सुरेश जी की बेटी रीना की शादी थी। पूरे घर में खूब चहल-पहल थी ।विवाह कार्यक्रम चल रहे थे। रीना की चचेरी बहन दिव्या भी सारे कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही थी जो रीना की हम उम्र थी। दिव्या सर्वगुणसंपन्न और देखने में बड़े आकर्षक नैन-नक्श की थी और रीना अमीर पिता की सिर चढ़ी बेटी थी। शाम ढलते ही बारात के आगमन का समय आ रहा था।सभी जल्दी-जल्दी तैयार हो रहे थे। दिव्या भी तैयार होकर और आकर्षक लग रही थी। रीना भी पार्लर से आ गई थी।
दिव्या जयमाल पर रीना के साथ जाने के लिए तैयार थी तभी उसके चाचा सुरेश जी ने दिव्या को आवाज लगाई …. दिव्या तुम जयमाला पर रीना के साथ मत जाना और कुछ देर बाद चाची ने भी कहा….. दिव्या तुम्हें जयमाला पर रीना के साथ नहीं जाना है।
दिव्या को समझ नहीं आ रहा था कि चाचा-चाची उसे ऐसा क्यों कह रहे हैं….? दिव्या वहां से हटकर रोने लगी। आखिर ऐसा क्या हुआ….? जो चाचा-चाची ऐसा कह रहे हैं। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। अगर कोई बात थी तो पहले कह देते तो वह शादी में नहीं आती। दिव्या ने देखा कुछ महिलाएं आपस में खुसुर फुसुर कर रही थी। दिव्या को देखकर चुप हो गई, लेकिन दिव्या को चैन नहीं पड़ रहा था कि आखिर बात क्या है….?
तभी दूल्हे के मामा आए जो दोनों तरफ से रिश्ते में थे उन्होंने दिव्या को रोते देख लिया था। उन्होंने दिव्या को समझाया कि तुम्हारे चाचा को डर है कि कहीं दूल्हा अजीत तुम्हारे जयमाला न डाल दे और हंस दिए इसलिए रोक रहे हैं। शादी के बाद बताएंगे पूरी बात। दिव्या ने कहा ….ऐसा कहीं होता है। दिव्या ने जय माल क्या विवाह के सारे कार्यक्रमों से दूरी बना ली क्योंकि वह अपने मम्मी पापा से कहकर कोई और बवाल नहीं करना चाहती थी। विवाह कार्यक्रम अच्छे से संपन्न हुआ।
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लेकिन दिव्या के मन में अभी भी उस रहस्य को जानने की जिज्ञासा थी ।दिव्या ने दूल्हे के मामा को फोन किया जो दिव्या के दूर के रिश्ते के चाचा लगते थे। दिव्या ने कहा…. चाचा अब बताइए क्या बात है मेरे साथ शादी में ऐसा क्यों हुआ।उन्होंने कहा…. क्या करोगी जान के अब शादी हो गई है…. छोड़ो….! दिव्या ने कहा ….नहीं चाचा… मेरे चाचा-चाची ने ऐसा कहा… मुझे अच्छा नहीं लगा। आप बताएं चाचा जी । चाचा जी ने बताना शुरू किया तो स्वार्थी संसार के स्वार्थी लोगों के चेहरे से नक़ाब उतरने लगे।
दूल्हा अजीत के ननिहाल और सभी रिश्तेदार और अजीत भी तुमसे शादी करना चाहता था परंतु एक दिन अजीत के घरवालों ने तुम्हारी फोटो मांगने के लिए तुम्हारे चाचा सुरेश से कहा तो तुम्हारे चाचा ने कुछ दिन बाद बताया कि हमारे भाई साहब अपनी लड़की की शादी अजीत से नहीं करना चाहते इसलिए फोटो नहीं दी है।अगर आप लोग तैयार हो तो हमारी लड़की भी दिव्या की हम उम्र है और हम उनसे ज्यादा दान दहेज देंगे। अजीत भी दुखी था। तुम्हारे पापा के मना करने पर। लेकिन मन ही मन अजीत तुम्हें पसंद करता था। ये बात तुम्हारे चाचा जानते थे इसलिए उन्होंने तुम्हें मना कर दिया उस दिन जयमाल पर रीना के साथ जाने को ।
दिव्या ने कहा…. इसमें मेरा क्या दोष था और दिव्या ने सारी बातें अपने मम्मी पापा को बताई जो हुआ था शादी के दिन। मम्मी पापा बहुत गुस्से में थे। शादी के कुछ दिन बाद चाचा सुरेश दिव्या के घर आए। वो अपनी चालाकी पर बहुत खुश थे और दिव्या के पापा से बोले भैया वह लोग मूर्ख होते हैं जो दूसरों के कहने पर अच्छा रिश्ता तोड़ देते हैं और वो लोग होशियार होते हैं जो अपनी लड़की को सही जगह पर शादी कर देते हैं। दिव्या को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया।
उसने कहा चाचा औरों की क्या बात है आपने ही ऐसा किया है इसलिए आपको जयमाल पर डर सता रहा था। चाचा जी मैं ऐसी वैसी लड़की नहीं हूं जो अपनी बहन का घर उजाड़ दूं ये आप जैसा स्वार्थी लोगों के संस्कार हैं। चाचा सच सुनकर हड़बड़ा गए और कोई उत्तर न होने के कारण अपनी बंगले झांकने लगे।सच में स्वार्थी संसार में कोई भी स्वार्थ के लिए किसी का भी प्रयोग कर सकता है इसलिए बाहर वालों के साथ साथ अंदर वालो से भी सावधान रहना चाहिए।
स्वरचित विनीता महक गोण्डवी