सौम्या कारपोरेट सेक्टर में काम करती है ।बहुत ही प्रतिभाशाली है। एक वर्ष पूर्व ही उसने अपने साथी नीरज से शादी की है ,और अपनी नई गृहस्थी का आनंद ले रही है ।उसी के ऑफिस में प्रमोशन लेकर राहुल आए हैं। राहुल ने सौम्या की प्रतिभा को पहचान कर उसे अपने प्रोजेक्ट में लिया है …दोनों मिलकर काम करते हैं.. हंसते हैं… खिलखिलाते हैं ..साथ में काफी पीते हैं… प्रोजेक्ट में काम करते-करते कभी रात भी हो जाती है। सौम्या की सहेली अनुरा दोनों की नज़दीकियों को देख रही है.. महसूस कर रही है.. समझ रही है… अनुरा ने महसूस किया प्रोजेक्ट के बहाने दोनों एक दूसरे के काफी नजदीक आ गए हैं। एक दूसरे के बिना ऑफिस में एक पल भी नहीं चल रहा है… अनुरा को समझ में नहीं आ रहा अपनी सहेली को कैसे समझाएं? ऑफिस में ही एक दिन काफी टाइम पर वह उसे अपने साथ लेकर प्यार से समझाने लगी “मेरी प्यारी सखी ,मुझे पता है तुम और राहुल मिलकर एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हो… और इसी बहाने हर पल साथ रहते हो… पर शायद तुम इस बात को भूल गई थी एक साल पहले ही तुम्हारी शादी हुई है। तुमने नीरज को अपना जीवन साथी बनाया है… तुम्हारी नई नई गृहस्थी अभी अभी चलना सीख ही रही है और तुम राहुल के साथ इस नई दौड़ में शामिल हो गई … हो….।
माना हम बहुत आधुनिक हो गए हैं… लेकिन फिर भी शादी.. परिवार.. घर आज भी बहुत मायने रखते हैं। ऐसे रिश्ते जिन्हें हम कोई नाम नहीं दे सकते… उन्हें अंधे रिश्ते कहते हैं.. और मुझे भी तुम्हारे इस रिश्ते का कोई नाम नहीं दिखाई दे रहा ।मेरी बात का आशय तुम समझ गई होगी… मैं तुम्हारी सहेली हूं और इस नाते मेरा कर्तव्य बनता है कि मैं तुम्हें पथ भ्रष्ट होने से बचाऊं … क्योंकि ऐसे रिश्तो की परिणिति मात्र पतन के रूप में होती है। अपनी सहेली की बातों को सौम्या ध्यान से सुन रही थी.. मन ही मन समझ भी रही थी कि सचमुच इन अंधे रिश्तो का जाल बहुत उलझा हुआ रहता है.. और इस में उलझ कर जीवन बहुत कठिन हो जाता है। उसने मन ही मन संकल्प लिया कि वह अपने आप को इससे बचाएगी… उसने मन ही मन निर्णय कर लिया और अपने बॉस कहा कि मुझे प्रोजेक्ट पर राहुल के साथ काम नहीं करना है… मुझे दूसरा काम दे दीजिए। अनुरा मन ही मन मुस्कुरा रही थी और और इस बात का सुकून महसूस कर रही थी थी उसने एक शादी को बचाने में अपनी भूमिका अदा की।
सुधा जैन
मौलिक रचना