कॉलेज के सभी छात्र छात्राओं ने पिकनिक पर जाने का प्रोग्राम बनाया और सब साइकिल पर ही निकल पड़े, मौसम बहुत ही दिलकश था l सुनहरी धूप खिली हुई थी और इक्के दुक्के बादल आसमान में तैर रहे थे l पिकनिक स्पाट बहुत ही खूबसूरत था l वहां पहुंचकर प्रकृति की गोद में बहुत ही आनंद आया झील में कई लोग वोटिंग कर रहे थे मंद मंद शीतल बयार बह रही थी पहले सबने अंताक्षरी खेली और फिर सबने राकेश वर्मा को गाने का अनुरोध किया जो कि बहुत ही सुरीला गाता था
सब के अनुरोध पर राकेश राकेश ने गाना शुरू किया ” ख्वाब हो तुम या कोई हकीकत कौन हो तुम बतलाओ…… ” सभी झूम उठे सरिता जो कि सामने ही बैठी थी मंद मंद मुस्कुरा रही थी राकेश मन ही मन सरिता को चाहता था, पर कभी प्यार का इजहार नहीं कर पाया, सरिता इतनी ज्यादा खूबसूरत तो नहीं थी पर किसी पर दिल आ जाए तो क्या होता है… ? वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है.. खेर.. शायद सरिता भी उसे चाहती थी l
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दोनों लाइब्रेरी और कैंटीन में या फिर सामने लॉन में साथ-साथ नजर आने लगे दोस्तों ने कहा ” उससे कह क्यों नहीं देता ” तो राकेश बोला ” जताना भी नहीं आता छुपाना भी नहीं आता हमें उनसे मोहब्बत है बताना भी नहीं आता ” तब दोस्तों ने सलाह दी ” अरे यार तू ऐसा कर कल वैलेंटाइन डे है l अच्छा मौका है पहुंच जा उसके घर चाकलेट और फूलों का तोहफा लेकर ” वह थोड़ा घबरा रहा था पर फिर उसने कहा ” हां यारों मैं कल जरूर जाऊंगा वह कई बार मुझे घर बुला भी चुकी है “
बीच में एक छुट्टी आ गई सो तीसरे दिन जब राकेश वर्मा कॉलेज आया तो सब मित्रों ने उसे घेर लिया और बड़ी उत्सुकता से पूछने लगे, ” जल्दी बता जल्दी बता क्या हुआ राकेश बहुत उदास लग रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी रो पड़ेगा कहने लगा ” क्या बताऊं यारों जैसे ही मैं सरिता के घर पहुंचा तो बैठक में उसने मेरा परिचय कराया…यह मेरी बड़ी बहन है.. और एक हैंडसम से लड़के की ओर इशारा करके कहती है ” यह मेरे मंगेतर हैं.. ” फिर मेरी और मुड़के ” बोली यह मेरी क्लास में है l
राकेश वर्मा में इन्हे अपना भाई मानती हूं…मेरी बहुत मदद करते हैं,…. इतने में उसकी बहन के बच्चे जो सारी बातें सुन रहे थे दौड़कर मेरी ओर लपके और वर्मा मामा…वर्मा मामा.. कहकर मेरे हाथों से चॉकलेट और फूल लेकर भाग गए….” राकेश वर्मा की बातें सुनकर सारे दोस्त बहुत हंसे एक ने कहा ” सैंया बनेने गए थे और भैया बनकर लौट आए दिल के अरमां आंसुओं में बह गए अब इसकी प्यारी बहनिया बनेगी दुल्हनिया सज के आएंगे दूल्हे राजा और राकेश भैया बजाएंगे बाजा…. “. फिर उसको दिलासा देते हुए मित्रों ने कहा ” चल यार जाने दे ऐसे बड़े बड़े कॉलेजों में ऐसी छोटी छोटी बातें होती रहती हैं दिल पर मत ले यार बस यह सोच कि… ” तू है हरजाई तो अपना भी यही दोर सही तू नहीं और सही और नहीं और सही…. “
बहुत वर्ष बीत गए पढ़ाई के बाद सब दोस्त अलग-अलग शहरों में चले गए फिर एक बार राकेश मिल गया बहुत ही खुशी हुई उससे मिलकर उसने बताया बहुत अच्छी नौकरी कर रहा है l शादी हो गई है दो बच्चे हैं l अचानक मैंने उससे पूछ लिया कि..,फिर सरिता का क्या हुआ…. ” तो वह कहने लगा ” बस उसकी भी शादी हो गई मैं हर वर्ष उससे और उसकी बहन से राखी बंधवाने जाता हूं और रक्षाबंधन का नाता निभाता हूँ ” तब मैंने कहा ” हां यार वो गुनगुनाती हुई तेरी जिंदगी में आई और छम छम करती किसी और के साथ चली गई तू फूल लेकर खड़ा रहा और वह राखी बांध कर चली गई…. ” कोई बात नहीं यार कभी कभी ऐसा हो जाता है ” तब राकेश ने बताया कि ” मेरी पत्नी बहुत सुंदर है और वह सरिता की ननंद है…… “
मौलिक एन स्वरचित
रणजीत सिंह भाटिया
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