दोपहर दो बजे रीना की आँख खुली । उनींदी आंखों से देखी अभी तो रात ही है और फिर उसने कॉलेज से छुट्टी ले ली थी । आँखें बंद किया रात में लिखी कविताओं के बारे में सोचा इतने लाइक इतने कमेंट बहुत ही संतुष्टि हुई । बरसों उसकी डायरी लिखने की आदत अब काम आ रही थी । सीमा जो उसकी सबसे अच्छी दोस्त और रूम पार्टनर भी थी
उसका बहुत ख्याल भी रखती थी । उसने आज दोस्ती पर कविताएँ लिखी और सोशल मीडिया पर पोस्ट की । उसने उस कविता को सीमा को समर्पित करके लिखी थी उसे प्रतीक्षा थी की सीमा उसका पोस्ट पढ़कर खूब अच्छा सा कमेंट लिखेगी ।
सुबह रीना उठी तो उसके व्यक्तिगत नंबर पर सीमा की मैसेज पड़े हुए थे कहाँ तो उसने सोचा था की सीमा को बताऊंगी की दोस्ती सीरीज पर कविता डालना शुरू की हूँ तो वह बहुत खुश होगी पर वह तो व्यक्तिगत मैसेज लिखी है इतनी लंबा चौड़ा मैसेज । जैसे सीमा का मैसेज पढ़ना शुरू की रीना की सारी मस्ती हवा हो गयी ।
रीना बेड पर उठकर बैठ गयी और मैसेज पढ़ने लगी । रीना हम दोंनो में दोस्ती है । हम साथ साथ रहते हैं मैं तुम्हें अपना दोस्त समझती हूँ ।।तुम भी शायद ! पर तुमने कभी मेरी संवेदनाओं को समझा ही नहीं । मैं जिससे प्यार करती थी तुमने उसे अपने झांसे में ले लिया । जबकि तुम राहुल के साथ मेरी दोस्ती को जानती थी
तुमने हम दोनों के बीच में आने की कोशिश की मैं तुम्हें इसलिए बताई थी कि तुम हम दोनों को मिलवाओगी । पर जान बूझकर या अनजाने में जो भी हो तुमने मेरी आत्मा को तकलीफ दी है । रीना मेरी आत्मा को तकलीफ देकर तो कभी सुखी न रह सकती है । तुम क्या जानती हो कि तुमने दोस्ती का अर्थ समझा ही नहीं ।
दोस्ती का अर्थ समझने के लिए संवेदनाओं की गहराइयों में उतरना पड़ेगा तभी तो दोस्ती के अर्थ समझ पाओगी । केवल दोस्ती पर कविताओं की सीरीज लिखने से कुछ भी नहीं होगा । कभी महसूस करके भी देखा उसे जो तुम लिखती हो । जब उसे महसूस करके लिखोगी तो तुम्हारी कविताओं में वास्तव में वह दिखाई देगा
और उसे पाठक भी दिल से महसूस कर सकेंगे । रीना को बहुत पछतावा हुआ क्यों मैं सीमा के मन के भाव को समझ नहीं पाई । सीमा का बेसब्री से इंतजार करने लगी । आते ही उसे गले से लगा लिया और आखो निशब्द थे और आँखों से अविरल अश्रु धारा बहने लगी । निशब्द थे दोनों पर दोनों के हृदय की धड़कनें समझ चुकी थी । सब कुछ बह गया था उन आंसुओं के साथ और दोस्ती की भावना जीत गई थी ।
अनिता मंदिलवार “सपना”