वरदान – सिम्मी नाथ : Moral Stories in Hindi

आज   सुहानी के शादी के कार्ड को देखकर विश्वास नहीं हो रहा था , आँखें छलक आईं ,  सुहानी वेड्स अभिलेख ……

आख़िर सात वर्ष के बाद सुहानी ने  शादी के लिए हामी भर दी थी ।  सुहानी  का नाम याद आते ही  उसकी पिछली जिंदगी  किसी चलचित्र की  भांति घूमने लगी ।  वो मुझे बी.एड कॉलेज में पहली बार मिली थी , हम दोनों के विषय एक ही थे , इसलिए जल्दी ही अच्छी मित्रता हो गई थी , उसने बताया था कि वो अभी पार्ट टाइम जॉब करती है , साथ – साथ बी एड भी कर रही थी, पापा रिटायर अकाउंट ऑफिसर थे ।

हम सभी की फाइनल इयर की परीक्षा होने वाली थी , सभी अपने  असाइनमेंट की तैयारी में थी , सुहानी मुझे एक दिन अकेले बुलाकर बोली देखिए कल मेरी सगाई हो गई , मैं बहुत खुश हुई , परीक्षा होते ही शादी थी । आप जरूर आइएगा दी ,न जाने सुहानी कब से दीदी बुलाने लगी थी ।

सुहानी उसके बाद से कॉलेज नहीं आई , एक दिन उसका भाई अमन मुझे मेरी बस स्टॉप पर मेरी इतिहास की किताबें और कुछ नोट्स देने आया , मैने सुहानी की पढ़ाई के बारे में पूछा तो वो  रोने लगा  , दीदी क्या बताऊं ,   सुहानी दीदी ने शादी से मना कर दिया ।

  दस  दिन   पहले पापा ने सीने में दर्द की शिकायत की ,उन्हें  मेडिका अस्पताल में भर्ती कराया गया,   एक सप्ताह पहले ही वे नहीं रहे ।  सुहानी  ने माँ की हालत देखकर बड़ा ही कठोर कदम उठाया था ,  उसने सौरभ जिस लड़के से उसकी सगाई हुई थी, उस लड़के से एक महीने बाद अपनी छोटी बहन माही की शादी करवा दी ।

उसने अपनी माँ और अमन को संभाला । पुरानी बातें भूलकर आगे बढ़ने लगी , उसने अपनी सारी जिम्मेवारी को बखूबी निभाया , उसने बी एड की परीक्षा तो नहीं दी ,किंतु उसकी नौकरी बैंक में हो गई ।

इस कहानी को भी पढ़ें:

दूजबर से स्नेह का बंधन – ‘ऋतु यादव’ : Moral Stories in Hindi

माही भी इन सात सालों में काफी तरक्की कर ली ,  अयान और  अनमोल दो प्यारे बच्चों की मम्मी बन गई है।

मम्मी अपनी बेटी पर नाज़ करती थीं,किंतु उन्हें उसके भविष्य की चिंता सताती थी ,  एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में  अभिलेख बैंक से लोन लेने के लिए सुहानी से मिला था।

उसने अपने घर वालों से ये बात बताई ,वो फिलहाल एन जी ओ में मैनेजर के पद पर कार्यरत है।

सुहानी से मेरी बहुत कम बातें होती थीं, लेकिन अचानक उसने मुझे कॉल किया और अपनी शादी की बात बताई , मैंने पूछा सगाई हो गई ?? उसने कहा नहीं दी ,मम्मी सगाई की बात सुनकर रोने लगीं,उन्होंने कहा,सगाई नहीं शादी ही करेंगे , सादगी से, आप जरूर आइएगा दी ।

कार्ड  अमन देने जाएगा , आज उसके कार्ड को देखकर मैं सोचने लगी ,  इसने  अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए अपनी खुशियों का त्याग कर दिया ,ईश्वर ऐसी बेटी सबको दें ,  अपनी खुशियों को तिलांजलि देकर सुहानी ने  भाई बहन के स्नेह को सर्वोपरि रखा। ऐसी बिटिया वरदान हैं । अमन ने कहा — कहां खो गई दी  अब मैं चलता हूँ, जरूर आइएगा ।

 

सिम्मी नाथ, स्वरचित

# स्नेह का बंधन

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!