मै 6 वर्ष का था। पिताजी का एक दुर्घटना में देहांत हो गया था 6 महीने पहले।
परिवार में पैसे की कोई कमी नहीं थी। मां एक स्कूल में अध्यापिका थी। उन्हीं की स्कूल में एक मेरे उम्र की छोटी बच्ची पढ़ती थीं। रोज शाम उसे स्कूल से लेने उसके मम्मी पापा दुपहिया लेके आते थे। उस दिन स्कूल के बाहर ही की ट्रक ने उन्हें उड़ा दिया। दोनों की दर्दनाक मौत हो गई। मेरी मां ने सब अपने सामने ये दुर्घटना होते हुए देखी। वो बच्ची भी वहीं खड़ी थी। वो ये सब देख बेहोश हो गई। अक्सर जब भी वो बच्ची को लेने या छोड़ने आते तो मां से उनकी बात चित होती रहती।
अब बच्ची का इस दुनिया में कोई नहीं था। ये बात मां को उन्होंने ही बताई थी कि वो तीन जन ही परिवार में रहते है।
मां को समझ में नहीं आ रहा था क्या करे। पता नहीं क्या सोच के मां उस बच्ची को अपने साथ हमारे घर ले आई। और मुझसे उस समय कहा कि ये तेरी बहन है।
मै भी छोटा था उस समय मां की बात को मान लिया और हम दोनों साथ में खेलते खेलते बड़े हो गए पता ही नहीं चला।
आज मेरी बहन डॉक्टर बन गई थी। उसको आज डिग्री मिल रही थी। तो हम सब कॉलेज गए थे।
कॉलेज में जैसे ही समारोह पूर्ण हुआ। तो मैने आइसक्रीम की पेशकश रखी अक्सर हम एक जगह आइस खाने वहां जाते थे।
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आज सबने दो दो आइस खाई। और घर आ गए। सब बहुत खुश थे।
बहन को एक अच्छे अस्पताल में काम मिल गया। और मेरी भी इंजीनियरिंग पूरी हो गई थी और एक अच्छी कंस्ट्रक्शन कंपनी में नौकरी लग गई थी। अक्सर में जब भी ऑफिस जाता तो बहन को अस्पताल छोड़ते हुए जाता था।
अक्सर जब भी बहन को अस्पताल छोड़ता उस वक्त उसकी एक सहेली जो डॉक्टर थी वो मिल जाती।
धीरे धीरे कब पता नहीं हमारी दोस्ती हुई और फिर प्यार में बदल गई। मां को भी लड़की पसंद थी तो कुछ दिनों में हमारी शादी भी हो गई।
सब कुछ अच्छा चल रहा था। मै अक्सर बहन से कहता रहता तुम भी अगर कोई लड़का पसंद हो तो बताओ तुम्हारी भी शादी कर देते है फिर कही साथ में सब छुटियां मनाने चलते है। बहुत साल हो गए कहीं बाहर गए हुए। मां को भी साथ ले लेते है मां अक्सर कहती रहती है उसे स्विटजरलैंड जाने की बहुत इच्छा थी। और अगर कोई पसंद नहीं है
तो मेरा एक दोस्त है जो बहुत बड़ा व्यापारी है। उससे तेरे रिश्ते की बात करता हूं। वो शर्मा जाती थी। मुझे मेरी बहन से इतना स्नेह था कि में उसके बगैर कुछ कल्पना भी नहीं कर सकता था। उसने कई बार मुझे मुश्किलों से बचाया था। बढ़ती उम्र के साथ मुझे कुछ गलत आदतें भी लग गई थी उस समय बहन ने मेरा पूरा साथ दिया और मुझे उस दलदल से बाहर निकाला था। में आज जो भी हूं मां से ज्यादा बहन की वजह से हूं। बहन से ज्यादा वो मेरी दोस्त है।
एक दिन अपने दोस्त को घर ले आया मां और पत्नी दोनों को उससे मिलवाया दोनों को बहुत अच्छा लगा मेरा दोस्त। मैने पूछा बहन कहां है तो मां ने कहा उसकी तबियत थोड़ी ठीक नहीं लग रही थी तो वो अस्पताल में ही रुक गई है।
मुझे कुछ अजीब सा लगा अस्पताल में क्यों रुक गई वो तो खुद एक डॉक्टर है मेरी पत्नी भी डॉक्टर है। मैने पत्नी से पूछा क्या हुआ उसे और ड्यूटी से आते वक्त उसे साथ क्यों नहीं ले आई।
तो पत्नी ने बताया उसे थोड़ी बैचेनी हो रही थी तो मैने ही उसे अस्पताल में रुकने को कहा। मै और मम्मीजी अभी उसके लिए खाना लेके जा ही रहे थे कि तुम अपने दोस्त को ले आए।
फिर हम सब मिल जल्दी से अस्पताल की और निकले।
वहां पहुंचते ही मैंने उसे डांटा कि मुझे बताया क्यों नहीं।
उसने कहा तुम नाहक ही परेशान होते।
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उसकी बाते सुन मेरे नैन भीग गए। तो वो मुझे छेड़ने लगी । अरे अरे मेरे वीरा ये नैन क्यों भर आए मैं क्या तुझे छोड़ के थोड़ी जा रही हूं।
मैने उसके मुंह को बंद करते हुए कहा फिर कभी ऐसी बात मत करना। देख मैं तेरे लिए लड़का ले आया हूं बोल बोल पसंद आया के नहीं देख वो बाहर कांच के पीछे से तुझे ही देख रहा है।
पता नहीं बहन ने एकदम से हां कह दिया जैसे वो उसे पहले जानती हो। मैने इशारे से उसे अंदर बुला लिया। उसे भी देखते ही मेरी बहन पसंद आ गई।
मैने दोस्त से कह दिया शादी के बाद वो हमारे साथ हमारे घर पर ही रहेगा घर जमाई बन के। और सब ठहाके लगा के हंस दिए।
मैने दोस्त से कहा तुम आपस में बात करो में बाहर इसकी रिपोर्ट देखता हूं।
बहन और मेरा दोस्त आपस में बात करने लगे और हंसने लगे उन्हें इस तरह हंसते देख मुझे खूब आनंद आ रहा था मां भी खड़ी खड़ी हंस रही थी।
मां को खुश देख मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
बहन ने दोस्त को बताया कि उसे लास्ट स्टेज का कैंसर है । भाई को मत बताना मैं बाद में बता दूंगी वो अभी बहुत खुश हैं।
तभी वो रिपोर्ट लेके अंदर आ गया। देखा तो दोनों की आंखों में आंसू थे। मैने दोस्त से पूछा इतना भावुक कैसे हो गया क्या मेरी बहन को पहले जानता है।
दोनों हंसने लगे न जाने कुछ होते हुए भी मुझे कुछ समझ में नहीं आया।
मैने बहन को रिपोर्ट दी और कहा डॉक्टर से पूछा तो उसने कहा तुम्हारी बहन को पता है उससे ही पूछ लो। मुझे इस रिपोर्ट में कुछ समझ में नहीं आ रहा।
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मेरी पत्नी भी एकदम भावुक हो गई। उन सबकी आंखों की नमी देख मुझे भी रोना आ रहा था मैंने कभी बहन को इस रूप में नहीं देखा था।
मैंने कहा चलो अब सब घर चलते हैं वहीं सब बातें करेंगे आज पूरी रात कोई नहीं सोएगा।
तभी डॉक्टर साब कमरे में आए और उन्होंने कहा अपने भाई को सब बताया या नहीं। तुम्हे जल्दी दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करना पड़ेगा।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या हो रहा है। मैने डाक्टर साब से पूछा क्या बात है और कौनसी हॉस्पिटल में शिफ्ट करना पड़ेगा।
तो उन्होंने कहा कैंसर केयर हॉस्पिटल में। मेरे तो पैर के नीचे से जमीन खिसक गई। ऐसा कैसे हो सकता है।
डाक्टर ने कहा ये अब ज्यादा दिन की मेहमान नहीं है। अगर कोई चमत्कार हो जाए तो अलग बात है। बाकी ज्यादा से ज्यादा 6 महीने।
जो बहन 6 वर्ष की उम्र से मेरे साथ है वो अब सिर्फ 6 महीने मेरे साथ। मेरा दिल मानने को तैयार नहीं था मैने डाक्टर साब से कहा ये कल तक तो ठीक थी अभी भी मुझे तो ठीक ही लग रही है।
आप जरा चेक करिए ये किसी दूसरे की रिपोर्ट ले आए हैं आप,
फिर से चेक करिए चाहे तो फिर से सारे टेस्ट करिए मैं बहन के चेहरे को देख कर कह रहा था देखो इसे कहां दिख रहा आपको इसको कैंसर है।
बहन ने मुझे गले लगाते हुए कहा पगले मुझे कुछ नहीं होगा। अभी तो मेरी शादी होगी तुम मेरी शादी में खूब नाचोगे। देखना मुझे कुछ नहीं होगा और वो मुस्कुराने लगी। पर न जाने क्यों मेरा दिल बैठा जा रहा था।
पर मैने ठान लिया चाहे कुछ भी हो जाए में मेरी बहन को कुछ नहीं होने दूंगा। मां को देखा और में जोर जोर से रोने लगा और चिल्लाने लगा मैं बहन को कुछ नहीं होने दूंगा।
मां और पत्नी ने मुझे विश्वास दिलाया कि वो ठीक हो जाएगी।
हमने उसे दूसरी अस्पताल में ले गए।
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15 दिन के बाद उसका चेहरा थोड़ा मुरझाने लगा। पर मुझे देखते ही खिलखिलाने लगती और चेहरे पे एक अजीब सी चमक आ जाती।
बहन से स्नेह का ऐसा बंधन था कि मुझे बचपन से अब तक की पूरी आपबीती और अतीत के सब पन्ने खुल गए आंखों में दिल में।
1 महीना बीता बहन अब थोड़ी थोड़ी कमजोर पड़ने लगी थी। अब वो खूब फरमाइश करने लगी थी मुझे आज यहां जाना है ये खाना है वो पहना है।
मेरा दोस्त भी अब अक्सर उससे मिलने आने लगा उसे भी उससे स्नेह हो गया था दिल ही दिल में चाहने लगा था। एक बहुत ही पवित्र प्रेम था उसका।
एक दिन बहन ने कहा मुझे तुम्हारे दोस्त के साथ फेरे लेने है शादी करनी है करवा दो प्लीज।
मैने दोस्त से बात की वो तो मान गया पर उसके परिवार को कैसे मनाए।
पर शायद उसके परिवार को भी इनकी प्रेम कहानी के बारे में पता था।
वो भी मान गए। शादी भी हो गई बड़ी धूम धाम से सब खूब नाचे और खूब रोए भी खुशी में।
जैसे ही फेरे हुए तो बहन ने एक और फरमाइश कर दी हम सबको स्विटजरलैंड चलना है।
डॉक्टर से सलाह ले कर स्विट्ज़रलैंड के डाक्टर से बात कर हम सब घूमने निकले।
मां अक्सर अकेले में रोती रहती, वैसे तो मां बहुत हिम्मती थी पर इस बार क्यों हिम्मत हार रही थी।
मुझे तब तक पता नहीं था कि वो मेरी सगी बहन नहीं है।
मां ने कहा बचपन में इसके माता पिता एक दुर्घटना में चले गए और ये भी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो गई। ऊपरवाले को दया नहीं आती क्या। मुझे ही अब हिम्मत रखनी पड़ेगी।
हम सब घूमने का आनंद ले रहे थे। उधर इसके शरीर ने धीरे धीरे जवाब देना शुरू कर दिया था।
अब मैं उससे दूर रहना ही नहीं चाहता था।
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स्विट्ज़रलैंड में ही एक रात अचानक उसकी तबियत अचानक ज्यादा बिगड़ गई पर उसके चेहरे पर जरा भी दर्द नहीं दिख रहा था और अब मैने भी हिम्मत रख कर बहन को हिम्मत दे रहा था मैं मेरा दोस्त और मेरी पत्नी मेरी मां सब उसको हिम्मत दे रहे थे। और वो हमसे कहती मैं अभी जाने वाली नहीं हूं।अब मुझे घर ले चलो, मुझे अब यहां नहीं रहना खूब घूम लिए अब चलो, दो दिन बाद के टिकट थे पर हमने टिकट चेंज करके आज शाम ही निकल लिए।
अब हम घर आ चुके थे।
वो खुश थी अपने घर आके ।
मै कुछ उदास सा था तो बहन ने मुझे हिम्मत बंधाई ।
मेरी पत्नी कुछ अस्वस्थ लग रही थी तो वो और मां डॉक्टर के पास चले गए । मुझे बड़ा अजीब लगता खुद डॉक्टर है और दूसरे डॉक्टर के पास जा रहे है।
बहन अब बिस्तर पे सोते सोते ही मुझसे कहने लगी तुमने आनंद पिक्चर देखी थी । कुछ कुछ वैसा ही नहीं लग रहा। भाई मेरा हाथ तुम्हारे हाथ में ले लो में कुछ देर तुमसे बाते करना चाहती हु। और अब वो सब पुरानी बातें याद दिलाने लगी। और मुझे अंदर ही अंदर रुलाने लगी। मैने खूब कोशिश की कि आंसू न आए पर रोक नहीं पाया वो कहने लगी तुम क्यों रो रहे हो मैं ऐसे थोड़े ही जाने वाली हूं…
बस ये उसके अंतिम शब्द थे , तभी मां और पत्नी भी आ गए और मां ने खुश खबरी दी में पिता बनने वाला हूं…
बहन के अंतिम शब्द जेहन में घूम गए, में ऐसे थोड़े ही जाने वाली हूं…..
जैसे वो कह रही थी मैं फिर आने वाली हूं……
ये बहन का स्नेह का बंधन था कि वो जाते जाते भी खुशियां दे गई….
राजेश इसरानी