ख्वाब – नीलिमा सिंघल

कोई खुली आँखों से सपने देखता है तो कोई सोते हुए सपने देखता है…….और मैंने शायद दोनों तरह के सपने देखे,,बहुत सपने देखे,,एक के बाद दूसरा,,दूसरे के बाद तीसरा,,,,तीसरे के बाद….बहुत लम्बी लिस्ट है हमारी,,पर कोई भी सपना पूरा नहीं हुआ माँ पापा ने कभी किसी ख्वाब को पर ही नहीं लगने दिए,,,,और ना ही कभी इतनी हिम्मत हुई कि घर की चारदीवारी से निकल कर अपने हक का आसमान ले सकूं,,,,

इतना कहकर चित्रा जी रुकी और सामने मेज पर रखा पानी का ग्लास उठाकर गला तर किया,,,या शायद ये कहना उचित होगा अपनी आँखों मे आयी नमी को छुपाने के लिए उन्होंने ये किया,,,

35 साल के मनोचिकित्सक डॉक्टर राहुल अपने सामने बैठी 65 वर्ष पूरे कर चुकी महिला को बोलते हुए देख रहे थे। ।

उनके दोस्त शशांक की माँ थी चित्रा जी । शशांक ने फोन करके बताया था कि “उसकी माँ को 2-3 साल स्व कुछ हो गया है,,कभी बागवानी करती है तो कभी सिग्नल पर जाकर ट्रैफिक संचालित करने लगती हैं, कभी हार्मोनियम बजाने की जिद तो कभी कपड़े सिलने की धुन,,और आजकल तो गुस्सा बैठी हैं कि उन्हें फौज मे जाना है,,,मुझे अर्चना के साथ 2 दिन के लिए फॅमिली टूर पर जाना है और माँ को ऐसे छोड़ नहीं सकता मेरी समझ मे कुछ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं क्या नहीं। ।।

राहुल ने कहा “फिक्र मत कर,,मेरे पास अभी 2 दिन कोई काम नहीं है मैं तेरे घर आ रहा हूं दोस्त की तरह परिचय करवाना डॉक्टर की तरह नहीं “

राहुल शाम को शशांक के घर पहुंचा क्यूंकि रात के 9 बजे शशांक की फ्लाइट थी ,,,दरवाजा खोला और शशांक का स्वागत किया,,,,थोड़ी देर बाद अपनी माँ को सुनाते हुए बोला यार राहुल तू अभी कैसे रुक सकता है मैं जरा बाहर जा रहा हूं,,”


शशांक की आवाज सुनकर चित्रा जी बाहर आयी और समस्या पूछी तो शशांक बोला “माँ ये राहुल है काफी समय बाद आया है 2 दिन रुकने को बोल रहा है पर तुम्हें तो पता है कि मैं अर्चना के साथ बाहर जा रहा हैं “

माँ ने कहा “तो तू जा बेटा,,अगर राहुल बेटा को कोई परेशानी नहीं तो यहां मेरे साथ ही रुक जाएगा “

राहुल ने कहा हाँ ये ठीक रहेगा

रात बीती सुबह हुई पर राहुल शांत रहकर शशांक की माँ का निरीक्षण कर रहा था,,वो दिन बीता फिर रात बीती,,,अगले दिन राहुल अपने परीक्षण पर आ गया,,

एक मेज 2 कुर्सी 1 स्टूल पानी का जग और एक ग्लास

उसने चित्रा जी को ढूंढा जो उन्हें छत पर मिलीं आर्मी जैसी उछल कूद वाली एक्सरसाइज कर रही थी उनकी साँस चढ़ी हुई थी राहुल लपक कर आया और चित्रा जी का ध्यान भटका कर नीचे ले आया। ।

थोड़ी देर लेटने का बोलकर एनर्जी ड्रिंक बनाने चला गया,,,जब चित्रा जी को थोड़ा सा सही लगा तब वो बैठी तब तक राहुल ड्रिंक बना लाया था जिसे उसने शशांक की माँ को दिया।

एनर्जी ड्रिंक पीकर चित्रा जी को अच्छा लगा तब राहुल ने उन्हें उठाया और अपने सेटअप किए रूम में ले आया,,

राहुल के लगातार प्रश्नों ने जैसे चित्रा जी के ह्रदय में झनझनाहट पैदा कर दी और उन्होंने जैसे अपना दिल खोल दिया। ।

राहुल को माँ की बीमारी समझ आ गयी जो वो अपने बचपन में अपनी जिंदगी मे कुछ बनना चाहती थी अपना सपना पूरा करना चाहती थी जो कि उनके पापा के कड़क स्वभाव की वज़ह से पूरा नहीं हो पाया किन्तु उनके दिल दिमाग में अब भी कहीं ना कहीं कुछ करने की ललक थी जिसकी वज़ह से उनके दिमाग में तरंग उठने लगी थी,,,


राहुल ने माँ का हाथ अपने हाथो में लिया और उनसे आंख बंद करने को बोला थोड़ी देर हाथ सहलाते रहने के कारण माँ बिल्कुल रिलैक्स हो गयी,

अब राहुल ने पूछा “माँ आप क्या करना चाहती हो “

सुनते ही चित्रा जी की आँखों से आंसू बहने लगे क्यूंकि यही वो शब्द थे जो आज तक किसी ने नहीं बोले थे “वो क्या चाहती है?”

राहुल एक एक गतिविधि ध्यान से देख रहा था,,हाथ सहलाना उसने बंद नहीं किया था, फिर पूछा “माँ, आप क्या चाहती हो। “

चित्रा जी ने होठों पर मुस्कान लाते हुए बंद आँखों से ही कहा “मैं टीचर बनना चाहती हूं “

और ये कहते हो चित्रा जी ने अपनी आंखे खोल दी और राहुल को देखकर डगमगा गयी,,,,क्यूंकि बंद आँखों की अनुभूति में वो खो गयी थी।

राहुल ने कहा “माँ परेशान मत हो अब तुम अपना ये सपना, अपनी जिंदगी का ख्वाब जरूर पूरा करोगी,,,

“क्या सच बेटा,,,क्या मैं…..

“हाँ माँ बिल्कुल सच,,तुम्हारा सपना पूरा करने मे हम तुम्हारी सहायता करेंगे ” पीछे से आती आवाज को चित्रा जी ने मुड़कर देखा तो शशांक खड़ा होकर बोल रहा था,,

“आज एक माँ का सपना पूरा होगा”  ये उनकी बहु अर्चना की आवाज थी,,

माँ के चेहरे पर अब ना चिंता थी ना निराशा,,एक अलग ही आभा से दमक रहा था उनका चेहरा। ।।

इतिश्री

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