रुचि क्या कर रही हो?मेरे पास आओ , रामरती जी ने बोला , रुचि आ गयी और बोली क्या हुआ माँ जी, ? दो दिन बाद तुम्हारी छोटी चाची (मोना) जी आ रही है, रुचि ने बोला मुझे पता है , माँ जी ।रामरती जी ने बोला , थोडा चुप रहेगी , पहले मेरी पूरी बात सुन , बहुत बोलती है तू, , रुचि मुस्कुराते हुए बोली , बोलिये ,तेरी चाची जी अमेरिका में रहती है ,
उनका रहने का ढंग, खाने पीने का तरीका हम लोगो से बहुत अलग है। समझी ,इस लिए , तुम उसने कमरे की सफाई अच्छे से कर देना, औऱ हा होली पे जो नई चादर लाई थी ,वो ही बिछाना, उनके कमरे के बाथरूम की सफाई भी कर लेना, अपने बच्चों को समझा देना , की छोटी दादी से ठीक से बात करेंगे। रुचि ने बोला मैं सब कुछ कर लुंगी बस आप आराम से रहिये।
रुचि ने चाची जी के आने की पूरी तैयारी कर लिया । पूरे घर को चमका दिया । बच्चों को भी नहला धुला कर ,तैयार कर के दादी के कमरे में भेज दिया था । रामरती जी अपने नाती पोते को देख बहुत खुश हुई बोली आज तो तुम लोग बहुत सुंदर लग रहे हो। आओ मेरे पास बैठो । औऱ हा देखो छोटी दादी आ रही है तुम्हारी।
उनके सामने अच्छे से रहना, बदमाशी नही करना। ठीक है दादी । तभी गेट खुलने की आवाज आई । रुचि आहट मिलते ही भाग के गयी देखा चाची जी थी ,आगे बढ़ के उनका बैग उनके हाथ से ले लिया औऱ , उनके पैर छुये। चाची जी ने बोला गॉड ब्लेस यु , रुचि को थोड़ा, हसी आयी ,लेकिन थैंक्स चाची जी बोल अंदर ले के गयी ।
रामरती जी बहुत खुश थी , की उनकी देवरानी आयी है , पूरे तीन सालों बाद। तुरंत गले लगा लिया। बोला बैठो , कैसी हो? मनोज (देवर) बाबू कैसे है, वो भी आते तो अच्छा रहता, बहुत देखने का मन था। मोना ने बोला हम सब लोग ठीक है,मनोज को टाइम नही मिलता , इस लिये नही आये है। मैं भी कहा आ पाती , मेरी छोटी बहन के बेटी की शादी थी , इस लिए इंडिया आयी हूँ ,सोचा आप ,लोगो से भी मिल लेती हूँ।
रामरती जी के आखो में आंसू आ गए , की मोना को हम लोगो से मिलने की कोई खुशी नही है। रामरती जी ने जैसे ही अपने बहु को चाय नास्ता लाते देखा, अपने साड़ी के पल्लू से अपने आंसू छुपाती हुई बोली , रुचि लाओ लाओ , चाय अदरक वाली है ना? मोना को अदरक वाली ही चाय पसंद है। रुचि ने बोला जी माँ जी सब कुछ चाची जी के पसंद का ही बना है ।तुरंत मोना ने बोला , नही बस पानी दे दो , औऱ कुछ नही चाहिए ।
रामरती जी ने बोला अरे ऐसा क्यों बोल रही हो? खाना भी बना है, पूड़ी पुलाव मटर पनीर , खीर , सब कुछ बना है, खा के जाना है तुमको । मोना ने तुरंत बोला नही , नही मैं डाइटिंग पे हू भाभी , मैं ये सब कुछ नही खा सकती । रुचि ने बोला ठीक है चाची जी जैसा आपको ठीक लगे। मोना थोड़ी देर बस रूकी , और कैब बुलाकर अपने बहन के घर चली गयी।
रामरती जी की सारी खुशी गायब हो गयी थी । रुचि को भी बहुत बुरा लगा चाची जी व्यवहार।
चार दिन बाद मोना ने रुचि को फ़ोन किया , की रुचि मैं तुम्हारे घर आ रही हूं। मेरी तवियत ठीक नही है , शादी व्याह में उल्टा सीधा खा लिया , है, इस लिये तवियत खराब हो गयी है रुचि ने गुस्से में बोला आप का घर है , चाची जी आप जब चाहे तब आइए।
रामरती जी को पता चला मोना , आ रही है, फिर भी रुचि से कुछ नही बोली । मोना आ गईं सीधे रामरती जी के कमरे मे गई। रामरती जी ने बोला जाओ मोना अपने कमरे मे जाओ, जो चाहिए होगा बता देना। वही भेजवा दूंगी। मोना कुछ बोली नही कमरे मे चली । गयी ।
रुचि पानी ले के गयी तो,देखा
, बहुत ज्यादा बुखार था। उसने आ के माँ जी को बताया , फिर क्या था। रामरती जी ने तुरंत
डॉक्टर को बुलाया । डॉक्टर ने बोला , फ़ूड पॉयजनिंग हो गया है, दवा दे देता हूँ , दो चार दिन में ठीक हो जाएगा। रुचि औऱ रामरती जी ने दिन रात सेवा की मोना की। मोना ठीक हो गयी। दो दिन बाद अमेरिका जाने का टिकट था मोना का। मोना ,कमरे में बैठ चारो तरफ देखने लगी,सब कुछ उसकी पसंद का था।
कितना सुंदर उसका कमरा सजा था। मोना रुचि के पास गई । और बोली , सॉरी रुचि , मुझे माफ कर दो।,जोर जोर से रोने लगी। रामरती जी रोना सुन भाग के आयी । मोना बस सॉरी सॉरी बोले जा रही थी। रामरती जी ने मोना को गले लगा लिया । तभी रुचि ने बोला चाची जी अदरक वाली चाय पिये क्या ? मोना ने बोला हा ,हा बिल्कुल।सब हँसने लगे।
मोना की ” एक माफ़ी ने बिगड़ने से पहले रिश्ते सुधार लिया।
मोना फ्लाइट में बैठे सोच रही थी, की कोई अमेरिका रहे या लंदन,कितना भी दूर रहे अपने परिवार से ।लेकिन,दिलो में दूरियां नही होनी चाहिये। बुरे वक्त में परिवार ही साथ देता है । मोना माफ़ी मांग ,के बहुत खुश थी ।
रंजीता पाण्डेय