“आँखों में खटकना” – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

मीरा जी बहुत खुश थी , छोटी बहु राधा , के घर मे आने से । पूरे घर में

 चहल पहल थी । जो भी , रिश्तेदार

, पड़ोसी ,बहु को देखने , आते सबसे बहु राधा की तारीफ करते नही थक रही थी। और तो औऱ बातो बातो में, अपनी आदत से लाचार मीरा जी बोल ही देती , की हमारी छोटी बहु राधा ,बड़ी बहु से बहुत ज्यादा सुंदर है, औऱ तो औऱ ज्यादा दहेज भी ले के आयी है। बड़ी बहु उनकी ये बाते सुन पहले,

दो चार दिन तो कुछ नही बोली, लेकिन फिर कुछ दिन बाद, अपने पति,के पास आके रोने लगी और बोली ,मैं तो पांच साल पहले आयी थी इस घर में , तब से आज तक माँ जी की सेवा की है, कभी कोई शिकायत का मौका नही दिया।लेकिन , छोटी बहु के आते ही मैं, माँ जी की “आखों में खटकने लगी ‘

।राधा ने अपनी जेठानी की बाते सुन लिया । और दरवाजा खोल के अंदर चली गयी । बोली जेठानी जी आप बिल्कुल सही कह रही है आप रोये नही, मैं माँ जी से बात करती हूं। बड़ी बहु डर गई,बोला नही राधा तुम कुछ नही बोलना, कही  मेरे कारण घर मे क्लेश ना हो जाये। नही जेठानी जी ,ऐसा कुछ नही होगा। आप बस शांत रहे। 

तभी राधा के मम्मी पापा राधा से मिलने आ गए । मीरा जी तुरंत बड़ी बहु ,बड़ी बहु, आवाज लगाने लगी । जल्दी आओ देखो राधा के मम्मी पापा आए है ।उनके कुछ खाने पीने के लिए  ले आओ। राधा के मम्मी ने बोला , नही नही मीरा जी ,हमलोग बेटी के घर का पानी भी नही पीते। बस इधर से जा रहे थे ,

तो  सोचा राधा से मिलते जाए। मीरा जी ने बोला,  बहुत अच्छा किया , राधा आपकी बेटी बहुत अच्छी है मेरे तो भाग्य जाग गये ऐसी सुंदर बहु पा के । जैसे ही मीरा जी ने बोला मेरी बड़ी बहु

,राधा जितनी सुंदर नही है, तुरंत राधा ने बोला, मम्मी जी आप बड़ी भाभी की कोई भी बुराई ना करे । मुझे बिल्कुल पसन्द नही है । राधा के मुँह से ऐसा जबाब सुन मीरा जी की बोलती बंद हो गयी । धीरे से उठ मीरा जी अपने कमरे में चली गयी । 

जब राधा के मम्मी पापा चले गए । तो बड़ी बहु ने राधा से बोला तुमको मम्मी जी से ऐसे नही बात करना चाहिए। राधा ने बोला नही भाभी, मैं आपके जैसी नही हूं , हमारा रिश्ता जिंदगी भर का है, आप के व्यवहार ,में  चिड़चिड़ापन , औऱ नफरत दिख रहा था मुझे। आपकी ये नफरत , पूरे परिवार का माहौल खराब कर देती ।इस लिए मैंने माँ जी को रोका।भाभी,

“कभी कभी गलत बातो 

पर रोकना बहुत जरूरी होता है , आपस मे मतभेद बढ़ते जाए ,इससे पहले बोल देना ही ठीक होता है ।मैंने बिल्कुल सही किया है,इतना बोल, राधा अपने कमरे मे चली गयी ।मीरा जी ने सोचा , सही समय पर राधा ने हमको टोक दिया । नही तो मैं अपने दोनों बहुओ के “आँखों में खटकने लगती “।

मीरा जी ने मन ही मन  निर्णय किया  अब मै भी अपने परिवार की खुशी के लिए अपनी आदत  में बदलाव लाऊंगी।

रंजीता पाण्डेय

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