दिखावे की जिंदगी – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

प्रिया बहुत ही ज्यादा समझदार लड़की थी । अपने पूरे परिवार में सबसे अधिक पढ़ी लिखी होने के कारण सब लोग उसका बहुत मान सम्मान करते थे। आज प्रिया बहुत ही खुश थी, क्योकि उसकी नौकरी एक मल्टीनेशनल कंपनी में लग गयी थी। प्रिया के मम्मी पापा का सपना पूरा हो गया हो गया, वो लोग प्रिया के लिए बहुत खुश थे। प्रिया को चार दिन बाद ही ऑफिस जॉइन  करना था। प्रिया के मम्मी पापा ने प्रिया को बोला बेटा अब तुम एक नई जिंदगी शुरू करने जा रही हो। तुम्हारी कंपनी भी बहुत बड़ी है ,

वहां तरह तरह के लोग होंगे, तुम थोड़ा संभल के रहनाबेटा ,और सबसे बड़ी बात अपनी सैलरी को सही जगह खर्च करना। “दिखावे “में आ के अपना , मेहनत से कमाया हुआ धन गलत जगह खर्च नही करना। ठीक है पापा , मुझे सब पता है । वैसे भी पापा मेरी सैलरी इतनी है की ,मैं खूब उड़ा भी सकू,और बचा भी सकू। उसकी बातें सुन उसके मम्मी पापा को थोड़ा अटपटा लगा। लेकिन सोचा बच्ची है पहली नौकरी है,

समय के साथ सब ठीक हो जाएगा। प्रिया के आफिस का पहला दिन था। प्रिया बहुत ज्यादा खुश थी ।ऑफिस गयी काम किया । आज प्रिया का ध्यान काम पर थोड़ा कम ,लेकिन सबके कपड़ो जूतों पर ज्यादा था। खैर आज का दिन बीत गया। प्रिया घर आ गयी। मम्मी ने पूछा कैसा था ऑफीस बेटा ?

बहुत अच्छा था मम्मी , मम्मी मैं थोड़ा मार्केट हो के आती हूं । अरे आते ही  मार्केट , ऐसा क्या हो गया?कुछ नही मम्मी आप नही समझोगे बोल पर्स ले निकल गयी ।

 फिर अपने लिए  नए जूते , दो जोड़ी वेस्टन कपड़े सब ले के आ गयी । पूरे पंद्रह हजार की शॉपिंग कर के आ गयी। घर आते ही प्रिया के पापा ने बोला, बेटा पंदह हज़ार का क्या खरीद लिया? पापा हमसे कुछ मत पूछो, सैलरी आने पे मैं आपके पैसे लौटा दूंगी।

पापा ने हँसते हुये बोला ठीक है दे देना। फिर क्या था। प्रिया रोज अच्छे से तैयार हो कि ऑफिस जाती। और घर पे आ के फ़ोन पे बाते करती। उनकी बातें सिर्फ कपड़े जूते, खाने पीने की होती। अपने  दोस्तो को होटल में पार्टी देती। कई बार प्रिया की मम्मी ने बोला बेटा , अपने दोस्तो को घर पे बुला लो, तो तुरंत मना कर देती। बोलती मैं इतने छोटे घर में नही बुला सकती । और वैसे भी मम्मी आप परेशान नही हो, मैं अब पापा से  पैसे नही लेती । अपनी कमाई के पैसे खर्च करती हूं। 

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प्रिया का बदला रूप देख प्रिया के मम्मी पापा बहुत परेशान थे। प्रिया ,अब” दिखावे की जिंदगी ”  जी रही थीं। उसकी मम्मी को बहुत चिंता होती ,इसको पैसों का ऐसा भू त सवार हुआ है,खैर, प्रिया की उनके साथ काम करने वाले, अमित से कुछ ज्यादा दोस्ती हो गयी थी , जो उसके मम्मी पापा को पसंद नही था। अमित रोज प्रिया को अपनी बड़ी सी गाड़ी से घर छोडता।आज प्रिया की  मम्मी बहुत ज्यादा गुस्से में थी। और प्रिया के घर आते ही उनका गुस्सा फूट पड़ा, बोली बेटा तुम क्यो अपनी जिंदगी बर्बाद कर रही हो?

तुम्हारा इस तरह किसी अनजान लड़के के साथ आना जाना ठीक नही है, प्रिया कुछ बोल नही रही थी, बस बिस्तर पर लेट गई। उसकी मम्मी ने उसका हाथ पकड़ उठाया , प्रिया ने बोला मम्मी बहुत उल्टी हो रही है औऱ बुखार भी है ,।फिर क्या था तुरंत डॉक्टर के पास ले गयी। डॉक्टर ने एडमिट करने को बोला ,बोला पहले आप दस हज़ार जमा कर दीजिए। प्रिया की मम्मी प्रिया का एटीएम ले के पैसे निकलने गयी, उनके पैरों तले जमीन निकल गया। प्रिया के एटीएम में सिर्फ पांच हज़ार रुपये थे। प्रिया की मम्मी फिर घर आई

और अपने रखे हुए पैसे ले के गयी । हॉस्पिटल जा के  पैसे  जमा किया। तीन दिन बाद प्रिया को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज मिल गया। घर आ के प्रिया  ने जब अपना फ़ोन देखा ,तो बहुत सारे मैसेज थे, गेट वेल सून के, प्रिया की  आखो में आंसू थे ,उसने सोचा जिन दोस्तो के साथ मैंने सात महीने गुजार दिया, हर टाइम पार्टी किया , जिन दोस्तो के ऊपर इतना पैसा खर्च किया, वो दोस्त हमको एक बार हॉस्पिटल में  देखने भी नही आये, उसने अमित को कॉल किया , बोला अमित तुम हमको देखने नही आये?

प्रिया ऑफिस का बहुत काम था इस लिये नही आ पाया, कोई बात नही , अमित वो मेरे पैसे दे देते तो अच्छा होता ,मेरे एकाउंट में पैसे नही है हमको जरूरत है, अमित ने बोला,यार अभी रुको प्रिया, मेरे पास पैसे होते तो तुमसे ले के मैं थोड़े  ही फ़ोन खरीदता, बाद में जब होंगे तो दे दूंगा। औऱ फ़ोन काट दिया। अमित का ये व्यवहार देख प्रिया ,बहुत रोने लगी,

। उसकी माँ ने  प्रिया औऱ अमित की

 बातें सुन ली।

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, अपनी बेटी को रोता देख बोली , नही बेटा ,रो नही सब ठीक हो जाएगा। प्रिया को अपनी गलती का अहसास हो गया। अपने मम्मी के गले लग बहुत रोई,बोली मम्मी मैं अब ऐसी गलती नही करुँगी।अमित को फ़ोन लेना था,उसने मुझसे पैसे मांगें, मैंने बिना सोचे समझे, उसको दे दिया।उसने हमको धोखा दिया मम्मी , ।।

चपु हो जाओ बेटा, कोई बात नही सब ठीक हो जाएगा। प्रिया की मम्मी ने सोचा जो हुआ अच्छा हुआ,प्रिया 

 को अपनी गलती का अहसास तो हुआ ।

“आज के समय मे प्रिया जैसे बहुत से बच्चे है, जो थोड़ा पैसे कमाते ही “दिखावे की जिंदगी “में उलझ जाते है, ।

इस लिए बहुत जरूरी है , की आप  गलत संगत में ना पड़े, किसी भी दोस्त को पैसे देने से पहले सोचे, दुख में मदद जरूर करे।,लेकिन अपने दोस्तों की जरूरत को पूरा करने की जिम्मेदारी आप की नही है।अपने मेहनत की कमाई को सही जगह पर  खर्च करे। अंजान दोस्तो को पैसे देने से बचे।

रंजीता पाण्डेय

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