!

   अब तो हमारी शादी को नौ साल होने वाले हैं …सब सुख सुविधाएं हैं,सब मुझे बहुत प्यार करतें हैं …. यहां तक कि सुधीर जी ने भी मुझे सब खुशियां दी….बस पत्नी का अधिकार आज तक नहीं मिला … मेरा तन और मन दोनों ही पुरुष का सानिध्य मांग रहा है,… इसीलिए शायद चाहकर भी मैं कुछ बोल नहीं पातीं, ….अंदर ही अंदर घुटती जा रही हूं …!!

     बताओं रीमा मैं क्या करूं??

  रीमा ने रजनी को गले लगा लिया, बोली दीदी भगवान के घर देर है,अंधेर नहीं,देखना  सब ठीक होगा …

अब  रजनी और रीमा और करीब आ गयी ..

दिन बीतते रहे …एक दिन सुधीर को फैक्ट्री में हार्टअटैक आ गया … तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया .., रजनी का रो रोकर बुरा हाल था, रीमा हरदम उसके साथ रहती … धीरे-धीरे सुधीर की हालात में सुधार हो रहा था।

   डाक्टर ने सुधीर को तीन महीने तक आराम करने को कहा …. रजनी अपने कर्तव्य का पूर्ण रुपेण पालन कर रही थी, समयानुसार नाश्ता खाना और दवाई का ध्यान रखती…

उसके शांत स्वभाव और सेवा भावना को देख सुधीर का मन ग्लानि से भर गया … मैंने इसके साथ कितना गलत किया … शादी करके तो लाया हूं, परन्तु इसे इसके अधिकार कभी नहीं दिये, कितना बुरा इंसान  हूं मैं …. फिर भी यह मेरी सेवा कितने तन्मयता से कर रहीं हैं … अच्छा हुआ ईश्वर तूने समय रहते मेरी आंखें खोल दी ….!!

     जैसे ही रजनी दवा देने के लिए सुधीर के पास आयी.. सुधीर ने उसे अपनी बाहों में भर लिया …. रजनी अचम्भित सी उसकी बाहों में समाती चली गयी …!!

     सुधीर अपने व्यवहार के लिए बार बार रजनी से माफी मांग रहा था .और रजनी मूक सी उसके सीने से लगकर तृप्त हो रही थी ….!!

        रीमा, रीमा पहली बार रजनी की खनकती आवाज सुनाई दी….!!

   क्या बात है दीदी आज तो बड़ी चहक रही हो…??

     रजनी ने उस गले लगा लिया …दिल की धड़कन और चेहरे की लाली ने रीमा को सब बयां कर दिया …!!

    ममता चित्रांशी

#मन की गांठ

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