दिखावे की जिंदगी – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

लड़की प्लेट में दशहरी आम के लम्बे लम्बे पीस काटकर लाती है और प्लेट में दो चम्मच रख देती है। जैसे ही मनमीत की नजर उस प्लेट पर पड़ती है बो सोचने लगता है कि ये क्या ये तो नया ही तरीका है आम खाने का हमारे यहां तो पकड़कर चूस देते हैं जब तक उसका पूरा रस मुहँ में न भर जाए। अब क्या करूँ ?

चम्मच के साथ आम?  ये कैसे खाऊंगा ये तो बेइज्जती वाला काम हो जाएगा। अब वो इधर उधर बगले झांकने लगता है वो सोचता है कि काश शुरुआत उसका होने वाला ससुर अपनी प्लेट से कर दे

ताकि उसे देखकर वो भी कोशिश कर सके खाने की मगर यहां तो उल्टा था उसके होने वाले ससुर ने प्लेट थोड़ी और उसके आगे खिसका दी और बोला बेटा लो लो लेते क्यों नही। हमारा इंतज़ार मत करो बेटा हम तो मेहमान को खिलाकर ही खाएंगे।

मनमीत गांव का एक लड़का ऊंचा लम्बा कद देखने मे भी काफी स्मार्ट था एक अलग सी पर्सनैलिटी फॉर्मल कपड़ो में किसी बैंक मैनेजर की तरह लगता था हालांकि बारहवीं ही पास था मगर उसे देखकर कोई कह नही सकता था कि वो बारहवीं पास एक फैक्टरी में काम करने वाला होगा। उम्र तीस के आसपास हो गई थी

अब नौकरी नही तो छोकरी नही बेचारा यहां भी लड़की देखने जाता नौकरी न होने की बजह से हर जगह मना हो जाता। गांव के लोगो ने भी कई जगह बात चलाई मगर हर जगह परिणाम वो ही होता।

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मनमीत ने सोचा कि अब ऐसे बात नही बनेगी क्यों न शहर जाकर किसी औधोगिक क्षेत्र में नौकरी करूँ और अब तो तिजुर्ब भी हो गया है फिर गांव वालों को बता दूंगा की मैनेजर बन गया हूँ तो रिश्ता भी हो जाएगा। काफी सोच बिचार करके वो एक औधोगिक क्षेत्र में चला जाता है वहां एक फैक्टरी में उसे नौकरी भी मिल जाती है।

एक दिन सुबह चाय की टपरी पर एक रस हाथ मे पकड़कर चाय पी रहा था अचानक बेंच पर पड़ी अखबार पर उसकी नजर गई। लिखा था सुंदर सुशील कन्या ,बर्तमान में प्राइवेट स्कूल में अध्यापक हेतु योग्य वर की तलाश है। जाति का बन्धन नही बस लड़का किसी प्रकार का नशा न करता हो।

नीचे एक नम्बर दिया था और लिखा था किर्पया इस नम्बर पे सम्पर्क करें। मनमीत के दिमाग मे आया कि क्यों न कोशिश की जाए बैसे भी इतनी बार रिजेक्ट हो चुका हूं

एक बार और हो जाऊंगा तो कौन सा किसी को पता चलेगा। मनमीत वो नम्बर नोट कर लेता है और शाम को ड्यूटी के बात फ़ोन लगाता है। सामने से हेलो की आवाज आती है मनमीत नमस्ते जी आप कुल्लू(हिमाचल का एक जिला) से बोल रहे हो? आगे लड़की बोलती है “जी” आप कौन? 

मनमीत.. जी मैं मनमीत बोल रहा हूँ दरअसल आपका नंबर अखवार में दिया था रिश्ते के लिए तो उसी सिलसिले में फ़ोन किया था।

लड़की… जी वो पापा रात को आठ बजे के बाद आएंगे आप मुझे अपना नम्बर लिखवा दो मैं उन्हें दे दूंगी वो खुद ही फ़ोन कर लेंगे।

मनमीत.. जी लिख लीजिए अगर आप भूल गए तो मैं आठ बजे के बाद फ़ोन कर सकता हूं?

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लड़की.. नही भूलेंगे । भूल गए तो कर लेना। बाय

मनमीत.. जी बाय धन्यवाद

शाम को आठ बजकर बीस मिनेट का टाइम हो गया मनमीत बेसब्री से फ़ोन का इंतज़ार कर रहा था। और अचानक घण्टी बजी मनमीत ने थोड़ा रुककर फ़ोन उठाया नमस्ते की

सामने से लड़की के पापा ने हाल पूछा बातचीत शुरू हुई मनमीत हर बात में जी जी करके बड़े आदरपूर्वक बोल रहा था लड़की के पापा को उसके बात करने का तरीका इतना अच्छा लगा कि उसने उसे कहा बेटा आप हमारे घर आओ आराम से बैठकर सारी बात करेंगे अब फ़ोन पे क्या ही बात करे।

मनमीत समझ गया था कि पापा इम्प्रेस हैं बस बेटी को इम्प्रेस करना है। मनमीत ने कहा ठीक है जी आज ब्रहस्पति है रविवार को मेरी छुट्टी होगी शनिबार रात को मैं बस ले लूंगा सुबह पहुंच जाऊंगा। क्योंकि लम्बा रास्ता था।

मनमीत अगले ही दिन जाकर बाजार से एक चमकदार काली पेंट सफेद शर्ट लैदर के जूते और परफ्यूम बगैरह खरीदकर लाता है। शनिबार शाम को नाई के पास जाकर बढ़िया से फेस मसाज डेंटिंग पेंटिंग करवाकर बस पकड़ लेता है वो एक दम स्टाइलिश लुक में था किसी मॉडल की तरह। हालांकि चश्मा उसने सामने वाली जेब मे डाल रखा था

साथ मे एक चमकदार कैप वाला पेन उसकी पर्सनालिटी पे चार चांद लगा रहा था। सुबह छः बजे के आसपास वो कुल्लू बस अड्डे पे पहुंचने वाला था। उसके पहुंचने से पहले उसका होने वाला ससुर पहुंचकर उसका इंतजार कर रहा था। जैसे ही वो उतरा उसने फ़ोन किया तो उसके ससुर ने पूछा कि कहां खड़े हो उसने कहा

कि बस अड्डे के सामने सरदार ढावा है उसके आगे खड़ा हूँ काली पेंट सफेद शर्ट में । ससुर तो सामने ही खड़ा था उसने हाथ हिलाया मनमीत ने जाकर उसके पैर छुए हाल चाल हुआ तो साथ मे फॉर्च्यूनर गाड़ी की तरफ इशारा करके बैठने को कहा मनमीत गाड़ी की तरफ देखते ही समझ गया कि ये कोई बड़ी पार्टी है।

अब उसे दिखावा ज्यादा करना था उसने सोचा अगर यहीं फैक्टरी का नाम लिया तो ये यहीं से भगा देगा अब इतना किराया खर्च करके आया हूँ कम से कम रोटी तो इनके घर खाकर चलूं। गाड़ी में बैठकर दोनों घर जाते हैं घर मे सास, दादी सास के पांव छूकर अंदर एक कमरे में बैठ जाते हैं।

मनमीत अब दिखावा करने लगता है दरअसल को एक्चुअली, नही को नो नो, हाँ को या या, नाश्ते को ब्रेकफास्ट जैसे शव्दों का प्रयोग करके वो खुद को पढ़ा लिखा दिखाने की कोशिश करने लगता है। वो उन्हें बताता है कि उसने एम कॉम के बाद पॉलीटेक्निकल चंडीगढ़ से इंजीनियरिंग की है

हालांकि न तो उसे एम कॉम का पता था न पॉलीटेक्निक का उसने सिर्फ ये शव्द सुने हुए थे। उसने थोड़ा बड़ा चढ़ाकर खुद को कम्पनी में प्रोडक्शन मैनेजर बताया और बोला कि मेरी सैलेरी फिलहाल अस्सी के आसपास है मगर जल्दी ही बढ़ जाएगी। मैं पहले अपनी गाड़ी से आने वाला था मगर रास्ता लंबा है

तो अकेले मुश्किल हो जाता। अभी मैंने कनाडा के लिए अप्लाई किया था बहां से वीज़ा आ गया है अगले महीने ही फ्लाइट है अगर सबकुछ ठीक रहा तो पांच से दस लाख महीना कमाऊंगा और फिर फैमिली को भी बहीं ले जाऊंगा। ऐसे ही कई ढींगे हांकता रहा।

अब लड़की आती है जैसे कि आपको बताया आम उसके आगे हैं मगर खाए कैसे तो उसने झट से रुमाल निकालते हुए खांसने का ड्रामा किया और बोला आम नो नो नो एक्चुअली आई एम नॉट फीलिंग वेल दो दिन से थोड़ी खांसी है डॉक्टर ने कहा है कि आम नही खाना, आम को छोड़कर कुछ भी खा सकता हूँ

मगर आम नही। थोड़ा जोर लगाया खिलाने को तो उसकी खांसी और बढ़ गई और आखिर में आम उठाकर एप्पल काटकर दे दिए गए एक टूथ स्टिक के साथ। खाते खाते बात होने लगी लड़की के पिता ने बात शुरू की और कहा बेटा आपका स्वभाव आपका बात करने का तरीका बिल्कुल बैसा है जैसा दामाद हम चाहते थे

मगर बात ऐसे है कि हमारा बड़ा दामाद और बेटी दोनों अमेरिका में रहते हैं उनको देखे हुए सालोँ साल गुजर जाते हैं हम नही चाहते कि हमारी दूसरी बेटी को भी देखने को हम तरस जाएं हम चाहते थे कि कोई गरीब घर का लड़का हमे मिल जाए चाहे किसी फैक्टरी में ही काम क्यों न करता हो काम नही भी करता हो

तो हमारे पास रह ले हमारा कोई बेटा नही दो बेटियां ही हैं हम तो घर जवाई बनाकर उसे यहीं रख लेते और वो कहता तो सामने लाइन में हमारी आठ दुकाने हैं जिसमे दो खाली हैं वो कोई भी बिजनेस करता हम करवा देते।

अब मनमीत के पैरों तले से जमीन निकल गई क्योंकि वो जो दिखावा कर रहा था वो उसे खुद पर ही भारी पड़ गया था लड़की की मां लड़की का पिता दादी सब बहुत खुश थे और तारीफ करते नही थक रहे थे मगर अब मनमीत ये नही कह सकता था कि उसने जो भी कहा वो झूठ कहा है क्योंकि अगर ऐसा कहता

तो घरवालों की नजर में वो एक फ्रॉड कहलाता औऱ रिश्ता तो दूर की बात है जो मटर पनीर और बासमती की खुशबू रसोई से आ रही थी उससे भी हाथ धो बैठता। खैर उसने जैसे कैसे लंच किया और अंदर ही अंदर खुद को कोसते हुए सबसे आशीर्वाद लेकर बाहर निकल आया। 

अभी भी वो बार बार मुड़कर देख रहा था कि कोई उसे रोक ले और ये कहदे की बेटा तुम बाहर जाने का प्लान कैंसिल कर दो हम रिश्ते के लिए तैयार हैं मगर ऐसा नही हुआ।

उसका दिखावा उसपर बहुत भारी पड़ गया था न सिर्फ एक अच्छी लड़की बल्कि एक अच्छा परिवार उसे मिलते मिलते रह गया। उस दिन के बाद उसने कसम खा ली कि जो हूँ वो ही बताऊंगा कोई ढींग नहीं मारूँगा उसके बाद भी उसने कई रिश्ते देखे ऐसे ही अखवार से पढ़कर अगर आप चाहते हैं अगला अंक तो कमेंट करें प्लीज ।

         अमित रत्ता

     अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश

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