सुनो तो… – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

रीति… रितिका कहां हो तुम… सुनो तो…आवाज सुनते ही रितिका थाली लगाती रुक सी गई।

आ गई  बिल्लो काकी घंटे भर की फुर्सत हुई सोचते उसने भी आवाज लगाई क्या हुआ काकी आ जाओ ।आ जाओ आपकी भी थाली लगा दूं क्या

अरे थाली वाली छोड़ो। कल सुनीता के शादी समारोह से जल्दी  चली आईं तुम।वहां तो बड़ी बातें बनाई जा रहीं थीं तुम्हारे आने के बाद.. मुझे बहुत खराब लगा…काकी ने काफी संजीदा स्वर में कहा।

क्या हुआ काकी कौन क्या कह रहा था वहां आश्चर्य से रितिका बोल उठी।जयमाल होने में देर थी और आपको पता है ना कि किट्टू का सुबह पेपर था इसीलिए मैं वहां ज्यादा नहीं रुकी …मैने आपसे बताया तो था आते समय।

अरे मैने यही बात सबको समझाने की कितनी कोशिश की लेकिन …!! वो नीला तो तुम्हारे जाते ही कहने लगी  कि ये रितिका भाभी बड़ी घमंडन हैं।किसी से बात ना चीत अभी आई और अभी चली गईं।भला ऐसा भी क्या बड़े ओहदे का घमंड करना ।भई अब हम इतने छोटे लोग भी नहीं हैं…काकी ने थोड़ी और मिर्च बघारी।

….नीला ऐसा कह रही थी रितिका को विश्वास ही नहीं हुआ।

हां..हां  अभी सुनो तो ….तुम्हारी वो दूर की रिश्तेदार हैं ना सरोज जिज्जि वो तो और बढ़ कर हैं।तुरंत नीला की हां में हां मिलाती कहने लगीं हां हां रितिका अपने आपको बहुत ज्यादा समझती हैं जबकि घर में उसकी दो कौड़ी की इज्जत नहीं है।देखो तो जरा एक कौर खाना नहीं खाया जैसे हम म्लेच्छ हैं।अब बताओ भला सुनीता बिचारी ने कितना महंगा कैटरर किया है इतने सारे विविध व्यंजन बनवाए हैं लेकिन महारानी रितिका को कुछ भी पसंद नहीं आया ।शादी के घर से बिना खाए चली गईं…

सरोज जिज्जि कह रही थीं ये सब मेरे बारे में रितिका का मन दुखी हो गया।

अरे अभी सुनो तो …बिल्लो काकी अपनी बातों का अपेक्षित असर होता देख उत्साहित हो उठीं थीं.. वो तुम्हारी सहेली रंजना उसने तो ऐसी बात कह दी जिसे बोलते हुए भी मुझे शर्म आ रही है ।

अरी बिल्लो काकी तुम्हे तो  शर्म आनी ही चाहिए ।काहे इतना नमक मिर्च लगा लगा कर हमारी सहेली के दिल को जला रही हो ।लो  हम भी इसीलिए आ गए हैं अब हमे भी बताओ रंजना क्या कह रही थी अचानक  रंजना के साथ सरोज और नीला ने आते हुए जोर से कहा।

हाय दैय्या मुझे काला सांप काटे जो मैं इत्ती प्यारी  रितिका का दिल जलाऊं।मै तो शादी का हाल चाल बताने आई थी इसे ।कल जल्दी आ गई थी ना ये… बिल्लो काकी सबको वहां देख सिटपिटा कर पैंतरा बदलने लग गई और जाने को उद्धत हो गईं लेकिन नीला ने झपट कर उनका हाथ पकड़ लिया….सुनो तो काकी…बड़ी चिंता है तुम्हे रितिका की।कल तो तुम्ही सबको जा जाकर गा बजा रही थीं कि देखो रितिका इतनी जल्दी चली गई मुझसे बता कर गई है कि उसे यहां की व्यवस्था एकदम कूड़ा लग रही  थी… यहां का खाना देख उसे उबकाई आने लगी थी इसीलिए वह चली गई … नीला ने काकी की आंखों से आँखें मिलाते हुए कहा तो काकी आँखें ना मिला सकी।

काकी मैं तो आपको ही घर आने का असली कारण इसलिए बता कर आई थी कि आप सभीको समझा देंगी ।लेकिन आपने तो सबको समझाने के बजाय #नमक मिर्च लगाकर बातों के मायने ही बदल दिए।आपसी रिश्तों की मिठास में नमक मिर्च लगा कर कड़वाहट पैदा करने की कोशिश की ।काकी…आज से आप के साथ मेरा रिश्ता खत्म रितिका ने हाथ जोड़ते हुए काकी को तेज फटकार लगायी तो काकी तेजी से दरवाजे की तरफ बढ़ने लगीं तभी पीछे से नीला रंजना और सरोज ने समवेत स्वर में हंसकर पुकार लगाई अरे काकी सुनो तो….!!

लघुकथा#

लतिका श्रीवास्तव 

नमक मिर्च लगाना#मुहावरा आधारित लघुकथा

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