मान का तो पान ही बहुत होता है – नीलम शर्मा : Moral Stories in Hindi

होली का दिन एक-एक कर नजदीक आता जा रहा था। उसी के साथ पूनम की परेशानी बढ़ती जा रही थी कि भैया-भाभी अभी तक उसकी होली की कोथली लेकर क्यों नहीं आए? जबकि उसकी अन्य तीनों बहनों की कोथली समय पर दे आए थे। पूछूँ या नहीं। पूनम की समझ में नहीं आ रहा था

फिर उसने सोचा मैं बड़ी दीदी से बोलतीहूँ वह इस बारे में भैया-भाभी से पूँछें। पूनम ने  अपनी बड़ी बहन को फोन मिलाया। दीदी आप ही पूछ कर बताओ ना भैया से क्या हुआ  अबकी बार अभीतक भी मेरी कोथली क्यों नहीं लेकर आए। वैसे तो उसकी बड़ी बहन को कारण पता था। लेकिन उसने कहा अरे इसमें इतना झिझकने की क्या बात है। तेरे भी तो भाई-भाभी हैं। फोन मिला और बात कर ले। 

आखिर पूनम ने अपनी भाभी को फोन मिलाया। भाभी नमस्ते कैसी हो आप। घर में सब ठीक हैं। हां दीदी सब ठीक है आप बताओ। वह भाभी…मैंने सोचा कि आप इस बार होली से पहले मेरे यहाँ नहीं आए तो पूछ रही थी सब ठीक है ना। हाँ दीदी सब बढ़िया है। दीदी रही बात आपके यहाँ आने की तो आपकी सहेली मिनी मुझे बाजार में मिली थी उसने बताया कि आपको हमारा दिया हुआ सामान कम लगता है। और आपको अपनी ससुराल में बेइज्जती महसूस होती है। 

इसलिए नहीं आए। 

नंनद – सविता शर्मा : Moral Stories in Hindi

दीदी हम जितना कर सकते हैं उससे ज्यादा ही करने की कोशिश करते हैं। आपको अपनी देवरानी के सामने शर्मिंदगी महसूस होती है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा कि आपकी देवरानी अकेली बहन है उनका भाई उतना ही खर्च करता है। आप चार बहनें हो। खर्च आपका भाई उससे भी ज्यादा करता है।

लेकिन वह चार बहनों में बँट कर कम हो जाता है। दीदी आपको तो यह सोचना चाहिए कि आपका भाई अकेला कमाने वाला है। जिसमें उसकी भी दो बेटियां हैं। इतनी जिम्मेदारी के बावजूद आप लोगों का मान रखते हुए जितना बन पड़ता है करते हैं। दीदी आपने तो सुना होगा कहावत है कि “मान का तो पान ही बहुत होता है”।

माफ कीजिए दीदी आपका भाई और मैं आपकी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाए। दीदी वैसे तो मैं कहना नहीं चाहती, लेकिन आपकी तो एक ही नंद है। जिसके चार भाई हैं। आप चारों ने तो एक बहन के लिए भी त्यौहार बांट लिए हैं। क्या चार भाई मिलकर एक बहन के सारे त्यौहार नहीं दे सकते?

केवल यही वजह है दीदी आपकी इज्जत आपकी ससुराल में बनी रहे इसलिए हम नहीं आए। अब पूनम को सारी बात समझ में आ गई थी। पूनम को अपनी सोच पर बहुत गुस्सा आ रहा था।

उसे पछतावा भी बहुत हो रहा था कि उसने इतने अच्छे भैया भाभी के आगे पैसे को महत्व दिया। पहले तो उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब रिश्तो को कैसे सही किया जाए। फिर उसने सोचा बड़ी दीदी से बात करती हूँ। पूनम ने अपनी बड़ी बहन को फोन मिलाया और उन्हें सारी बात बताई। तो वह बोली

पूनम तू भाभी से बात कर। वे बहुत समझदार और अच्छी हैं। देखना सब सही हो जाएगा। ठीक है दीदी। पूनम ने अपनी भाभी को फोन मिलाया, हेैलो…भाभी मैं बहुत शर्मिंदा हूँ कहते-कहते पूनम को रोना आ गया। अरे नंद रानी परेशान मत होओ। जरा अपना दरवाजा तो खोलो। तभी दरवाजे पर घंटी की आवाज सुन पूनम ने दरवाजा खोला तो देखा

बच्चों ने दी संस्कारों की सीख – शुभ्रा बैनर्जी

कि भैया -भाभी अपनी दोनों बेटियों के साथ खड़े हैं। पूनम भाग कर अपनी भाभी से लिपट गई। मुझे तो अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा है। भाभी आपने मुझे माफ कर दिया। दीदी मैं कैसे छोटी बहन जैसी नंद का त्योहार ऐसे ही खाली जाने देती। हां देखो नाराज तो मैं तुमसे हूँ। तुम्हें अगर कोई शिकायत थी

भी तो तुम मुझसे बात करती मैं तुम्हें प्यार से सब समझती। लेकिन तुमने आपस की बातें अपनी सहेली से करके हमारा ही नहीं अपना भी मजाक बनवाया। दीदी तुम्हें कभी भी अपने घर के किसी सदस्य से शिकायत हो तो अपने आप उसके साथ बैठकर बात करना। कभी किसी बाहर वाले के आगे अपने घर की बात मत करना। सब सुनते समय तो हमदर्दी दिखाते हैं लेकिन पीठ पीछे मजाक ही बनाते हैं। 

हाँ मेरी प्यारी भाभी मैं समझ गई। अपने हाथों से अपने कान पड़कर बोली, मैं आप की सीख जीवन भर याद रखूँगी। पूनम कीइस हरकत को देखकर सभी हँसने लगे।

नाम: नीलम शर्मा 

मुजफ्फरनगर उत्तरप्रदेश,

*******

#ननद

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!