ननद जी – शीतल भार्गव : Moral Stories in Hindi

# ननद # गाँव में रहने वाली रमा अपने सीधे – साधे स्वभाव और मीठे व्यवहार के लिए जानी जाती थी । गाँव वाले उसे बहुत पसंद करते थे ।

उसकी शादी रमेश से हुई थी , जो कि एक संयुक्त परिवार में रहता था । परिवार में सास- ससुर , देवर और उसकी एक ननद सभी एक साथ रहते थे ।

रमा ने शादी के बाद पूरे घर की ज़िमेदारियाँ अपने कंधों पर ले लीं, सुबह से लेकर रात तक वह काम में ही लगी रहती किसी को शिकायत का एक मौका तक नहीं देती थी ।

रमा की सास कमला पुरानी विचारधारा वाली महिला थी, उन्हें लगता था कि बहू का काम सिर्फ घर का काम करना और परिवार की सेवा करना होता है ।

रमा का देवर विजय बेरोजगार था और पूरे दिन अपने दोस्तों के साथ मस्ती करता रहता था , रमा की ननदशोभा शहर में रहकर पढ़ाई कर रही थी

वह कभी कभार ही गाँव आ पाती थी , वह अपनी भाभी को बहुत अच्छी तरह से समझती थी उसकी माँ कमला जब भी रमा को ताने देती या कुछ भी गलत बोलती थी तो शोभा अपनी भाभी का ही पक्ष लेती

और शोभा और माँ में तकरार शुरू हो जाती । एक दिन गाँव में एक स्वयंसेवी संस्था आई जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रही थी,

रमा का भी इस कार्यक्रम में जाने का मन हुआ, लेकिन वह जानती थी कि उसकी सास कभी इस बात के लिए नहीं मानेगी।

फिर भी उसने हिम्मत करके अपनी सास से बात करने की सोची । “ माँजी , में भई कुछ सीखना चाहती हूँ

इस कहानी को भी पढ़ें: 

हमारे खानदान में लेने देने की जगह रिश्तों में प्रेम और अपनापन हो इस पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi

, इससे कुछ आमदनी बढ़ेगी “ रमा ने कहा। “ तुम्हें सीखने की क्या जरूरत है , घर का काम करना ही तुम्हारा धर्म है “ कमला देवी में नाराजगी से कहा ।

शोभा अपनी माँ की बात काटते हुए बोली “ क्यों माँ क्यों जरूरत नहीं हे , भाभी यह सब कर सकती है “ । रमा निराश हो गई लेकिन उसकी ननद ने उसे हौसला दिया कि

भाभी में आपका पूरा साथ दूँगी , फिर क्या था ननद। भाभी दोनों मिलकर काम करने लगी । रमा छुप- छुप कर स्वयंसेवी संस्था जाने लगी और मन लगा कर काम सीखने लगी ।

वहाँ उसने सिलाई, कढ़ाई , बुनाई और अचार बनाने के साथ – साथ और भी कई काम सीख लिए । धीरे – धीरे उसने अपने घर में ही छोटे मोटे काम शुरू कर दिए ।

उसने अचार और पापड़ बनाकर गाँव के ही बाजार में बेचना शुरू कर दिया । रमा का व्यवहार तो था ही मिलनसार और उसका बनाया हुआ सामान भी लोगों को पसंद आने लगा ।

उसकी आमदनी बढ़ने लगी ,जब कमला देवी को पता चलाकि रमा ने उसे बिना बताए काम शुरू किया है तो वह बहुत नाराज हुई ।उसकी ननद शोभा।

ने अपनी माँ को समझाया और कमला देवी ने भी देखा कि रमा की मेहनत से घर की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी , तो उनका दिल पिघलने लगा ।

विजय भी रमा की मेहनत को देखकर प्रेरित हुआ तो वह भी उसके काम में सहयोग करने लगा । सरला को भी यह समझ में आ गया कि हर महिला को अपनी पहचान बनाने का अधिकार है ।

धीरे- धीरे रमा की रसोई पूरे गाँव में मशहूर हो गई, उसने कई महिलाओं को काम सिखाया और आत्मनिर्भर बनाया ।

रमा ने साबित कर दिखाया कि औरत सिर्फ़ घर की चार दीवारों में क़ैद होने के लिए नहीं होती, बल्कि वह भी समाज में अपना योगदान दे सकती है ।

ये सब हुआ उसकी ननद की वजह से , शोभा ने अपनी भाभी का पूरा साथ दिया और उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया ।।।

शीतल भार्गव छबड़ा ज़िला बारा राजस्थान

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!